क्वारंटाइन सेंटरों पर जैसे-तैसे रहने को मजबूर है परदेशी
रात में मच्छरों का हमला भी झेलना पड़ रहा है। सबसे बड़ी बात है यहां रह रहे लोग आपस में सोशल डिस्टेन्सिग का भी पालन नहीं कर पा रहे हैं। इस बाबत बीडीओ मंजुल मनोहर मधुप ने बताया संबंधित पंचायतों के मुखियों को इसकी व्यवस्था की जबाबदेही दी गई है। जिन सेंटरों पर कोई कमी है उसे पूरा किया जा रहा है।
जागरण टीम,शेखपुरा : घर आये परदेशी को क्वारंटीन करने के लिए बनाये गये सेंटरों को लोग जैसे-तैसे रहने को मजबूर हैं। सरकार ने तो इनके रहने तथा खाने-पीने की सुविधा का इंतजाम करने का निर्देश दिया है। मगर जमीनी स्तर पर इसका हाल काफी बुरा दिखा। सरकार की इसी व्यवस्था की परखने के लिए जागरण की टीम रविवार को कई क्वारंटाइन सेंटरों का जायजा लिया। इसमें सदर प्रखंड के बादशाहपुर मिडिल स्कूल के क्वारंटीन सेंटर का जो हाल देखा डबल्यूएचओ मानक की कसौटी से काफी परे दिखा। इस केंद्र पर चेन्नई तथा कोलकाता से आये 6 लोगों की रखा गया है। ये सभी लोग बादशाहपुर गांव के ही हैं। कमाने के लिए परदेश गये थे। कोरोना महामारी फैलने के बाद ये लोग अपने घर आ गये। इनसे संक्रमण नहीं फैले से प्रशासन ने इन्हें गांव एक बाहर क्वारंटाइन सेंटर पर रखा हुआ है। अब हाल देखिये। इन लोगों को बिछावन तक नहीं दिया गया है। लोग अपने घरों से चादर मंगाकर स्कूल की जमीन पर सोते हैं। भोजन के नाम पर 24 घंटे में दो बार भोजन दिया जाता है। सेंटर पर बिजली नहीं है। रात में मच्छरों का हमला भी झेलना पड़ रहा है। सबसे बड़ी बात है यहां रह रहे लोग आपस में सोशल डिस्टेन्सिग का भी पालन नहीं कर पा रहे हैं। इस बाबत बीडीओ मंजुल मनोहर मधुप ने बताया संबंधित पंचायतों के मुखियों को इसकी व्यवस्था की जबाबदेही दी गई है। जिन सेंटरों पर कोई कमी है उसे पूरा किया जा रहा है।
तुम्हारी फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है, मगर यह दावे झूठे हैं, यह आंकड़े किताबी हैं। जागरण संवाददाता, शेखपुरा: रविवार को शेखपुरा जिले में दैनिक जागरण ने परदेश से आए लोगों को गांव के क्वारंटाइन केंद्र पर ठहराने की व्यवस्था का जायजा लिया तो सरकारी दावे से बिल्कुल विपरीत स्थिति देखने को मिली। मतलब कि तुम्हारी फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है, मगर यह दावे झूठे हैं, यह आंकड़े किताबी हैं। अदम गोंडवी की यह कविता पूरी तरह से चरितार्थ नजर आई। सरकारी आंकड़े गलत शेखपुरा जिला सूचना एवं जनसंपर्क पदाधिकारी शुक्रवार को प्रेस विज्ञप्ति में यह जानकारी देते है कि जिले में 58 क्वारंटाइन केंद्र बनाए गए हैं। वहां परदेश से आए 1644 लोगों को 14 दिनों के लिए ठहराया गया है। इस आंकड़े के विपरीत शनिवार को एडीएम सत्य प्रकाश शर्मा के द्वारा दायर किए गए रिपोर्ट में इसकी पोल खुल गई । यह रिपोर्ट जिले में 37 क्वरंटीन केंद्र चलाए जाने और वहां 315 लोगों को ठहराने की व्यवस्था को लेकर थी। वही जमीनी हकीकत इससे भी इतर नजर आयी। बंद मिला क्वारंटाइन केन्द्र
बरबीघा प्रखंड के केवटी पंचायत के मध्य विद्यालय में केंद्र स्थापित किया गया है। सरकारी रिपोर्ट के अनुसार यहां 8 लोगों को रहने, खाने की व्यवस्था की गई है और सभी लोग यहां रह रहे हैं। परंतु दिन के रविवार के दिन 9:00 बजे इसका ताला भी खुला हुआ नहीं था। स्थानीय लोगों ने बताया कि यहां कोई लोग नहीं रहते और कोई यहां देखने के लिए भी नहीं आया । मुखिया जीे बोले पैसा नहीं वहीं इसी प्रखंड के बभनबीघा मध्य विद्यालय में मनाए गए केंद्र पर 10:00 बजे की स्थिति बिलकुल अलग थी । यहां तीन स्कूल के रसोईया के द्वारा दाल और भात बनाया गया था। रसोईया ने कहा कि मुखिया जी के द्वारा सब्जी उपलब्ध नहीं कराई गई है। इसी बीच खाने के लिए तीन चार लोग पहुंचे , जिनमें पिटू कुमार, बिरेन्द्र कुमार, सोनू कुमार, नौशाद अली दिल्ली से आये है। बताया कि स्कूल में रहने की कोई व्यवस्था नहीं है। सुबह और रात में थोड़ा-थोड़ा खाना मिलता है। इससे गुजर नहीं होगा। इसलिए वह लोग अपने अपने स्थान पर चले जाते हैं। भोजन करने के लिए केवल यहां आते हैं। वहीं इतनी देर में मुखिया शैलेंद्र रविदास भी पहुंच गए। पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि कल से उनको सूचना मिली है। अभी वह तैयारी कर रहे हैं। परंतु कहीं से कोई फंड नहीं दिया गया है। प्रखंड विकास पदाधिकारी ने बताया है कि आपदा विभाग से फंड मिलेगा। अभी आप अपनी जेब से खर्च करिए।