विशेष पूजन के साथ मां दुर्गा के हुए दर्शन
प्तमी को शहर से लेकर गांव तक सभी मंदिरो में स्थापित मां दुर्गे की प्रतिमा का नेत्र खोला गया।
छपरा। सप्तमी को शहर से लेकर गांव तक सभी मंदिरो में स्थापित मां दुर्गे की प्रतिमा का नेत्र खोला गया। इसके बाद संपूर्ण वातावरण भक्तिमय हो गया। हवन-पूजा और मंत्रोच्चारण के बाद विद्वान पंडितों ने पूरे विधि विधान के साथ स्थापित प्रतिमा का नेत्र खोला। इस दौरान मां के मनोरम दृश्य के दर्शन के लिए काफी संख्या में भक्तगण मंदिर परिसर में मौजूद रहे। शंखनाद और घड़ीघंट की आवाज के बीच हवन कर कर पट खोला गया। मां का नेत्र खुलने के साथ ही जयकारा से पूरा माहौल भक्तिमय हो गया। मा दुर्गा की आरती उतारने के लिए भक्तजनों की भीड़ लगी रही। इस दौरान सभी मंदिरों को फूलमाला से सजाया गया था। मंदिरों में पूजापाठ के लिए भीड़ लगी रही। वहीं दुर्गा सप्तशती पाठ के लिए काफी संख्या में महिला-पुरुष मंदिर पहुंचे और परिसर में बैठकर पूरे भक्तिभाव से पाठ किया। शहर से गांव तक के सभी मंदिरों को फूलमाला से सजाया गया। पूरे दिन मंदिर परिसर में माता का जयकारा लगता रहा। हालांकि पूजा को शांतिपूर्ण संपन्न कराये जाने को लेकर पूजा समिति के सदस्य भी प्रयासरत दिखे और जिला प्रशासन के निर्देश पर सादगीपूर्ण तरीके से पूजा पाठ कराया गया। इस दौरान मंदिरों पर पूजा के दौरान भी ध्वनि विस्तारक यंत्र का प्रयोग नहीं किया गया। हालांकि शहर के किसी चौक-चौराहे पर भी प्रतिमा स्थापित नहीं की गई है। मंदिर के अलावा शहर के कुछ चौक-चौराहों पर भी लाइटिग की व्यवस्था की गई है। मां दुर्गा के कालरात्रि स्वरुप की हुई पूजा-अर्चना
संसू, दिघवारा : प्रखंड के आमी मंदिर व पूजा पंडाल में भक्ति और उल्लास में श्रद्धालु सराबोर नजर आए। शुक्रवार को आमी गांव स्थित अंबिका मंदिर व डुमरी बुजुर्ग गांव स्थित कलरात्रि मंदिर में मां दुर्गा के सातवें स्वरूप कालरात्रि देवी की विधि विधान से पूजा हुई। मां के इस रूप से कल्याण की कामना की गई। धरा से अंधकार मिटाने के लिए मां कालरात्रि से कामना की गई। घंटा, घड़ियाल की गूंज हुई और देवी आरती, दुर्गा सप्तशती का पाठ किया गया। हर तरफ दुर्गा सप्तशती के श्लोक की ध्वनि गुंजती रही।
वहीं प्रखंड क्षेत्र के नगर पंचायत क्षेत्र के गंगा किनारे शंकरपुर रोड, बस स्टैंड, सब्जी मंडी, धर्मशाला, पेट्रौल पंप, अंबेडकर चौक, नकटी देबी रोड, मालगोदाम, बसंतपुर बरबन्ना, सैदपुर, प्रखंड क्षेत्र के मानुपुर, बरूआं, शीतलपुर, बस्तीजलाल, त्रिलोकचक, कुरैयां आदि क्षेत्रों के पूजा पंडालों में भक्तों की भीड़ जुटी रही। कोरोना संक्रमण को लेकर मेला के आयोजन पर प्रतिबंध है। इस बार लाउडस्पीकर और डीजे के माध्यम से देवी गीत नहीं बजने से माहौल फीका जरूर लग रहा है। इस बार महज पूजा की औपचारिकता पूरी की जा रही है। ना तो रंग बिरंगी बिजली की झालर एवं प्रकाश व्यवस्था ही पंडालों में अभी तक की जा सकी है।
परौना गांव में सात दशकों से स्थापित होती है मां दुर्गे की नौ रूप की प्रतिमा
संसू, तरैया(सारण) : प्रखंड के परौना गांव पूरब टोला स्थित दुर्गा स्थान पर पूजा समिति द्वारा पिछले 75 वर्षो से मां दुर्गे की नौ रूपों की प्रतिमा की पूजा-अर्चना होती आ रही है। शुक्रवार को शारदीय नवरात्र के सप्तमी के दिन स्थापित श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए पट खोला गया। मां दुर्गे के नौ रूपों की पूजा-अर्चना के लिए भक्तों की भीड़ लगी रही। साक्षात मां के दर्शन मात्र से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। यहां की परंपरा में भी लोगों की आस्था है। मान्यता यह है कि जो भक्त मां दुर्गे की शरण में आकर मन्नत मागंते हैं और उनकी मनोकामना पूर्ण होने पर पूजा समिति के यहां पूजा का रजिस्ट्रेशन कराया जाता है। इसके साथ ही पूजा कराने का खर्च एक भक्त वहन करता है। इसके लिए पूर्व में रजिस्ट्रेशन कराना पड़ता है। उसके बाद 15 से 20 वर्षो के बाद मां दुर्गे की पूजा अर्चना का मौका मिलता है। पूजा समिति ने बताया कि अबतक वर्ष 2040 तक का पंजीकरण हो चुका है। इस वर्ष मनोकामना पूर्ण होने पर मकेर थाना के विक्रम कैतुका गांव के शिवरती देवी को पूजा कराने का मौका मिला है। आचार्य चमन पूजन त्रिवेदी, यजमान कामेश्वर सिंह, पूजा समिति के अध्यक्ष उमेश सिंह, सचिव कौशल किशोर सिंह, कोषाध्यक्ष डॉ. चंद्र रंजन सिंह ने बताया कि कोविड-19 के कारण कोई भी सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन नहीं हो रहा है। कोविड 19 के गाइडलाइन का पालन करते हुए पूजा कराया जा रहा है। वहीं इसी गांव के परौना पश्चिम टोला में 1938 से लगभग 82 वर्षो से मां दुर्गा की पूजा होती चली आ रही है।