रमजान में अल्लाह अपने बंदों पर बेहिसाब रहमत बरसाता हैं
छपरा। रमजान मुबारक की पहली रात आती है तो जहन्नम के सारे दरवाजे बंद हो जाते हैं। माहे रमजान के इस्तक
छपरा। रमजान मुबारक की पहली रात आती है तो जहन्नम के सारे दरवाजे बंद हो जाते हैं। माहे रमजान के इस्तकबाल के लिए जन्नत को पूरे साल सजाया जाता है। यह रमहतों व बरकत का महीना है। अल्लाह अपने बंदों पर बेहिसाब रहमत बरसाता है। रोजेदार के लिए एक खास फजीलत ये है कि रोजेदार का सोना भी इबादत में शामिल है।पूरे महीने रोजदार पर रहमत और बरकत बरसता है। इफ्तार के पहले मांगी गई दुआएं अल्लाह पाक पूरी करते है। गुनाहों की माफी मिलती है। घरों में तिलावत से बरकते भर जाती है। ये नेकी कमाने का महीना है। रमजान एक पाक महीना है इस महीने में खुदा शैतानों को कैद कर के रख देते है। रामजान पर इस्लामिक विद्वान एवं मौलाना से बातचीत की गई। प्रस्तुत है उसके प्रमुख अंश : - फोटो 20 सीपीआर 2
कुरान करीम दुनिया व आखिरत में कामयाबी की जमानत है। यह बड़ी मुकद्दस किताब है। रमजान शरीफ के महीने में कुरान खूब पढ़ना चाहिए। कुरान पूरी दुनिया में अमन का पैगाम देता है।
मौलाना इद्रिशसुल कादरी फोटो 20 सीपीआर 3
रोजा खालिक और मखलूक यानी अल्लाह तआला और उसके बंदा को करीब से करीब लाने का बेहतरीन जरिया है। रोजा मुकम्मल ईमान होने यानि मुसलमान की हकीकी मानी व मतलब को प्रदर्शित करता है। रोजा में नुमाईश नहीं है। रोजा ईमान को तकबियत करता है और रूहानी ताकत को बल प्रदान करता है। इफ्तार का सामान सामने मौजूद है और रोजेदार देख रहा है। लेकिन जबतक मोअज्जीन की अजान कान को सुनाई नहीं पड़ती । तबतक रोजदार एक दाना भी मुंह में नहीं डालता है।
आमगीर दानिश फोटो 20 सीपीआर 4
आखों से बिन होने के बाद भी मैं पूरे ईमान के साथ रोजे और उसके सारे फर्ज को अदा करता हूं। रोजे रखने एवं इबादत करने से दिली सुकून मिलता है। रमजान शरीफ में अल्लाह फरमाता है कि रोजा मेरे लिए है और इसका बदला में ही अता फरमाऊंगा। यह बहुत ही अफजल महीना है। इस महीने में मुसलमान की सभी गुनाहों की बख्शीश होती है।
मौलाना साजिद मिस्बाही
फोटो 20 सीपीआर 5
रमजान बहुत ही बरकतों का महीना है इस माहे मुबारक में एक नेकी का सवाल आम दिनों में 70 नेकी करने के बराबर है इस महीने में अपनी कमाई का ढाई प्रतिशत हिस्सा निकाल कर गरीबों, अनाथ व भूखों को दान करना चाहिए।
मौलाना रज्जब अली
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रमजान में शैतान कैद रहता है और जन्न्त के आठों दरवाजे खोल दिये जाते है और रोजादार जब प्यास की शिद्दत को बर्दाश्त करता है तब अल्लाह पाक अपने फरिश्तों के बीच में अपने रोजदार बन्दे का जिक्र करता है।
हाफिज साहेब रजा खान छपरवी