सीएम यात्रा - मटोखर में दिन-रात तैयारी, ताक पर कोहड़ा रोपने जैसा
शेखपुरा में मुख्यमंत्री की जल-जीवन-हरियाली यात्रा की तारीख घोषित नहीं हुई है। मगर दिसंबर के अंत में उनके शेखपुरा आने की संभावना पर जिला प्रशासन दिन-रात एक करके अपनी तैयारियों को अंतिम रूप देने ने जुटा है। मुख्यमंत्री की यात्रा को जिला भर के आधा दर्जन विकल्पों का आकलन करने के बाद जिला प्रशासन ने अपनी अंतिम और पूरी ताकत मटोखर झील पर लगा दिया है।
शेखपुरा:
शेखपुरा में मुख्यमंत्री की जल-जीवन-हरियाली यात्रा की तारीख घोषित नहीं हुई है। मगर दिसंबर के अंत में उनके शेखपुरा आने की संभावना पर जिला प्रशासन दिन-रात एक करके अपनी तैयारियों को अंतिम रूप देने ने जुटा है। मुख्यमंत्री की यात्रा को जिला भर के आधा दर्जन विकल्पों का आकलन करने के बाद जिला प्रशासन ने अपनी अंतिम और पूरी ताकत मटोखर झील पर लगा दिया है। यहां हर तरह के काम किए जा रहे हैं। झील के सौंदर्यीकरण से लेकर अन्य तरह के काम को अंतिम अंजाम तक पहुंचाने में जिला प्रशासन की समूची फौज लगी है। खुद डीएम भी पिछले एक सप्ताह में कई बार मटोखर झील जायजा ले चुकी हैं। यहां झील के किनारे पर तीन अलग-अलग घाटों का निर्माण शुरू किया गया है। प्रत्येक घाट की लंबाई एक सौ फीट निर्धारित की गई है। इसके अलावे वृक्षारोपण, बिजली के खुले तारों को कवर बायर में बदलने का काम भी किया जा रहा है। इसके लिए बिजली के नए खंभे भी गाड़े जा रहे हैं। मटोखर झील के पास स्थित दलित बस्ती में सोखता का निर्माण भी किया जा रहा है। इधर पीछले एक सप्ताह से चल रही तैयारी एक बाबजूद खुद डीएम या प्रशासन के कोई अधिकारी इस बारे में मीडिया को कुछ बताने से परहेज कर रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है मुख्यमंत्री की यात्रा के बहाने इस पौराणिक झील का सौंदर्यीकरण हो जाये तो बड़ा काम होगा। एक किमी लंबाई में फैले इस झील की रेहू मछली पहले कोलकता तक भेजी जाती थी।
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प्रशासनिक तैयारी के बीच अलग लाबिग---
मुख्यमंत्री के संभावित दौरे को लेकर जिला प्रशासन की तैयारी से अलग एक ग्रूप पटना में अपनी लाबिग कर रहा है। यह ग्रूप मुख्यमंत्री को मटोखर के बजाय किसी दूसरे गांव में ले जाने के लिए यह लाबिग कर रहा है। इसके पीछे राजनीतिक स्वार्थ देखा जा रहा है। इस लाबिग में जुटे एक सूत्र ने बताया जिला प्रशासन बिना किसी राय-सलाह के अपना एजेंडा चला रहा है। इस सूत्र ने दावा किया है शेखपुरा के आस-पास मटोखर झील से कई बेहतर विकल्प मौजूद हैं, जहां जल-जीवन-हरियाली का काफी अच्छा काम हुआ है। इसमें लोग एफनी तथा छठीयारा का नाम गिनाते हैं। इस लाबिग मे जुटे लोग अपनी बात मुख्यमंत्री तक पहुंचाने के लिए पटना के पावरफूल लोगों के संपर्क में हैं। सूत्र का एक और तर्क है कि मटोखर झील के आस-पास आबादी नहीं के बराबर है। --
जमालपुर में आनन-फनन में काम
नगर के जमालपुर से होकर मटोखर जाने वाले रास्ते में भी आनन-फनन नाला बनाने का काम शुरू कर दिया गया। संकरे रास्ते को चौड़ा करने का काम किया जा रहा है। इसके तहत नाला में पाइप देकर उसे उपर से ढकने का काम शुरू कर दिया गया जिसका विरोध स्थानीय लोग कर रहे है।