बरगद व पीपल में भगवान मानने वाले लोग भी इसे लगाने से कर रहे परहेज
सरकारी पौधारोपण की योजनाओं में भी बरगद-पीपल के पौधे शामिल नहीं हो पा रहे।
- सरकारी योजनाओं में भी बरगद-पीपल को तरजीह नहीं, नर्सरियों तैयार होते कम पौधे
जागरण संवाददाता, छपरा : कहते हैं कि पीपल और बरगद के पेड़ों में भगवान बसते हैं। इसके चलते ही धार्मिक स्थलों पर इन पेड़ों की अधिकता रहती है। बरगद राष्ट्रीय पेड़ है। यह हमारे संस्कृति से भी जुड़ा है। लेकिन यह जानने-मानने वाले लोग भी इन पेड़ों को लगाने में रूचि नहीं दिखा रहे। कारण इनके पौधे मिलने की परेशानी और फिर लगाने के लिए अधिक क्षेत्र की जरूरत। सरकारी पौधारोपण की योजनाओं में भी बरगद-पीपल के पौधे शामिल नहीं हो पा रहे। सरकारी और निजी नर्सरियां भी इन पौधों को तैयार करने में रूचि नहीं दिखाते। जिले में बरगद-पीपल के वही पुराने पेड़ ही दिखाई पड़ते हैं, जिन्हें हमारे पूर्वजों ने काफी पहले लगाया था। अब इन्हें लगाने के प्रति लोग उत्सुक नहीं हो रहे। किसान राजदेव सिंह बताते हैं कि पहले सड़कों के किनारे, नहरों-तालाब और नदियों के किनारे पीपल-बरगद के पेड़ ही दिखते थे। इन पेड़ों को जीवन रक्षा के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जाता था। इसी कारण से हमारे पूर्वजों ने इन्हें भगवान का नाम देकर पूजने और रक्षा करने की परंपरा बनाई थी। इनके काटने पर भी मनाही था। वहीं इन पेड़ों को पानी मिलता रहे, इसके लिए इनके जड़ों पर कई पूजन विधि-विधान बनाए गए थे। लेकिन दुखद है कि आज सड़कों की चौड़ीकरण और नहर-नदियों के कटाव ने इन्हें गायब कर दिया। कुछ पुराने पेड़ बचे हैं, जो किसी मठ-मंदिर के संरक्षण में हैं। वर्तमान में लोग बरगद-पीपल नहीं लगाना चाहते। इसके कई कारण हैं। सामाजिक स्तर पर इन पेड़ों से जमीन जाने का खतरा ज्यादा है।
वहीं विभागीय सूत्र का कहना है कि यहां नर्सरी में बरगद और पीपल के पौधे कम ही तैयार हो रहे। जिले के सरकारी नर्सरी में इसकी संख्या एक हजार से ज्यादा नहीं है। निजी नर्सरियों में तो और नगण्य है। निजी नर्सरी वाले लोग बरगद-पीपल के बौने किश्म रखते हैं। क्योंकि लोग घरों के बागवानी में इसे लगाना पसंद करते हैं। इस साल बिहार पृथ्वी दिवस पर जिले में करीब डेढ़ लाख पौधे लगाने का लक्ष्य है। इसके लिए नर्सरियों में पौधे तैयार किए जा रहे हैं। प्रमंडलीय वन पदाधिकारी ने बताया कि इन पौधों में भी बरगद-पीपल की संख्या काफी कम है। वैसे अन्य फलदार पौधे आम, कटहल, अमरूद, आंवला, जामून, शरीफा, महुआ आदि उपलब्ध कराए जा रहे हैं।