फोटो- ढ़ाई वर्ष से पुत्र का इंतजार कर रही बूढ़ी मां, पुलिस कहती- अनुसंधान जारी है..
सारण। हर मां बाप की तमन्ना रहती है कि उसका बेटा बुढ़ापे का सहारा बनेगा। लेकिन जब वह
सारण। हर मां बाप की तमन्ना रहती है कि उसका बेटा बुढ़ापे का सहारा बनेगा। लेकिन जब वही बेटा अचानक लापता हो जाए और उसके इंतजार में देखते देखते ढाई साल बीत जाए और पुलिस अनुसंधान करने की बात कहकर पल्ला झाड़ ले तो फिर उस मां का दुख समझा जा सकता है।
ऐसा ही एक मां हैं पानापुर थाना क्षेत्र के बेलौर गांव में। यह बेबस मां खंडहरनुमा घर में बैठ करीब ढाई वर्षो से अपने पुत्र के आने का बेसब्री से इंतजार कर रही है। आलम यह है कि उसके घर तक पहुंचने वाले हर एक आदमी से बस यही पूछती है कि मेरा मेरा लाल घर कब आएगा। लेकिन बूढ़ी मां के इन सवालों का शायद अभी तक किसी के पास कोई जवाब नही है। बेलौर गांव निवासी स्व. शिवबच्चन राय की 80 वर्षीया विधवा नैना कुंअर को वैसे तो पांच पुत्र हैं, जिसमें से दो मंदबुद्धी के हैं और दो बेटे मां से अलग होकर अपनी जीविका चलाते हैं। सबसे छोटा बेटा उमाशंकर था वही अपनी मां की देख भाल करता था, वह पिछले ढ़ाई सालों से लापता है। बताया जा रहा है कि 25 वर्षीय उमाशंकर गांव पर ही रहकर मशरक थाना क्षेत्र के सिउरी गांव निवासी अच्छेलाल साह की मिठाई दुकान पर काम करता था। साथ ही लग्न विवाह के दिनों मे भाड़े पर खाना बनाया करता था। आज से करीब ढ़ाई साल पूर्व वह अच्छेलाल साह के पुत्रों के साथ बाहर कमाने के लिए गया। जहां से वह अभी तक लौट कर घर नहीं आया। नैना कुंअर ने बताया कि काफी जोर दबाव व प्रलोभन देकर उनलोगों द्वारा मेरे बेटे को बाहर ले जाया गया। उसके जाने के बाद अच्छेलाल साह द्वारा मुझे उसकी कमाई का पैसा कपड़ा आदि दिया जाता था। जिससे मैं अपना भरण पोषण करती थी। लेकिन बाद में पैसा देना भी बंद कर दिया गया। छठ पर्व पर बेटे को बाहर से बुलाने व उसका पता जानने के लिये जब गई तो अच्छेलाल साह द्वारा कुछ भी बताया नहीं गया। जिसके बाद नवम्बर 2016 में इस मामले को लेकर न्यायालय में परिवाद दर्ज कराया गया है। परिवाद के आधार पर प्राथमिकी दर्ज हुई। प्राथमिकी दर्ज होने को भी छह माह से अधिक समय गुजर चुका हैं लेकिन उमाशंकर का कोई अता पता नही चल सका है। नैना कुंअर अब आखिरी सांसे गिन रही हैं। केस के आईओ मोहनलाल पासवान ने बताया कि मामले का अभी अनुसंधान जारी है। पुलिस के लिए यह वाक्य शायद रोज की साधारण बात है लेकिन एक मां के लिए तिल तिल मरने के समान।