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पिपराढी़ पुनर्वास गांव को 40 साल से संपर्क पथ का इंतजार

पहले बागमती नदी ने विस्थापित किया व लंबे इंतजार के बाद लोगों को पुनर्वासित तो किया गया लेकिन बुनियादी सुविधाएं आज भी नसीब नहीं हो सकी हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 19 Oct 2020 12:43 AM (IST)Updated: Mon, 19 Oct 2020 05:12 AM (IST)
पिपराढी़ पुनर्वास गांव को 40 साल से संपर्क पथ का इंतजार
पिपराढी़ पुनर्वास गांव को 40 साल से संपर्क पथ का इंतजार

शिवहर। पहले बागमती नदी ने विस्थापित किया व लंबे इंतजार के बाद लोगों को पुनर्वासित तो किया गया, लेकिन बुनियादी सुविधाएं आज भी नसीब नहीं हो सकी हैं। दिन, महीने, साल और दशक गुजर गए। लेकिन एक अदद संपर्क पथ का निर्माण नहीं कराया जा सका। यहीं कारण है कि बागमती परियोजना के बाद बने बागमती तटबंध के बीच से विस्थापित और बाहर पुनर्वासित होने के 40 साल बाद भी पिपराढ़ी पुनर्वास व बखार गांव के लोगों को एक अदद संपर्क पथ की सुविधा नही मिल सकी है। हालत यह है कि पांच हजार की आबादी आज भी सड़क निर्माण की राह ताक रही है। तकरीबन पांच हजार की आबादी के जर्रे-जर्रे में बेबसी है। नेताओं के झूठे वायदों का दर्द और प्रशासनिक नक्कारेपन का आक्रोश है। हैरत की बात यह कि सरकार द्वारा सूबे में हर गली में पक्की सड़क का निर्माण कराया जा रहा है, जिले का यह इलाका आज भी सड़क से अनजान है। सवालों के घेरे में मनरेगा की भी योजना है। इतना ही नहीं सबसे अधिक आक्रोश नेताओं के वादे, दावे और इरादों को लेकर भी है। हर चुनाव में पगडंडियों का सफर तय कर वोट के लिए पहुंचे नेताओं ने वादे तो किए, लेकिन चुनाव जीतने के बाद उन्हें इसकी सुध नही रही। यही वजह हैं कि इसबार मतदाता आक्रोशित है।

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वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में इस इलाके के मतदाताओं ने मतदान नही किया था। बावजूद इसके तस्वीर नही बदली है। स्थानीय लोग ही मिट्टी डालकर सड़क को चलने लायक बनाते रहे है। सड़क के अभाव में इस इलाके का प्रखंड व जिला मुख्यालय से सीधा संपर्क भंग है। महज पांच सौ मीटर की दूरी में यह सड़क निजी जमीन से गुजरती है। भूमि अधिग्रहण का प्रयास सफल नही होने के कारण सड़क का निर्माण लंबित है। कोठिया टोला निवासी गुड्डू तिवारी बताते है कि बरसात में गांव से निकलना मुश्किल हो जाता है। गांव टापू में बदल जाता है। सबसे बुरा हाल तब होता है जब कोई बीमार हो जाता है या फिर महिला को प्रसव के लिए अस्पताल ले जाना होता है। रेन कट से क्षतिग्रस्त बागमती बांये तटबंध के रास्ते से लोग किसी तरह आवागमन करते है। पंचायत के मुखिया प्रतिनिधि रामानंद झा ने बताया कि जल्द हीं सड़क का निर्माण होगा। वहीं पूर्व मुखिया प्रत्याशी विपिन कुमार सहनी का कहना है कि लोगों की यह मांग दशकों से नही सुनी जा रही है।अब लोग निराश हो गए है। अब मजबूर होकर संघर्ष करना पड़ेगा। नेशनल कॉसिल ऑफ सोशल वेलफेयर बखार के अध्यक्ष हरिकिशोर बाजपेयी ने बताया कि शासन और प्रशासन इस संपर्क सड़क का निर्माण करवा कर लोगों को विकास की मुख्य धारा से जोडना चाहिए।


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