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शिवहर में पंडित रघुनाथ झा की प्रतिमा लगाने का प्रस्ताव फाइलों तक

शिवहर। पांच प्रखंडों वाले एक अनुमंडल को जिला बनाने वाले शिवहर निर्माता पंडित रघुनाथ झा

By JagranEdited By: Published: Tue, 01 Dec 2020 12:11 AM (IST)Updated: Tue, 01 Dec 2020 12:11 AM (IST)
शिवहर में पंडित रघुनाथ झा की प्रतिमा लगाने का प्रस्ताव फाइलों तक
शिवहर में पंडित रघुनाथ झा की प्रतिमा लगाने का प्रस्ताव फाइलों तक

शिवहर। पांच प्रखंडों वाले एक अनुमंडल को जिला बनाने वाले शिवहर निर्माता पंडित रघुनाथ झा के निधन के ढाई साल बाद भी शिवहर में उनकी आदमकद प्रतिमा की स्थापना नहीं की जा सकी है। प्रतिमा की स्थापना से संबंधित फाइल मंत्रालय से लेकर जिला मुख्यालय तक फाइलों में कैद होकर रह गई है। इसके चलते पंडित जी के समर्थकों में मायूसी और आक्रोश है। हैरत की बात यह कि पंडित जी के निधन के बाद 21 जनवरी 2018 को उनके घर अंबाकला पहुंचे सीएम नीतीश कुमार ने बेलसंड के तत्कालीन विधायक सुनीता सिंह चौहान के पति राणा रणधीर सिंह चौहान की पहल पर शिवहर समाहरणालय परिसर में पंडित जी की आदमकद प्रतिमा लगाने का एलान किया था। साथ ही शिवहर के तत्कालीन डीएम राज कुमार को इसके लिए निर्देश भी दिया था। बावजूद इसके इस दिशा में कोई पहल नही हो सकी है। शिवहर के आरटीआई कार्यकर्ता मुकुंद प्रकाश मिश्र द्वारा सूचना के अधिकार कानून के तहत प्रतिमा लगाने की दिशा में हुई कार्रवाई की बाबत जानकारी मांगी गई तो बिहार सरकार के विशेष सचिव मंत्रिमंडल सचिवालय ने शिवहर जिलाधिकारी द्वारा भेजे गए पत्र का उल्लेख तो किया, लेकिन उसके बाद से अब तक हुए प्रयासों की बाबत कोई जानकारी नही दी। बताते चलें कि शिवहर जिला वर्ष 1994 के छह अक्टूबर को सीतामढ़ी से अलग होकर सूबे के सबसे छोटे जिले के रूप में बिहार के नक्शे पर आया। शिवहर को जिला बनाने में पंडित रघुनाथ झा का अहम योगदान रहा। वजह शिवहर की जनता के आर्शीवाद से पंडित रघुनाथ झा ने 27 साल तक विधानसभा में शिवहर का प्रतिनिधित्व किया था। शिवहर सीट से सर्वाधिक छह जीत का रिकॉर्ड उनके नाम है। वर्ष 1972 से 1990 तक पंडितजी लगातार विधायक चुने जाते रहे। वर्ष 1998 के उपचुनाव में जदयू के ठाकुर रत्नाकर राणा से मिली पहली हार के बाद उन्होंने शिवहर सीट को त्याग दिया। बाद के वर्षों में बेतिया और गोपालगंज को कर्मभूमि बना संसदीय चुनाव लड़ा। वर्ष 1969 में शिवहर जिले के पिपराही प्रखंड के अम्बा कला पंचायत से मुखिया बनकर उन्होंने राजनीतिक जीवन की शुरूआत की थी। वर्ष 2008 में केंद्र की मनमोहन सिंह सरकार में भारी उद्योग राज्य मंत्री बनाए गए थे। 14 जनवरी 2008 की रात दिल्ली के एक अस्पताल में उनका निधन हुआ था।

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