India Nepal tension: नेपाल से भारत के रिश्ते क्या बिगड़े, भक्तों के इंतजार में यूं बैठे हैं भगवान
India Nepal tension भारत और नेपाल के बीच बिगड़ते रिश्ते का असर बिहार में भी साफ दिख रहा है। यहां सोनपुर जिले के बाबा हरिहरनाथ का दर्शन करने नेपाली लोग आते थे जो अब नहीं आ रहे।
सारण, जेएनएन। नेपाल से भारत के रिश्ते क्या बिगड़े, सोनपुर के बाबा हरिहरनाथ मंदिर आने वाले हजारों नेपाली भक्तों ने मुंह मोड़ लिया। प्रत्येक पावन तिथि से पूर्व नेपाल की राजधानी काठमांडू के अलावा सप्तहरि, महतरी, बारा, परसा, मोरण, विराटनगर तथा कलया आदि से बड़ी संख्या में नेपाली श्रद्धालुओं का यहां आगमन होता था। एक तो कोरोना के कहर से बचाव के मद्देनजर लंबे समय तक लॉक डाउन और उस पर नेपाल सरकार की नीतियों ने ना केवल भारत से सदियों के घनिष्ट संबंधों में दरार पैदा कर दी है, बल्कि सीमांचल क्षेत्रों में दोनों तरफ के आम आदमी के साथ सख्ती भी बरती जा रही है। इसका सीधा असर राजनीतिक हितों के साथ-साथ दोनों देशों के धर्म-कर्म भी पड़ा है।
बाबा हरिहरनाथ मंदिर के पुजारी बमबम पांडेय तथा श्रद्धानन्द पांडेय बताते हैं कि हर साल नेपाल से बस में सवार होकर सैकड़ों नेपाली महिला, पुरुष भक्तों का बाबा हरिहर नाथ मंदिर में आना होता था। वे लोग नेपाल सरकार से मान्यता प्राप्त यहां के लाल मोहरिया पंडा के धर्मशाला में तथा मंदिर के नवनिर्मित यात्री निवास में अपना पड़ाव डालते थे। जिससे मंदिर को आय भी होती थी।
वर्षो पहले बाबा हरिहर नाथ मंदिर के समीप के निवासी स्व पंचानन पांडेय के दादा स्व. रामयादन पांडेय को नेपाल के राजा ने अपनी लाल मोहर से मान्यता दी थी। अब लाल मोहरिया पंडा के रूप में उनके वंशज विजय पंडा तथा जय पंडा पुरखों की इस विरासत को संभाल रहे हैं। नेपाली भक्तों के नहीं आने से लाल मोहरिया धर्मशाला भी सूना पड़ा हुआ है।
लॉक डाउन समाप्त होने तथा मंदिरों के पट खोल दिए जाने के सरकार के आदेश के बाद यह आशा बंधी थी कि अब नेपाली भक्तों का पुन: यहां आना आरंभ हो जाएगा ङ्क्षकतु इसके पहले ही नेपाल सरकार ने अपने ही कारणों से धर्म कर्म, पूजा पाठ तथा रोटी-बेटी के भारतीय संबंधों में खटास पैदा कर दी। मंदिर के आसपास के दुकानदारों का कहना है कि नेपाल का भारत के साथ बेमतलब तनाव का असर वहां के यहां आने वाले श्रद्धालुओं से जुड़े कारोबार पर भी पड़ रहा है।