जमींदोज हो रहा करोड़ों से निर्मित रेफरल अस्पताल
जिले में समस्याओं की लंबी फेहरिस्त है लेकिन सबसे अहम चिकित्सा सुविधा का यहां बहुत बुरा हाल है।
शिवहर। जिले में समस्याओं की लंबी फेहरिस्त है लेकिन सबसे अहम चिकित्सा सुविधा का यहां बहुत बुरा हाल है। मुख्यालय स्थित अस्पतालों में जहां संसाधनों का टोटा है वहीं चिकित्सकों की बेहद कमी है। वहीं दूसरी ओर तरियानी छपरा स्थित करोड़ों की लागत से बना रेफरल अस्पताल भूत बंगला बना है। वहीं अब जमींदोज होने के कगार पर है।
उक्त रेफरल अस्पताल का उद्घाटन 1996 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने की थी। मुख्यालय से करीब बीस किलोमीटर दूर तरियानी छपरा में अस्पताल बनाने की मुख्य वजह थी कि आसपास के लोगों को सहज, सुलभ एवं त्वरित चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जा सके। सचमुच उन दिनों इलाके के लोगों में बेहद खुशी थी इस उपलब्धि को लोग वरदान समझ रहे थे। वहीं यह भी सपने देखने लगे थे कि यहां का विकास होगा रोजगार के अवसर मिलेंगे कितु न जाने इस बड़े प्रोजेक्ट को किसकी नजर लग गई कि लोगों के सपने धरे धरे के धरे रह गए। शुरुआत के दिनों में यहां काफी चहल-पहल रही, मरीजों की कतारें भी दिखीं लेकिन फिर ऐसे हालात उत्पन्न हो गए कि तत्कालीन डीएम ने उक्त अस्पताल का संचालन बंद करने का निर्देश दिया। निर्णय की वजह सुरक्षा को लेकर उत्पन्न स्थिति बताया गया। कहना न होगा कि उन दिनों तरियानी क्षेत्र में नक्सली घटनाएं जोरों पर थीं। संचालन ठप होने के बाद कथित रेफरल अस्पताल जुआरियों एवं चरवाहों का आशियाना बन गया। वहीं प्रशासन एवं विभाग द्वारा मुंह फेर लेने की वजह से धीरे-धीरे अस्पताल भूत बंगला में तब्दील हो गया। लोगों की वहां आमोदरफ्त एक दम से बंद हो गई। वहीं उक्त अस्पताल के संसाधनों एवं प्रतिनियुक्त चिकित्सा कर्मियों को पास के गांव में मध्य विद्यालय परिसर में शिफ्ट किया गया जहां अभी दो चिकित्सकों की प्रतिनियुक्ति है।
लेकिन रेफ़रल अस्पताल खोने का मलाल प्रखंड वासियों को आज भी है। होना लाजिमी भी है क्योंकि वहां आसपास कोई ऐसा अस्पताल नहीं जहां समुचित इलाज की सुविधा मिल सके। मौजूदा हाल देखकर नहीं लगता कि कभी इस भवन में बीमारों को नई जिदगी देने के सरंजाम उपलब्ध रहे होंगे। लेकिन सच यही है कि आज से करीब तेईस वर्ष पूर्व वहां रेफरल अस्पताल की दी गई थी जो होकर भी नहीं मिली।
बाद के दिनों में स्थानीय लोगों ने अस्पताल की लड़ाई भी लड़ी। कई सामाजिक संगठनों ने धरना प्रदर्शन सड़क जाम जैसे लोकतांत्रिक विरोध का भी सहारा लिया लेकिन सरकार एवं विभागीय अधिकारियों ने संभवत: इसे गंभीरता से नहीं लिया।
- आज भी लोग हैं आशान्वित रेफरल अस्पताल तरियानी के पुनर्निर्माण की आशा आज भी लोग कर रहे हैं। उम्मीद की किरण अब भी बाकी है। स्थानी मुखिया श्यामबाबू सिंह, नीतेश कुमार सिंह उर्फ महाराज, मुखिया प्रतिनिधि अमित कुमार सिंह, औरा निवासी लालबाबू सिंह, सुरेंद्र सिंह, पंकज कुमार सिंह, सरपंच अमित कुमार सिंह सहित अन्य लोगों का मानना है कि सरकारी एवं विभागीय उदासीनता के कारण क्षेत्रवासियों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित हो जाना पड़ा। जबकि उक्त अस्पताल इलाके के लिए संजीवनी से कम नहीं है।जरुरत है इसे पुनर्जीवित करने की। ताकि बीमार लोगों को शिवहर या मुजफ्फरपुर ले जाने की जरूरत न पड़े। इधर सांसद रमादेवी ने उक्त अस्पताल को क्रियाशील करने की दिशा में प्रयास जारी रखा है। वहीं बताया कि उसके पुनर्निर्माण की प्रक्रिया हो रही है। जीवन दान देने वाले अस्पताल को मरने नहीं दिया जाएगा। आगामी दिनों में शिलान्यास एवं निर्माण कार्य प्रारंभ किए जाएंगे। वहीं सिविल सर्जन डॉ धनेश कुमार सिंह ने कहा कि इस संदर्भ में विभागीय स्तर पर कोई जानकारी या दिशा निर्देश अभी तक नहीं मिली है। फिलवक्त उक्त अस्पताल स्थानीय मध्य विद्यालय परिसर में संचालित है।