बच्चों पर न बनाएं अनावश्यक दबाव : डीएम
छपरा। बच्चों की क्षमता अलग-अलग होती है। कोई खेल कूद में आगे रहता है तो कोई पढ़ने में आगे रहता है। कि
छपरा। बच्चों की क्षमता अलग-अलग होती है। कोई खेल कूद में आगे रहता है तो कोई पढ़ने में आगे रहता है। किसी को कला में तो किसी को संगीत में रूचि रहती है। इसलिए अभिभावकों को सबसे पहले अपने बच्चे की क्षमता को पहचानना चाहिए कि वह किस दिशा में जाना चाह रहा है। उसे उस दिशा में आगे बढ़ने का पूरा मौका दें। उस पर अनावश्यक दबाव न बनाएं।
क्रिकेट का भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर को क्रिकेट खेलने में ही रूचि थी। जिससे वह उसमें आगे निकल गए। अगर उनको डॉक्टर बनने के लिए अभिभावक दबाव बनाते तो वह नहीं बन सकते थे। हरेक बच्चों की क्षमता अलग - अलग होती है। किसी को बायोलॉजी में रूचि होती है तो किसी को मैथ में, तो किसी को इतिहास और भूगोल में दिलचस्पी रहती है। उसी के अनुसार बच्चे उस क्षेत्र में आगे बढ़ते हैं। जिसका मन बायोलॉजी में लगता होगा उससे आप इतिहास पढ़ने के लिए दबाव बनाइएगा तो वह कभी नहीं पढ़ सकता है। अभिभावक बच्चों पर अपनी इच्छा को नहीं थोपे। अभिभावकों में बच्चों को पढ़ाने के लिए इंट्रेस्ट होता है, लेकिन सबसे पहले उस बच्चे की रूचि पर ध्यान देना पड़ेगा। जिसमें बच्चे का मन लग रहा है। उसे उसमें आगे बढ़ने का पूरा मौका दें। बच्चों पर अनावश्यक दबाव बनाने से वह भटक जाते हैं। इसलिए अभिभावक से अपील है कि वे अपनी इच्छा को बच्चों पर नहीं थोपें बल्कि उसकी रूचि और उसकी क्षमता को देखते हुए उस क्षेत्र में उसे आगे बढ़ने का पूरा मौका दें, ताकि वह अपने लक्ष्य को हासिल कर सके। सुब्रत कुमार सेन
(भारतीय प्रशासनिक सेवा)
जिलाधिकारी, सारण