दियारे से गांवों की ओर रुख कर रहे नीलगाय, फसलों के साथ आबादी पर भी प्रहार
शिवहर। बागमती नदी के दियारें को अपना ठिकाना बनाने वाले नीलगायों ने अब गांवों की ओर बढ़कर आबादी को निशाना बनाना शुरू कर दिया है।
शिवहर। बागमती नदी के दियारें को अपना ठिकाना बनाने वाले नीलगायों ने अब गांवों की ओर बढ़कर आबादी को निशाना बनाना शुरू कर दिया है। फसलों को चट करने के साथ ही आमजन पर भी प्रहार करना शुरू कर दिया है। यही वजह हैं कि इलाके के किसान और आम जन लोग दहशत के साये में जीने को मजबूर है। कभी रात के अंधेरे में नीलगायों का झुंड फसलों पर टूट पड़ते थे और, किसानों द्वारा खून-पसीने की मेहनत से लगाए गए फसलों को चट कर जाते थे। लेकिन, अब दिन के उजाले में भी नील गायों की धमाचौकड़ी दिख रही है। सैकड़ों के झुंड में ये नीलगाय फसलों को बर्बाद करते हुए गांवों के करीब पहुंच रहे है। इस दौरान सामने आए लोगों पर हमले भी कर रहे है। गेहूं की कटाई के बाद एक बार फिर इलाके में उनकी सक्रियता बढ़ी है। पिपराही, पुरनहिया और तरियानी के इलाकों में नीलगायों का जबरदस्त प्रभाव दिख रहा है। वर्तमान में खेतों में लगे केला, पपीता, गन्ना और सब्जी की फसल को नीलगाय चट कर जा रहे है। रविवार को पुरनहिया प्रखंड के बेदौल, बेदौल आजम, अदौरी, दोस्तियां, पिपराही के मेसौढ़ा, बेलवा समेत कई गांवों में नीलगाय घूमते नजर आए। किसान दिनेश्वर महतो ने बताया कि एक सप्ताह से इलाके में नीलगाय की तबाही बढ़ रही है। हजारों की संख्या में झूंड बनाकर नीलगाय फसलों को बर्बाद कर रहे है। अधिक संख्या होने की वजह से लोग भाग खड़े होते है। भगाने पर हमला कर देते है।
बताते चलें कि, छह माह पूर्व शिवहर पहुंचे वन एवं पर्यावरण मंत्री ने कहा था कि शीघ्र ही नीलगायों को पकड़ने के लिए अभियान शुरू होगा। साथ ही इन्हें पकड़ कर वाल्मीकिनगर के वन प्रक्षेत्र में भेजा जाएगा। इसके अलावा नीलगायों की नसबंदी की जाएगी। लेकिन, महीनों बाद जिले में नीलगायों को पकड़ने या इससे बचाव की कोई पहल शुरू नहीं की जा सकी है। जबकि, इलाके में नीलगायों का तादाद लगातार बढ़ रही है।