भगवान सूर्य का प्रथम अर्घ्य आज
आस्था के महान पर्व छठ को लेकर गांव से लेकर आधुनिक जीवनशैली वाले शहर तक में धूम है।
शिवहर। आस्था के महान पर्व छठ को लेकर गांव से लेकर आधुनिक जीवनशैली वाले शहर तक में धूम है। अमीर हो या गरीब हर कोई पर्व की तैयारी पूरा करने में जुटा है। आदिकाल से आ रहा आदिदेव सूर्य को आज मंगलवार की शाम प्रथम अर्घ्य अर्पित किया जाएगा। - खरीदारी को उमड़ी भीड़ छठ को लेकर सोमवार को पूरे दिन शहर में काफी भीड़ देखी गई। कपड़ा, किराना एवं बाजार में छठ सामग्री की सजी दुकानों पर अप्रत्याशित भीड़ का आलम यह था कि पांव रखने की जगह नहीं थी। सबको सामान खरीदने की जल्दी थी। भीड़ का नजारा सुबह से देर रात तक दिखा। वहीं सड़क किनारे सजी छठ की सामग्रियों की दुकानें जाम का सरंजाम बनी थी। आस्था का भय इतना कि कोई उसे हटाने का रिस्क नहीं ले रहा था। नतीजतन रह रहकर लगनेवाले जाम से लोग हलकान दिखे। - मुंहमांगी कीमत पर बिके सामान लोक आस्था का पर्व छठ अन्य पर्वों से जुदा है। मूल रूप से इसे आदिकाल से प्रचलित प्रकृति पूजा कहें तो अतिशयोक्ति नहीं। क्योंकि इसमें आदिदेव सूर्य को प्रकृति से उत्पन्न वस्तुओं यथा कंद - मूल, फल, फूल, नवान्न निर्मित मिष्ठान्न,अदरख, मूली, ईख, गाजर, नींबू, सूथनी, ¨सघाड़ा, मटर, केराओ, बोदी, अरुआ, नारियल सहित करीब सौ सामग्रियों का अर्घ्य अर्पित कर मंगल की कामना की जाती है। - महंगाई पर आस्था भारी पर्व को लेकर बाजार में उमड़ी भीड़ को देख दुकानदारों ने मुंहमांगी कीमत वसूली। आस्था का आलम यह कि कीमत की परवाह किए बगैर व्रतियों ने संबंधित सामग्रियों की खरीदारी की। बढ़ती भीड़ एवं समयाभाव के कारण मोल- जोल का समय नहीं था। - बाजार में आधी आबादी का बाहुल्य बदलते समय के साथ छठव्रतियों की संख्या में भी इजाफा हुआ है। शायद ही कोई ¨हदू परिवार हो जिसके घर छठ पूजा नहीं होता है। इतना ही नहीं गंगा जमुनी तहजीब का प्रमाण कहें या फिर आस्था का प्रभाव मुस्लिमों द्वारा भी छठ पर्व किया किया जाता है जओ कि बड़ी बात है। इस बार बाजार में एक और बात काबिलेगौर है कि छठ की खरीदारी में आधी आबादी अर्थात महिलाओं का बाहुल्य दिखा जो नारी सशक्तिकरण का भी द्योतक है। - बनाए गए हैं सुंदर घाट सूर्योपासना के पर्व छठ के लिए नदी, तालाब एवं जलाशयों किनारे बने घाटों को आकर्षक रुप से सजाया गया है। वहीं बदलते जमाने के साथ घाटों की सजावट में भी बदलाव आया है। अब घाटों पर पंडाल बनाने, अश्वरथ पर सवार भगवान भास्कर की प्रतिमा लगाने की परंपरा विकसित हुई है। साथ ही घाटों को जानेवाली सड़कों पर तोरणद्वार बनाए गए हैं वहीं आज रंगोली सजाई जाएगी। छठ घाटों पर चाइनीज रंगीन लाइट की लड़ियां भी लगी हैं। वहीं हे छठी मईया.. हे दीनानाथ... हे सूरूजदेव.. संबोधन वाले पारंपरिक गीतों के धुन सहज ही भक्ति एवं श्रद्धा का भाव पैदा कर रहे हैं। - हर तरफ दिखा जाम का नजारा सोमवार की भीड़ शहर के लिए ऐतिहासिक साबित हुई। मुख्य सड़क एन एच 104 पर तो जाम आम बात है शहर की गलियों में भी जाम लगता रहा जिसके निवारण के लिए कोई पुलिस नहीं थी। अलबत्ता चौक चौराहों पर थोक भाल में ट्रैफिक पुलिस दिखे लेकिन भीड़ भरे बाजार में भीड़ खुद से जूझती सरकती निकलती रही। सबसे अधिक परेशानी महिलाओं को हुई जो बामुश्किल खुद को एवं छठ सामग्रियों के साथ जैसे तैसे निकलती दिखाई दी।