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मूर्ति चोरी में पुलिस को अंतरराज्यीय गिरोह पर शक

सारण। बनियापुर थाना क्षेत्र के पैगम्बरपुर गांव स्थित रामजानकी मंदिर से पिछले दिनों हुईं अष्टधातु की

By JagranEdited By: Published: Thu, 15 Mar 2018 04:46 PM (IST)Updated: Thu, 15 Mar 2018 04:46 PM (IST)
मूर्ति चोरी में पुलिस को अंतरराज्यीय गिरोह पर शक
मूर्ति चोरी में पुलिस को अंतरराज्यीय गिरोह पर शक

सारण। बनियापुर थाना क्षेत्र के पैगम्बरपुर गांव स्थित रामजानकी मंदिर से पिछले दिनों हुईं अष्टधातु की मूर्ति चोरी मामले में पुलिस अनुसंधान में अंतरराज्यीय गिरोह पर शक की सुई जा रही है। लेकिन अभी तक पुलिस को सफलता प्राप्त नहीं हो सकी है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक मूर्ति चोरी की घटना के बाद गांव के कई संदिग्ध युवकों को पुलिस द्वारा पूछताछ के लिए लाया गया। लेकिन इससे कोई सार्थक परिणाम नहीं निकल पाया है। जिसके बाद पुलिस अनुसंधान में अब इस चोरी मामले में शक की सुई अंतरराज्यीय गिरोह पर जाने लगी है। पहले तो पुलिस इस बिन्दुओं पर तेजी से काम करती गई कि घटना के दिन उस मंदिर के अंदर का एक दरवाजा खुला हुआ क्यों था। लेकिन इस शक के पीछे भागदौड़ करने से पुलिस को कोई फायदा नहीं हुआ। पुलिस अब आश्वस्त हो रही है कि यह घटना किसी अंतरराज्यीय गिरोह का ही है। अगर पुलिस सूत्रों की मानें तो पिछले दिनों रिविलगंज थाना क्षेत्र के एक मंदिर में हुई अष्टधातु की मूर्ति की चोरी और पैगम्बरपुर में हुई मूर्ति की चोरी एक ही गिरोह का काम हो सकता है। अब पुलिस अनुसंधान इसी ¨बदु पर टिक गया है।

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रिविलगंज और पैगम्बरपुर में मूर्ति चोरी के तरीके में है अंतर

रिविलगंज थाना क्षेत्र के मंदिर में हुई चोरी और पैगम्बरपुर मंदिर से मूर्ति चोरी की वारदात अलग-अलग तरीके से की गई है। बताया जाता है कि रिविलगंज के मंदिर में चोरों द्वारा चहारदीवारी फांद कर मंदिर के अंदर लगे ताले को कट्टर से काट कर चोरी की गई थी। जबकि पैगम्बरपुर मंदिर में मूर्ति की चोरी लोहे के दरवाजे की कुंडी को तोड़ कर की गई थी। इस सिस्टम में चौंकाने वाली बात तो यह है कि अगर उस चोर गिरोह के पास कट्टर मशीन की व्यवस्था रहती तो घुंडी तोड़ने से आसान काम था ताले को कटर से काटना। फिर भी चोरों ने इतना बड़ा जोखिम क्यों लिया? दूसरा तो यह कि कट्टर मशीन से ताला काटने में समय काफी कम लगता है और आवाज कम होती। फिर भी चोरों ने लोहे की कुंडी तोड़ने का जोखिम लिया। इस चोरी कांड की खास बात यह है कि चोरों ने ताला के बदले लोहे की कुंडी को ही तोड़ देना आसान समझा है। जबकि चोरी की अधिकांश वारदातों में ताला तोड़ने या ताला काटने की ही बात सामने आती है। लेकिन इस चोरी की सिस्टम से ऐसा लगता है कि इस चोरी को अंजाम देने वाले चोरों का प्रथम प्रयोग तो नहीं था। वैसे इन सभी ¨बदुओं पर पुलिस की पड़ताल जारी है।

चाहरदीवारी फांद कर मंदिर में प्रवेश करने की आशंका

इस मंदिर के इर्द गिर्द लगभग पांच फीट उंची दीवार है तथा मंदिर के मुख्य गेट पर ताला जड़ा हुआ था। जिससे अनुमान लगाया जा रहा है कि चोर मंदिर के चाहरदीवारी के सहारे ही मंदिर में प्रवेश किया होगा। वहीं मंदिर के चाहरदीवारी के पिछले भाग में लगी लोहे के कंटीले तार को चोरों द्वारा बांध दिया गया था। जिससे अनुमान लगाया जा रहा है कि चोरों द्वारा चोरी करने के बाद वहीं से अष्टधातु की तीनों मूर्तियां निकली गई होगी। जिस एक मूर्ति का वजन लगभग 30 किलो बताया जा रहा है। जिसमें चोरों की संख्या लगभग एक दर्जन आंकी जा रही है। जिस चाहरदीवारी के पीछे से एक पगडंडी रास्ता जाती है। और उसी रास्ते के कुछ दूरी पर मूर्ति के कुछ अवशेष भी पुलिस द्वारा बरामद किया गया था।


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