नशा मुक्ति केंद्र में ढ़ाई वर्षों में महज 70 शराबियों का हुआ इलाज
वर्ष 2016 के पहली अप्रैल को जब नीतीश सरकार ने शराबबंदी लागू की तब लोगों को ऐसा लगा था कि अब शराबियों से निजात मिलेगी वहीं सूबे की तस्वीर बदल जाएगी।
शिवहर। वर्ष 2016 के पहली अप्रैल को जब नीतीश सरकार ने शराबबंदी लागू की तब लोगों को ऐसा लगा था कि अब शराबियों से निजात मिलेगी वहीं सूबे की तस्वीर बदल जाएगी। लेकिन शिवहर की हालत है कि बीते ढ़ाई वर्षों में शायद ही कोई दिन ऐसा गुजरा हो जब शराब और शराबी नहीं पकड़ा गया हो। उधर सरकार को आशंका थी कि यकायक शराब बंद होने से शराबियों की जान तक जा सकती है इसके लिए जिला मुख्यालय में नशा मुक्ति केंद्र खोला गया ताकि शराबियों को त्वरित चिकित्सा सेवा मिल सके। वहीं इलाज के साथ नशे की लत छुड़ाने की परिकल्पना की गई थी। लेकिन आश्चर्य कि आबादी के हिसाब से सूबे में सबसे अधिक शराब खपतवाले शिवहर जिले में अब तक महज 70 शराबी ही नशामुक्ति केंद्र पहुंच सके। वहीं फिलवक्त नशा मुक्ति केंद्र सुना पड़ा है। जिसे देखकर नहीं लगता कि यहाँ मरीज आते भी होंगे। लाखों की लागत से बने इस केंद्र में शराब की लत के शिकार लोगों के लिए आवासीय इलाज की व्यवस्था की गई है। जहां टीवी सहित वातानुकूलित कमरे सभी अन्य सुविधाओं से युक्त है। लेकिन अफसोस कि यहां इलाज कराने या शराब से तौबा करने कोई नहीं पहुंच रहा। केंद्र में प्रतिनियुक्त डॉ. सुरेश राम एवं डॉ. अमरेंद्र किशोर चौधरी बताते हैं कि बीते माह एक मरीज आया था। बता दें कि डॉ. सुरेश राम की पदोन्नति अपर उपाधीक्षक सहायक मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी के रुप में हो गई है। दोनों ही जिम्मेदारियों का निर्वहन कर रहे डॉ. श्री राम बताते हैं शराबी को अगर शराब न मिले यो वह बेचैनी अनुभव करता है, अन्त्र कई और परेशानियां हो सकती हैं जिसे इलाज द्वारा ठीक कराया जआ सकता है। शराबबंदी के बावजूद केंद्र तक शराबी के न पहुंचने की वजह पूछने पर बताया कि इसका मतलब है कि शराबी ने ²ढ़ निश्चय कर शराब लेना छोड़ दिया है या फिर उसे कहीं न कहीं से शराब या कोई अन्य मादक पदार्थ मिल रहा है। ऐसी स्थिति में दूसरी दलील ही ज्यादा सच लगती है तभी तो शिवहर में शराब एवं शराबी के पकड़े जाने का सिलसिला नहीं थम रहा।