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मुख्यालय स्थित विद्यालय में डेस्क बेंच की सुविधा नहीं

शिवहर। शिवहर- सीतामढ़ी पथ एनएच 104 से सटा है प्राथमिक विद्यालय (कन्या) रसीदपुर। शहर की परिधि में स्थित इस सरकारी विद्यालय में सब कुछ सरकारी ढ़र्रे पर चलता है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 04 Dec 2019 01:07 AM (IST)Updated: Wed, 04 Dec 2019 06:17 AM (IST)
मुख्यालय स्थित विद्यालय में डेस्क बेंच की सुविधा नहीं
मुख्यालय स्थित विद्यालय में डेस्क बेंच की सुविधा नहीं

शिवहर। शिवहर- सीतामढ़ी पथ एनएच 104 से सटा है प्राथमिक विद्यालय (कन्या) रसीदपुर। शहर की परिधि में स्थित इस सरकारी विद्यालय में सब कुछ सरकारी ढ़र्रे पर चलता है। मंगलवार को जब जागरण की टीम पहुंची तो पाया कि नामांकित 113 बच्चों को बैठने के लिए डेस्क बेंच मयस्सर नहीं है। वे आज भी घर से लाई प्लास्टिक की बोरियों पर बैठते हैं। प्रतिनियुक्त तीन शिक्षकों में एक रंजीत कुमार मौजूद मिले जो दो वर्ग कक्षों में शोर कर रहे बच्चों को शांत कराने में असफल दिख रहे थे। बताया कि एचएम रंजीत साह एवं केशव कुमार सिंह अवकाश पर हैं। आज की उपस्थिति 75 बताई गई। एक से पांचवीं तय के इस विद्यालय में एक ही वर्ग कक्ष में तीन क्लास के बच्चे पढ़ने की रस्म पूरी कर रहे थे। सबसे अधिक चितनीय विषय यह दिखा कि विद्यालय के एक तरफ गहरा तालाब है तो दूसरी ओर व्यस्ततम एनएच 104 जहां कभी भी भयंकर दुर्घटना घट सकती है। वजह कि विद्यालय की चहारदीवारी नहीं की गई है। मौजूद शिक्षक रंजीत कुमार ने बताया कि हमेशा डर लगा रहता है कि कहीं कोई अनहोनी न हो जाए। खासकर छुट्टी के समय तो मानो कलेजे पर हाथ होता है। थाली धोने को लेकर होती है मारामारी एमडीएम मध्याह्न भोजन पहुंचने ही विद्यालय में चिल्ल-पों मच जाती है। परिसर में इकलौता चापाकल होने से बच्चे थाली धोने को एक दूसरे से उलझते दिखे जिसकी निगरानी भी शिक्षक को ही करनी है। एनजीओ द्वारा आपूरित भोजन में मेनू और मानक ताक पर सरकारी विद्यालयों का मुख्य आकर्षण अगर एमडीएम कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं। कारण कि घंटी बजते ही बच्चे दौड़ पड़ते हैं। जागरण टीम की उपस्थिति में ही अधिकृत एनजीओ की गाड़ी से एक केन में चावल और एक छोटे से केन में सब्जी उतारी गई। देखा तो सब्जी मानों पानी में हल्दी और नमक का घोल दिखाई दिया जिसका उसमें रखे आलू और सोयाबीन से कोई मेल नहीं था। तभी बुलाने पर पास के मुहल्ले से पहुंची रसोईया गायत्री देवी ने बच्चों की थाली में चावल और तथाकथित सब्जी बांटना शुरू किया। जिसे बच्चों ने अनमने ढंग से लिया। आधा खाया आधा फेंक दिया क्योंकि उन बेस्वाद खाना से कुछ हासिल नहीं होनेवाला। इस बाबत शिक्षक रंजीत कुमार ने बताया कि गुणवत्ता के संदर्भ में शिकायत करने पर भी कोई परिवर्तन नहीं होता और दूसरी बात यह भी कि खाना पहुंचाने का कोई नियत समय भी नहीं है। अब यहां विचारणीय है कि जब मुख्यालय के स्कूल की ये हालत है तो सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में अवस्थित विद्यालयों का हाल क्या होगा ? कहा सकते हैं कि शायद यही वजह है कि सरकारी विद्यालय से लोगों का मोहभंग हो गया है। वहीं नित नए निजी विद्यालय खुल रहे हैं। विद्यालय की विधि व्यवस्था के संरक्षण के लिए स्थानीय स्तर पर शिक्षा समिति गठित है। उन लोगों को भी इन विसंगतियों पर ध्यान देना चाहिए। बावजूद अगर इस तरह की अनियमितता है तो जांच कर संबंधितों पर विधिसम्मत कार्रवाई की जाएगी। कपिलदेव तिवारी

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जिला शिक्षा पदाधिकारी, शिवहर


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