सरकारी उपेक्षा से पान की खेती से विमुख हो रहे किसान
शेखपुरा। जिला मुख्यालय से 11 किलोमीटर दूर शेखपुरा प्रखंड का खखड़ा गांव जिला का एकलौता गांव है जो पान उत्पादक के रूप में जाना जाता है। एक समय था जब गांव के ज्यादातर किसान पान की खेती करते थे। लेकिन अब गिनती के 25 से 30 किसान ही पान की खेती करते हैं। इसका मुख्य कारण पान का सही मूल्य नहीं मिलना है। आढ़त में कमीशन ज्यादा लगना है।
शेखपुरा। जिला मुख्यालय से 11 किलोमीटर दूर शेखपुरा प्रखंड का खखड़ा गांव जिला का एकलौता गांव है जो पान उत्पादक के रूप में जाना जाता है। एक समय था जब गांव के ज्यादातर किसान पान की खेती करते थे। लेकिन, अब गिनती के 25 से 30 किसान ही पान की खेती करते हैं। इसका मुख्य कारण पान का सही मूल्य नहीं मिलना है। आढ़त में कमीशन ज्यादा लगना है। यहां के कई परिवार कई पुरखों से पान की खेती करते आ रहे हैं लेकिन उनकी मानें तो खेती के लिए पर्याप्त पूंजी के अभाव में अब वे अपनी परम्परागत खेती छोड़कर दूसरे रोजगार की तलाश में इधर-उधर भटकने को मजबूर हैं ।
नई पीढ़ी के लोग दिल्ली और मुम्बई में मजदूरी करने को मजबूर हो रहे हैं। यहां मगही पान की जानी मानी प्रजाति की खेती होती है। किसानों का कहना है कि सरकार का सकरात्मक सहयोग नहीं मिल रहा है। न हम लोगों को किसी प्रकार से सरकार से अनुदान मिलता है। न नई तकनीक से खेती करने के गुर बताए जाते हैं। हम लोग अब भी पुराने तौर तरीकों से ही खेती करते हैं। इससे उत्पादन कम होता है। ग्रामीण मथुरा चौरसिया, संतोष चौरसिया, अनिल बताते हैं कि आज भी हम लोग पान के एक-एक पत्ते तोड़ते हैं और फिर घर लाकर यह देखा जाता है कि उसमें दाग तो नहीं है। यह काम काफी कठिन होता है। किसान रंजीत चौरसिया ने बताया कि 10 वर्ष पहले 50-60 एकड़ में पान की खेती होती थी लेकिन अब यह केवल 5 एकड़ तक सिमट कर रह गई है।