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झमाझम बारिश से सारण में खेती को नुकसान ज्यादा व फायदा कम

सारण में गुरुवार की रात से हो रही बारिश आफत मचा दी है। यह बारिश तूफान व मानसून के समिश्रण वाली है। शहर से लेकर गांव तक चहुंओर पानी ही पानी है। सड़कों पर जलजमाव है तो खेतों में भी पानी भर गया है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 03 Oct 2021 10:17 PM (IST)Updated: Sun, 03 Oct 2021 10:19 PM (IST)
झमाझम बारिश से सारण में खेती को नुकसान ज्यादा व फायदा कम
झमाझम बारिश से सारण में खेती को नुकसान ज्यादा व फायदा कम

जागरण संवाददाता, छपरा: सारण में गुरुवार की रात से हो रही बारिश आफत मचा दी है। यह बारिश तूफान व मानसून के समिश्रण वाली है। शहर से लेकर गांव तक चहुंओर पानी ही पानी है। सड़कों पर जलजमाव है तो खेतों में भी पानी भर गया है। जिला मुख्यालय छपरा शहर की स्थिति नारकीय हो गई है तो गांवों में सर्वाधिक किसान चितित हैं। इस झमाझम बारिश से सारण में फसल को फायदा व नुकसान दोनों हुआ है। बाढ़ वाले इलाकों में जहां धान की रोपनी विलंब से हुई थी वहां तो इस फसल को नुकसान नहीं पहुंचा है। आगात खोती वाले धान के फूल झड़ गए हैं। वहीं बारिश के साथ आए हवा के तेज झोकों ने धान के पौधों को गिरा दिया है। सब्जी की खेती को भी व्यापक नुकसान पहुंचा है। फूल व बालियों वाले धान की फसल को नुकसान

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जिले के वैसे इलाके जो बाढ़ प्रभावित नहीं थे वहां के किसानों ने धान की रोपनी पहले कर दी थी। उन धान के पौधों में कहीं फूल तो कहीं बाली आ गए हैं। हवा के साथ हो रही बारिश से धान के उन पौधों के फूल झड़ गए हैं। बहुतेरे खेत ऐसे भी हैं जहां धान के पौधों में दूधिया बाली आ गए हैं। बालि की भार से वैसे धान के पौधे तेज हवा की झोंकों से गिर गए हैं। किसानों की माने तो जमीन पर गिर गए धान के वे पौध अब खड़े नहीं होंगे। जिन पौधों के फूल झड़ गए उनमें दुबारा फूल शायद ही लगे। ऐसे फसलों वाले किसानों का व्यापक नुकसान हुआ है। हां, देर से रोपी हुई जिन धान के पौधों में फूल व बालियां नहीं आयी है उन्हें इस बारिश से जरूर फायदा हुआ है। इन धान के पौधों के लिए यह बारिश लाभदायक सिद्ध हुई है। सब्जी की खेती करने वाले किसान हैं चितित

रिमझिम व झमाझम बारिश के कारण सब्जी की खेती को नुकसान पहुंचा है। भदई सब्जी की खेती करने वाले ऐसे किसान चितित हैं। इन किसानों ने बैगन, टमाटर, मिर्च, फूलगोभी व पत्तागोभी आदि की खेती हाल ही में की थी। बारिश से सब्जी वाले उन खेतों में पानी लग गए हैं। बहुतेरे सब्जी के लगाए गए पौधे हवा की झोंके से गिर कर जमीन पर आ गए हैं। उनकी चिता यह है कि अब उन्हें दुबारा सब्जी के पौधे लगाने होंगे। इसके लिए उन्हें एक बार फिर नर्सरी तैयार करनी होगी। इससे उन्हें आर्थिक नुकसान हुआ है। खेतों में सरसों की बुआई पर लग गया ब्रेक

बाढ़ग्रस्त इलाके के किसान जो धान की खेती नहीं कर पाए थे, वे अब सरसो व राई की बुआई अपने खाली खेतों में करने की तैयारी कर रहे थे। ऐसे किसानों ने बताया कि उन्होंने लगभग खेत की जुताई पूरी कर ली है। वे सोच रहे थे कि 60 दिन के अंदर सरसों व राई की फसल तैयार कर काट लेंगे फिर गेहूं की खेती करेंगे। आठ-दस दिनों में इन किसानों ने सरसों व राई के बोआई की सोच रखी थी, लेकिन इस बारिश ने सब किए-कराए पर पानी फेर दिया। इनसेट

धान की फसल-78650 हेक्टेयर में लगी थी

बाढ़/अतिवृष्टि से प्रभावित धान का क्षेत्रफल-19420 हेक्टेयर

कुल प्रभावित क्षेत्रफल- 34942 हेक्टेयर

कुल फसल क्षति का क्षेत्रफल-25242 हेक्टेयर

फसल क्षति के प्रखंड : सोनपुर, दरियापुर, दिघवारा, गड़खा, छपरा सदर, रिविलगंज, मांझी, अमनौर, मढ़ौरा, जलालपुर, पानापुर, मशरख एवं तरैया।


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