ये हैं बिहार के ग्लोबल जेंडर हीरो, लिंगभेद उन्मूलन को साइकिल से नाप रहे देश
लिंगभेद खत्म कर महिलाओं को उनका हक दिलाने के लिए एक युवक जिनका नाम राकेश कमार सिंह है, ने साइकिल से ये संदेश पूरे देश में फैलाने का प्रण लिया है। उन्हें ग्लोबल जेंडर हीरो कहते हैं।
शिवहर [देश बंधु शर्मा]। महिलाओं से न हो कोई भेदभाव। उन्हें मिले बराबरी का हक, लेकिन इसके लिए सबको बदलना होगा अपना नजरिया। कुछ ऐसे ही संदेश के साथ बिहार के शिवहर जिला निवासी राकेश कुमार सिंह साइकिल से देश का कोना-कोना नाप रहे हैं। अब तक 18 राज्यों में भ्रमण कर चुके हैं।
हजारों लोगों से रूबरू होकर मन की बात सुना चुके। 54 महीनों से यायावर की जिंदगी जीने वाले राकेश को 2016 में एक अमेरिकन कंपनी (जेंडर कनेक्ट) 'ग्लोबल जेंडर हीरो' के खिताब से नवाज चुकी है। इस अभियान का समापन दिसंबर में शिवहर के तरियानी छपरा गांव में होगा।
तेजाब पीडि़ता की आपबीती सुन मिली प्रेरणा
तरियानी छपरा निवासी सत्यदेव सिंह के बेटे राकेश की प्रारंभिक पढ़ाई अरुणाचल प्रदेश में हुई। वहां उनके पिता बिल्डर रहे हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई की है। राकेश की मुलाकात वर्ष 2013 में इलाहाबाद कुंभ मेले में तेजाब हमले से पीडि़त एक महिला से हुई। आपबीती सुन वे इतना उद्वेलित हुए कि महिलाओं को बराबरी का हक दिलाने का निर्णय ले लिया।
'राइड फॉर जेंडर फ्रीडम' के तहत साइकिल से देश भ्रमण का निर्णय लिया और 15 मार्च 2014 में चेन्नई से शुरुआत की। एक तेजाब पीडि़ता ने ही साइकिल यात्रा को हरी झंडी दिखाई। अब तक वे 26 हजार किलोमीटर साइकिल चला चुके हैं। राकेश ने इलाहाबाद में लगे कुंभ मेले को केंद्र में रखकर 'बम शंकर टन्न गणेश' नामक पुस्तक भी लिखी है।
शिवहर में होगा अभियान का समापन
तमिलनाडु, केरल, पांडिचेरी, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, उड़ीसा, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, गुजरात, झारखंड, छत्तीसगढ़ और हिमाचल प्रदेश की यात्रा कर चुके राकेश कहते हैं कि बेटियां आज कोख में मार दी जाती हैं। तेजाबी हमले, बलात्कार, घरेलू हिंसा सहित अन्य जुल्म उन पर बदस्तूर जारी है। इस रोकने के लिए सबको आगे आना होगा।
अभियान का समापन शिवहर में होगा, जिसमें विभिन्न सामाजिक संगठनों से जुड़े एक हजार से अधिक सामाजिक कार्यकर्ताओं का जुटान होगा। जिलाधिकारी अरशद अजीज का कहना है कि राकेश समसामयिक ज्वलंत मुद्दे को लेकर देश के कोने-कोने में जागरूकता का संदेश फैला रहे हैं। यह गर्व की बात है। आगामी दिसंबर में अभियान के समापन पर जिला प्रशासन उन्हें हर संभव सहयोग करेगा।