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नाकारा साबित हो रहे हैं शहर के एटीएम

मुख्यालय में एटीएम की भरमार होने के बावजूद लोग राशि निकालने को पूरे दिन चक्कर लगा निराश घर लौटते हैं।

By JagranEdited By: Published: Fri, 16 Nov 2018 12:11 AM (IST)Updated: Fri, 16 Nov 2018 12:11 AM (IST)
नाकारा साबित हो रहे हैं शहर के एटीएम
नाकारा साबित हो रहे हैं शहर के एटीएम

शिवहर। मुख्यालय में एटीएम की भरमार होने के बावजूद लोग राशि निकालने को पूरे दिन चक्कर लगा निराश घर लौटते हैं। इस बार छठ पर गांव आए परदेशियों को सुबह होते ही शहर के एटीएम के पास चक्कर लगाते देख सकते हैं जिन्हें दिल्ली, मुम्बई लौटना है। एटीएम की लाइन में ऐसे मजबूर भी कम नहीं होते हैं जिन्हें गलाज के लिए पैसे की दरकार है। बेटे या पति ने खाता में पैसे भेज दिज लेकिन राशि निकासी नहीं हो रही। शायद उन्हें नहीं मालूम कि यहाँ के एटीएम सिर्फ दिखावे के हैं जो सिर्फ गिनती करने के लिए है। यह अलग बात है कि सरकार डिजिटल लेन देन पर जोर दे रही है दूसरे शिवहर जिला कब का डिजिटल भी घोषित हो गया है। लेकिन जमीनी हकीकत है कि आपातकाल में जरुरतमंदों को खुद के जमा किए पैसे काम नहीं आते हैं। बैंक शाखाओं में लगी भीड़ का आलम है कि एक दिन में आप धनराशि नहीं निकाल सकते। कभी ¨लक फेल का बोर्ड लटक जाता है तो कभी बैंक के बाबू घंटा भर लंच के बहाने आराम करते हैं। वहीं कैश की किल्लत भी ग्राहकों के मंसूबे पर पानी फेर देती है। तब एटीएम में आशा की किरण दिखती है वहां जाने पर अधिकांश के शटर डाऊन दिखते हैं या फिर वहीं नो कैश की तख्ती झूलती नजर आती है। हालांकि गार्ड मौजूद दिखता है जो इशारों में पूछे गए सवाल का जबाब हाथ हिलाकर ना में ही देता है। शहर में एसबीआई, पीएनबी, सेंट्रल बैंक, बीओबी, इलाहाबाद, केनरा, इंडियन ओवरसीज, आईडीबीआई, विजया बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, यूनियन बैंक, एक्सिस बैंक, को- ऑपरेटिव बैंक, यूको बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी बैंक एवं बैंक ऑफ बड़ौदा सहित अन्य बैंकों ने करीब 20एटीएम लगा रखे हैं। कुछेक एटीएम ऐसे भी हैं जिसे बने साल दो साल हो गए लेकिन उसका शटर उठा ही नहीं। फिलवक्त महज चार से पांच एटीएम ही पैसे उगलते हैं, जहाँ ग्राहकों की भारी भीड़ उमड़ती है। हालत तो तब देखने लायक होती है जब एक एटीएम का पैसा खत्म होता है तो दूसरे एटीएम की ओर लोग इस उम्मीद से दौड़ पड़ते हैं कि वहाँ बात बन जाएगी। लेकिन वहाँ भी वही ढाक के तीन पात। लंबी कतारें नो कैश का चक्कर। कुल मिलाकर जिले के एटीएम हाथी का दाँत साबित हो रहे हैं। यह अलग बात है कि शिवहर को जिला का जामा पहने 25 वर्ष गुजर चुके हैं। आज भी अगर सभी एटीएम काम करने लग जाए तो न सिर्फ बैंक शाखाओं में भीड़ का जमावड़ा खत्म हो जाएगा बल्कि लोग दिन भर की भागम- भाग से निजात पा सकेंगे।

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