मनुष्य के लिए आदर्श आचार संहिता है रामचरितमानस
बजरंग चौक शामकौरिया में चल रहे हनुमज्जयंती समारोह के 36 वें अधिवेशन में आध्यात्मिक मंच से प्रवचन करते हुए अंबिका स्थान, आमी के मानस मर्मज्ञ शिववचनजी महाराज के कहा कि गोस्वामी तुलसीदास रचित रामचरित मानस एक कालजयी ग्रंथ है।
फोटो 18 सीपीआर
संसू, इसुआपुर: बजरंग चौक शामकौरिया में चल रहे हनुमज्जयंती समारोह के 36 वें अधिवेशन में आध्यात्मिक मंच से प्रवचन करते हुए अंबिका स्थान, आमी के मानस मर्मज्ञ शिववचनजी महाराज के कहा कि गोस्वामी तुलसीदास रचित रामचरित मानस एक कालजयी ग्रंथ है। यह मनुष्य के लिए एक आदर्श आचार संहिता है। यह हमें अधिकार, कर्तव्य एवं धर्म के आधारभूत तत्वों का बोध कराता है । मानस के नायक भगवान श्रीराम एक आदर्श पुत्र, आदर्श अग्रज, आदर्श शिष्य एवं आदर्श सम्राट के रूप में रूपायित है । रामचरितमानस की तुलना कैलाश मानसरोवर से की जाए तो दोनो में मानस श्रेष्ठ है। वहां पानी है, तो मानस में संतो की वाणी। वहां एक रस है तो मानस में नौ रस है। ये हैं शृंगार, हास्य, करुणा, अद्भुत, वीर, वीभत्स, रौद्र ,भयानक और शांत रस । मानसरोवर में डूबने का डर है तो मानस भवसागर से पार उतारती है।
कथावाचक ने कहा कि तभी तो गुप्त, निराला, इकबाल व कैफी से लेकर विदेशी विद्वान जार्ज ग्रियर्सन, वीए स्मिथ, फादर कामिल बुल्के था सागर में कभी डूबते तो कभी उतराते नजर आते हैं ।