मां की मौत पर बेटियों ने दिखाया हौसला, तोड़ी समाज की परंपरा, लोगों ने कहा- सलाम तुम्हें...
बिहार के छपरा जिले के एक गांव में मां की मौत के बाद बेटियों ने घास छीलकर जो पैसे गुल्लक में जमा किए थे उन पैसों से मां का अंतिम संस्कार किया अर्थी को कंधा दिया औऱ मुखाग्नि दी।
सारण, जेएनएन। लॉकडाउन की वजह से फतेहपुर सरेया गांव निवासी राजबलम कुशवाहा सूरत में फंसे हैं। रविवार की रात उनकी 45 वर्षीय पत्नी राजमुनि देवी का निधन हो गया। राजमुनि की तीन बेटियां पूनम, काजल और नेहा घर में थीं। सिर मां का साया छिन जाने से बेटियां बदहवास हो गईं और रो-रोकर उनका बुरा हाल था। दूसरी तरफ मां की अंत्येष्टि के लिए पैसे भी नहीं थे।
तभी उन्हें याद आया कि उन्होंने खेतों में सोहनी (खेतों में घास काटना) कर जो पैसे इकट्ठा किए थे, वो काम आ सकते हैं। गुल्लक को तोड़कर देखा तो उसमें से 2000 रुपये निकले। गुल्लक तोड़कर निकाले गए पैसों से बेटियों ने मां का अंतिम संस्कार किया। इतना ही नहीं, बेटियों ने मां की अर्थी को कंधा दिया और उन्हें मुखाग्नि भी दी।
मांझी प्रखंड के फतेहपुर सरेया गांव में यह बात जैसे ही फैली कि राजबलम कुशवाहा की बेटियां परेशान हैं, लोग मदद को जुट गए। ग्रामीणों ने मृतका की बड़ी पुत्री पिंकी और मौसी के घर रह रही एक अन्य बेटी पूजा को भी इस घटना की सूचना दी।
लड़कियों की परेशानी का वीडियो वायरल होने के बाद लोगों की पहल पर मांझी प्रखंड जीविका समूह से जुड़ीं मृतका राजमुनि की पुत्रियों को जीविका दीदियों ने तत्काल 83 सौ रुपये तथा खाद्य सामग्री दिया। स्थानीय मुखिया व पूर्व जिप सदस्य ने भी क्रमश: पांच-पांच हजार रुपये तथा खाद्य सामग्री उपलब्ध कराई।
मां की मौत पर गुल्लक तोड़ बेटियों ने कफन खरीदे। लॉकडाउन में पिता के बाहर रहने की स्थिति में चार बेटियों ने मां की अर्थी को कंधा दिया तो एक बेटी ने मुखाग्नि देकर समाज की परंपराओं से इतर एक नया अध्याय लिखा। बिहार के सारण जिले के मांझी की इन बेटियों ने जो मिसाल कायम की है, इसकी सभी सराहना कर रहे हैं। अग्नि संस्कार को लेकर लोग अलग-अलग राय देने लगे तभी मृतक की पांचवीं पुत्री ने साहस का परिचय देते हुए स्वयं मुखाग्नि देने का निर्णय किया।