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गांवों से विलुप्त हो रहे घोंसार, मकर संक्रांति पर होती थी भीड़

अब गांवों में घोंसार पर नहीं दिखती लोगों की भीड़। मशीनीकरण के युग में पुरानी व्यवस्था हो रही लुप्त

By JagranEdited By: Published: Tue, 14 Jan 2020 10:40 PM (IST)Updated: Wed, 15 Jan 2020 06:18 AM (IST)
गांवों से विलुप्त हो रहे घोंसार, मकर संक्रांति पर होती थी भीड़

संसू, मढ़ौरा : बदले परिवेश व लोगों की जीवन शैली के कारण गांवों से धीरे धीरे घोंसार विलुल्प हो गए। एक दौर था जब अनाज के दाने भूनने का एक मात्र साधन गांव का घोंसार हुआ करता था।

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खास बात यह कि यहां सिर्फ महिलाओं की भागीदारी थी। पुरुष यहां नहीं जाया करते थे। इसलिए लोग व्यंगात्मक लहजे इसे महिलाओं की सभा का नाम दिया करते थे। इस घोंसार का संचालन एक खास वर्ग की बुर्जुग महिला किया करती थीं। भुंजाई के एवज में लोग उन्हे अनाज का छोटा हिस्सा दिया करते थे। लेकिन मशीनीकरण ने इनके वजूद को ही समाप्त कर दिया है।

शाम में भूंजा खाना था दिनचर्या में शामिल:

गंवई जीवन में शाम के वक्त सूर्यास्त के दौरान भूंजा खाना लोगों की दिनचर्या में शामिल था। इसलिए दिन दोपहर की तुलना में शाम चार बजे से छह बजे तक घोंसार में भीड़ होती थी। मकर संक्रांति के मौके पर लाई बनाने के लिए चावल के फरुही भूंजने को ले घोंसार में काफी भीड़ होती थी।

कृषि अवशेष होता था यहां का ईंधन:

बगीचे में पेड़ों से झरे पत्ते एवं कृषि अवशेष का उपयोग यहां ईंधन के रूप में होता था। जहां पांच से छह फीट लंबी व दो से ढ़ाई फीट गहरे चूल्हे में मिट्टी की हांडी में सफेद बालू इस ईंधन को जलाकर गर्म किया जाता था। लोग अनाज भूंजवाने के अलावा आलू एवं बैगन आदि पकाने के लिए करीब के घोंसार में जाया करते थे। आसमान में दिखेगी मोटू-पतलू एवं मोदी-शाह की जोड़ी

जागरण संवाददाता, छपरा :

मकर संक्रांति में युवा उत्सव के रूप में बनाते थे। इस बार आसमान में मोटू-पतलू एवं मोदी-शाह की जोड़ी दिखेगी। सोनारपट्टी में पतंग बेचने वाले सोनू गुप्ता ने बताया कि बाजार में कार्टून पतंग में मोटू-पतलू, इंस्पेक्टर चिगम, छोटा भीम, टॉम एन जेरी, रूद्रा, सकाल,गट्टू-बट्टू, नोबिता, स्पाइडर मैन, बैटमैन के अलावा कई अन्य किरदारों की तस्वीरों वाली पतंगों की डिमांड है।

बच्चों केा पतंग उड़ाने के लिए धागे भी इस बार कई वेराइटी के बाजारों में आए है। लटाई बच्चों को लुभा रहे हैं। मांझा वाले धागे की भी डिमांड है। कीमत लटाई के साथ 250-300 के बीच है। बाजारों में चाइनिज धागा भी है। लेकिन उसकी बिक्री कम हो रही है। शहर के मौना चौक, करीम चक्र, साहेबगंज सोनारपट़टी, गुदरी बाजार में पतंग की बाजार सज गयी थी। बच्चे पतंग के साथ मांझे वाला धागा भी ले रहे है। वैसे बच्चों ने खुद से मांझा भी बनाया है।

पांच से दो सौ रुपये तक की है पतंग

शहर के साहेबगंज सोनार पट्टी मोहल्ले के पतंग विक्रेता विकास कुमार ने बताया कि हमारे यहां पांच रुपए से लेकर 200 रुपए तक की पतंग उपलब्ध है। राजनीतिक दल के नेताओं के तस्वीर वाली पतंग पांच रुपये से लेकर 30 रूपये तक है। लेकिन इस बार भी मोदी-राहुल को लोग पसंद कर रहे है।


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