Move to Jagran APP

सारण में विधान परिषद के हर चुनाव में बदल गया विजेता का चेहरा

बिहार विधान परिषद के स्थानीय प्राधिकार कोटे वाले 24 सीटों पर चुनाव की सुगबुहागट शुरू हो गई है। नगर निकायों के प्रस्तावित चुनाव के पहले विधान परिषद के इन सीटों पर चुनाव के कयास हैं। इन सीटों में एक सीट सारण का भी है। सारण के विधान परिषद सीट के लिए चुनावी अखाड़ा सजने के पूर्व सियासत गरमा गई है। सूबे के सत्ता व विपक्षी खेमा में चुनाव मैदान में उतरने की उबाल दिखने लगी है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 24 Jan 2022 11:18 PM (IST)Updated: Mon, 24 Jan 2022 11:18 PM (IST)
सारण में विधान परिषद के हर चुनाव में बदल गया विजेता का चेहरा
सारण में विधान परिषद के हर चुनाव में बदल गया विजेता का चेहरा

सारण। बिहार विधान परिषद के स्थानीय प्राधिकार कोटे वाले 24 सीटों पर चुनाव की सुगबुहागट शुरू हो गई है। नगर निकायों के प्रस्तावित चुनाव के पहले विधान परिषद के इन सीटों पर चुनाव के कयास हैं। इन सीटों में एक सीट सारण का भी है। सारण के विधान परिषद सीट के लिए चुनावी अखाड़ा सजने के पूर्व सियासत गरमा गई है। सूबे के सत्ता व विपक्षी खेमा में चुनाव मैदान में उतरने की उबाल दिखने लगी है। चुनावी लड़ाकों की तस्वीर अभी पूरी तरह साफ नहीं है, लेकिन संभावना जतायी जा रही है कि सत्ताधारी खेमा एनडीए के बीजेपी उम्मीदवार इस सीट के निवर्तमान विधान पार्षद ई सच्चिदानंद राय होंगे। वहीं महागठबंधन खेमा से सुधांशु रंजन को राजद का भावी प्रत्याशी माना जा रहा है। पंचायत चुनाव संपन्न होने के साथ ही ये दोनों वोटरों की गोलबंदी को सक्रिय हैं। सारण के इस चुनाव का पिछले रिकार्ड दिलचस्प रहे हैं। पिछले तीन चुनाव में हर बार विजेता का चेहरा यहां बदल गया है। पहले चुनाव में हुआ था यहां त्रिकोणीय संघर्ष

loksabha election banner

पंचायती राज व्यवस्था 2001 में सु²ढ़ होने के बाद विधान परिषद के स्थानीय प्राधिकार कोटे का पहला चुनाव 2003 में हुआ था। यह चुनाव दलगत आधार पर नहीं हुआ था और चुनाव मैदान में उतरने वाले सभी सियासी खलीफे निर्दलीय थे। सारण में यह चुनावी संघर्ष त्रिकोणीय हुआ था। बाजी मारी मढ़ौरा के तत्कालीन विधायक स्व यदुवंशी राय के अनुज और वर्तमान विधायक जितेन्द्र कुमार राय के चाचा रघुवंश प्रसाद यादव ने। उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी महाराजगंज के पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह के निकट संबंधी विनय सिंह रहे थे। सोनपुर के बच्चा सिंह तीसरे स्थान पर रहे थे। विधान परिषद के उपसभापति बने सलीम

बिहार विधान परिषद के स्थानीय प्राधिकार कोटे के चुनाव का दूसरा अखाड़ा 2009 में सजा। यह चुनाव दलगत आधार पर हुआ। तत्कालीन विधान पार्षद रघुवंश प्रसाद यादव को राजद ने टिकट दिया। उनका मुकाबला तब के नये सियासी खिलाड़ी सलीम परवेज से हुआ। सलीम परवेज को जदयू ने अपना उम्मीदवार बनाकर मैदान में उतारा। सलीम परवेज ने राजद प्रत्याशी को पराजित कर पहली बार विधान परिषद की दहलीज पर कदम रखा। वहां पहुंचने के बाद उन्हें विधान परिषद के उपसभापति की कुर्सी मिली। सच्चिदानंद राय को पिछली बार मिला ताज

विधान परिषद के इस चुनाव की तीसरी रणभूमि 2015 में तैयार हुई। तत्कालीन विधान पार्षद व विधान परिषद के उपसभापति सलीम परवेज जदयू, राजद व कांग्रेस गठबंधन के प्रत्याशी बन चुनावी रण में उतरे। बीजेपी ने ई सच्चितानंद राय को अपना प्रत्याशी बनाया। मुकाबला कड़ा था और परिणाम बीजेपी के पक्ष में रहा। सच्चिदानंद राय पहली बार यह चुनाव लड़े और विजेता बन विधान परिषद पहुंच गए। वे विधान परिषद में पुस्तकालय समिति के अध्यक्ष बने।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.