गांव में अस्पताल फिर भी नहीं होता मरीजों का इलाज
एक ओर सरकार सड़क शिक्षा और स्वास्थ्य की व्यवस्था दुरुस्त करने का दावा करती है।
शिवहर। एक ओर सरकार सड़क शिक्षा और स्वास्थ्य की व्यवस्था दुरुस्त करने का दावा करती है। वहीं दूसरी ओर अस्पतालों में चिकित्सा सुविधा नहीं मिल रही। चाहे वह पीएचसी हो या एपीएचसी वहां बुनियादी सुविधाओं सहित चिकित्सक एवं अन्य संसाधनों का घोर संकट है। पिपराही प्रखंड के कुअमा पंचायत पूर्व मुखिया सह अध्यक्ष जिला मुखिया संघ संजय कुमार वर्मा उर्फ डब्बू ने जिला पदाधिकारी को इस आशय का एक आवेदन दिया है। उक्त आवेदन में अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र कुअमा की मौजूदा स्थिति बताते हुए उसे सु²ढ़ करने की मांग की गई है।
कुअमा स्थित करीब तीस वर्ष पुराने स्वास्थ्य उपकेंद्र जिसमें अब अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र करीब बारह वर्ष पूर्व से संचालित है। वहां वर्तमान में इलाज नाम की कोई सुविधा नहीं है। महज एक एएनएम के सहारे संचालित उक्त अस्पताल में डाक्टर साहब कभी - कभार ही दिखाई देते हैं। सच्चाई यही है कि यहां अमूमन ताला ही लटका रहता है। नतीजतन गांव या फिर आसपास के लोगों को जिला मुख्यालय का ही आसरा है। जबकि आसपास के करीब चार पंचायत के दो दर्जन से अधिक गांव के लोगों के लिए उक्त अस्पताल ही इलाज का सरल और सहज विकल्प है। विडंबना है गांव के लोगों के लिए भी यह अस्पताल सहयोगी सिद्ध नहीं हो रहा। लोग जिला मुख्यालय या फिर पड़ोसी जिला सीतामढ़ी जाने को विवश हैं। सबसे अधिक कठिनाई प्रसूता महिलाओं को होती है। सरकार एवं विभाग द्वारा हमेशा सुरक्षित प्रसव के लिए अस्पताल में आने के लिए जागरुक किया जाता है। जबकि यहां ऐसी कोई सुविधा नहीं होने से मरीजों को जिला मुख्यालय शिवहर की दौड़ लगानी पड़ती है। इस दौरान ससमय इलाज नहीं मिलने कई जच्चा बच्चा मौत के शिकार हो चुके हैं। आवेदक श्री डब्बू ने डीएम से आग्रह किया है की इसकी अपने स्तर से जांच कराकर यथोचित कार्रवाई करें ताकि लोग त्वरित एवं सरल चिकित्सा सुविधा प्राप्त कर सकें।