छोड़ेंगे ना हम तेरा साथ... पति-पत्नी के प्यार की अनोखी मिसाल, जानकर रो पड़ेंगे आप
पति-पत्नी के प्यार की अनोखी मिसाल..पति-पत्नी में गहरा प्यार था। पति को हार्ट अटैक आया और मौत हो गई। पति के शव को प्रणाम कर पत्नी ने भी दम तोड़ दिया। दोनों के शव देखकर लोग रो पड़े।
सारण, जेएनएन। अग्निदेव को साक्षी मान सात फेरे लेकर साथ निभाने का संकल्प लेने वाली धर्मपत्नी ने दुनिया को छोडऩे में भी अपने पति का साथ निभाया। मामला दाउदपुर थाना क्षेत्र के पिलुईं एवं जलालपुर के रुसी गम्हरिया गांव से जुड़ा है। पति-पत्नी के बीच काफी गहरा प्रेम था और दोनों ने साथ जीने-मरने की कसम खाई थी और उस कसम को जीते जी निभाने के साथ ही मरने के वक्त भी निभाया।
घटना छपरा जिले के जलालपुर थाना क्षेत्र के गम्हरिया गांव की है जहां सोमवार की सुबह करीब 6 बजे गांव में रिटायर्ड फौजी रामेश्वर प्रसाद को हार्ट अटैक आ गया। परिजन उन्हें तुरंत लेकर डॉक्टर के पास पहुंचे जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।
रामेश्वर प्रसाद का शव रुसी गम्हरिया गांव लाया गया। पत्नी कृष्णा देवी ने पति के शव को देखा फिर उनके सिर में तेल लगाया और चरण स्पर्श कर बैठी तो लगा कि अचेत हो गई। लेकिन जांच करने पर पता चला कि पति के शव को प्रणाम करने के बाद उन्हें भी हार्ट अटैक आ गया और वो भी अपने पति के साथ परलोक सिधार गईं।
डॉक्टर का कहना था कि पति की हार्ट अटैक से मौत की खबर सुन पत्नी को भी हार्ट अटैक आ गया। आधे घंटे के अंदर दोनों पति-पत्नी की मौत हो गई। घर से एक साथ पति-पत्नी की अर्थी उठने से पूरा गांव सदमे में है। पिलुईं गांव के स्वर्गीय चंदेश्वर सिंह के पुत्र रामेश्वर सिंह जलालपुर के रुसी गम्हरिया गांव स्थित अपने ससुराल में रहते थे।
सोमवार को सीने में तेज दर्द की शिकायत पर लोग उन्हे इलाज के लिए छपरा लेकर गए। लेकिन छपरा पहुंचते ही उनकी मौत हो गई।
दोनों गांव में यह खबर सुन लोगो की जुबान से एक ही शब्द निकलता था दोनो का प्रेम अटूट है। मालूम हो कि रामेश्वर प्रसाद के दो पुत्र व दो पुत्री है। फिलहाल पुत्र दिल्ली में है। इस घटना के बाद फ्लाइट से पटना आकर फिर घर पहुंचे। परिजनों का रो रोकर बुरा हाल है।
मृतक रामेश्वर प्रसाद तीन भाई है। तीनो भाई असम राइफल्स में नौकरी करते थे । वे आठ साल पूर्व रिटायर हुए और ससुराल में रहते थे। दो भाई पिलुई गांव में रहते है। लोगो का कहना है कि कृष्णा देवी व रामेश्वर में काफी प्रेम था । दोनो हमेशा एक दूसरे के साथ रहे।
कार्तिक मास की इस चतुर्दशी को बैकुंठ चतुर्दशी बताते हुए लोगों ने आदर सहित दिवंगत दंपति को नमन किया। मिली जानकारी के अनुसार एक साथ दोनों की अंत्येष्टि सेमरिया घाट पर की गई।