शेखपुरा में मुश्किलों का पहाड़ लांघ बेटियों ने बनाया अपना मुकाम
शेखपुरा। सरकार के बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का असर समाज के निचले स्तर तक पहुंचने लगा है और इसका असर भी दिखने लगा है। लोग बेटियों को अब पढ़ाने-लिखाने के साथ खेल-कूद की गतिविधियों में हिस्सा लेने को बढ़ावा देने लगे हैं। शेखपुरा में ताइक्वांडो के खेल में बेटियों ने अपना नाम रोशन करने के साथ जिला को भी सम्मान दिलाने का काम किया है।
शेखपुरा। सरकार के बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का असर समाज के निचले स्तर तक पहुंचने लगा है और इसका असर भी दिखने लगा है। लोग बेटियों को अब पढ़ाने-लिखाने के साथ खेल-कूद की गतिविधियों में हिस्सा लेने को बढ़ावा देने लगे हैं। शेखपुरा में ताइक्वांडो के खेल में बेटियों ने अपना नाम रोशन करने के साथ जिला को भी सम्मान दिलाने का काम किया है। शेखपुरा की तीन बेटियों ने बेहद ही साधारण परिवार से निकालकर खेल के मामले में स्वयं को अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय क्षितिज पर स्वयं को स्थापित किया है।
खुशबू कुमारी—
शेखपुरा के सिनेमा रोड में चाय की दुकान चलाने वाले कालीचरण की होनहार बेटी खुशबू ने ताइक्वांडो में स्वयं को अंतरराष्ट्रीय क्षितिज पर स्थापित किया है। दो साल पहले भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व करते हुए खुशबू ने मिस्त्र में हुए विश्व ताइक्वांडो कैडेट चैंपियनशिप में अपने पंच का दम-खम दिखाकर देश को मान-सम्मान दिलाने का काम किया। राष्ट्रीय चैंपियनशिप और खेलो इंडिया में बिहार को कई बार पदक दिलाया है।
स्वीटी कुमारी--- शेखपुरा के चांदनी चौक की स्वीटी भी बेहद साधारण परिवार में पल-बढ़कर खेल के दुनियां में अपनी पहचान बनाई है। बिहार की तरफ से कई बार राष्ट्रीय ताइक्वांडो में अपना परचम लहरा चुकी है। नेशनल स्कूली गेम में बिहार के लिए पदक जीत चुकी है। इनकी प्रतिभा पर समूचा जिला नाज करता है। प्रशिक्षक कुंदन कुमार ने बताया सीमित संसाधनों में स्वीटी ने स्वयं को बेहतर साबित किया है।
खुशी कुमारी--- शेखपुरा सतबिगही की खुशी कुमारी भी बेहद साधारण परिवार की है,मगर इनमें प्रतिभा कूट-कूट कर भरी हुई है। मां मंजु की देखरेख में पल-बढ़ रही खुशी ने पढ़ाई के साथ खेल को भी अपना मिशन बनाया हुआ है। ताइक्वांडो के खेल में खुशी ने कई मुकाम हासिल किया है। खेलो इंडिया,नेशनल चैंपियनशिप के साथ राज्य और राष्ट्रीय स्तर की कई प्रतियोगिता में अपनी चमक बिखेरा है।