फिरंगी बाहा बांधने से ग्रामीणों में खौफ
एनएच 104 किनारे बसा धनकौल गांव। जहां सैकड़ों वर्षों से प्रवाहित नाला है फिरंगी बाहा।
शिवहर। एनएच 104 किनारे बसा धनकौल गांव। जहां सैकड़ों वर्षों से प्रवाहित नाला है फिरंगी बाहा। जैसा कि नाम से ही जाहिर है कि यह ब्रिटिश हुकूमत की निशानी है लेकिन यह गोरी सरकार की तरह क्रूर नहीं बल्कि आसपास के गांवों के लिए जीवनदायिनी है। इसका जुड़ाव सीधे बागमती नदी से है। बाढ़ के दिनों में जहां इसका गादयुक्त पानी खेत की उर्वराशक्ति बढ़ाती है वहीं शेष महीनों में ¨सचाई के सुलभ साधन के रुप में फिरंगी बाहा का उपयोग इलाके के किसान करते हैं। लेकिन पिछले दिनों स्थानीय मुखिया जरीना खातून द्वारा इसके उपर बांध बांध दिए जाने से धनकौलवासियों की नींद गायब हो गई है। लोग खौफजदा है कि इस बांध की वजह से आगामी बाढ़ में कई गांव जलमग्न हो जाएंगे। भारी तबाही की आशंका से पीड़ित ग्रामीणों ने समस्या समाधान के लिए जिला प्रशासन को सामूहिक हस्ताक्षरयुक्त आवेदन देकर बांध हटाने की मांग की गई। इतना ही नहीं आवेदन की प्रतिलिपि ग्रामीण विकास अभिकरण मंत्रालय, प्रधान सचिव सहित मुख्यमंत्री बिहार तक को प्रेषित किया जा चुका है। लेकिन उक्त समस्या को लेकर प्रशासन की उदासीनता देख धनकौल सहित पास के गांवों में आक्रोश व्याप्त है। बीते 20 मई 18 को डीडीसी मो. वारिस खान ने फिरंगी बाहा का स्थल निरीक्षण भी किया। जहां भावी समस्याओं का आंकलन किया। लोगों से मिल सत्यता की पड़ताल की तो लोगों ने बताया कि उक्त बांध समस्या का निदान नहीं बल्कि खतरा को निमंत्रण है। डीडीसी श्री खान ने मामले की गंभीरता को देखते हुए मौखिक आदेश दिया कि मुखिया यथाशीघ्र इस बांध को हटाए नहीं तो बाढ़ में अगर जानमाल की क्षति हुई तो प्राथमिकी दर्ज की जाएगी। इसके करीब एक माह व्यतीत होने के बावजूद उस दिशा में कोई सार्थक परिणाम नहीं देख ग्रामीणों में भय व्याप्त है। बाढ़ पूर्व अगर बांध नहीं हटाया गया तो सैकड़ों एकड़ की फसलें बर्बाद होंगी वहीं गांव पर जलप्रलय का भी खतरा है। धनकौल निवासी अवकाश प्राप्त शिक्षक बैद्यनाथ प्रसाद ¨सह कहते हैं कि गांव के जानमाल की रक्षा में फिरंगी बाहा से बांध का अवरोध अविलंब हटाना आवश्यक है। लेकिन समझ में नहीं आ रहा कि सामूहिक गुहार पर भी प्रशासन एवं सरकार जनता की पीड़ा समझने को तैयार नहीं है। वहीं दूसरी ओर बाढ़ पूर्व आपदा नियंत्रण को लेकर बैठकों का दौर जारी है जो समझ से परे है। वहीं ग्रामीणों का कहना है कि अगर यथाशीघ्र बांध नहीं हटाया गया तो हमलोग विरोध प्रदर्शन एवं एनएच 104 जाम करने को मजबूर होंगे।