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जेपीयू में छात्रों का प्रमाण-पत्र डिजिटल लाकर में नहीं हो सका लाक

जयप्रकाश विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले विद्यार्थियों का अंक पत्र से लेकर पत्रों को आनलाइन करने की योजना अधर में लटकी रही। अब तक छात्रों को इसका लाभ नहीं मिल सका है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 27 Sep 2021 03:29 PM (IST)Updated: Mon, 27 Sep 2021 03:30 PM (IST)
जेपीयू में छात्रों का प्रमाण-पत्र डिजिटल लाकर में नहीं हो सका लाक
जेपीयू में छात्रों का प्रमाण-पत्र डिजिटल लाकर में नहीं हो सका लाक

जागरण संवाददाता, छपरा : जयप्रकाश विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले विद्यार्थियों का अंक पत्र से लेकर प्रमाण-पत्र डिजी लाकर में आनलाइन लाक नहीं हो सका। विश्वविद्यालय प्रशासन ने तीन साल पहले डिजिटल लाकर में विद्यार्थियों के प्रमाण पत्र रखने की योजना बनाई थी। अब तक डिजिटल लाकर तैयार ही नहीं हो सका।

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योजना के तहत विश्वविद्यालय अनुदान आयोग व राजभवन के निर्देश पर विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले लाखों छात्रों के अंक पत्र व प्रमाण पत्र आनलाइन करना था। इसके लिए केंद्र सरकार की संस्था नेशनल सिक्योरिटीज डिपाजिटरी लिमिटेड (एनएसडीएल) विश्वविद्यालय को करार करना था। मानव संसाधन विकास मंत्रालय की पहल पर नैड (नेशलन एकेडमिक डिपाजिट) बनाया गया था। उसमें विश्वविद्यालय के छात्रों के सभी सर्टिफिकेट को अपलोड करना था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। मूल प्रमाण पत्र को लेकर बाध्यता हो जाती खत्म

डिजिटल लाकर बनने से छात्र-छात्राओं को मूल प्रमाण पत्र लेकर घूमने की बाध्यता खत्म हो जाती। वे कही भी मोबाइल व लैपटाप पर अपना सर्टिफिकेट देख सकते थे। जरूरत पड़ने पर कापी भी निकाल सकते थे। फर्जीवाडा रोकने में भी बहुत हद तक विश्वविद्यालय को मदद मिलती। इसको लेकर मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने सभी विश्वविद्यालय प्रशासन को अपने यहां पढ़ने वाले व पूर्व में पढ़कर प्रमाण पत्र ले चुके विद्यार्थियों की डिग्री नैड में अपलोड करने को कहा था, लेकिन इस दिशा में कार्य नहीं हो रहा है।

नेशलन एकेडमिक डिपाजिट पर डिग्रियां करनी थी अपलोड

नैड (नेशलन एकेडमिक डिपाजिट) की वेबसाइट पर छात्रों का अंक पत्र, प्रोविजनल सर्टिफिकेट, माइग्रेशन सर्टिफिकेट व प्रमाण-पत्र अपलोड करना है। विश्वविद्यालय के छात्रों का रिकार्ड आनलाइन होने से सर्टिफिकेट में फर्जीवाड़ा आसानी से पकड़ा जाएगा। नौकरी लगने के बाद डिग्री की जांच को विश्वविद्यालय भेजा जाता था, जिसमें देरी होती थी। सर्टिफिकेट आनलाइन होने के बाद जांच करने में आसानी होगी। कंपनी प्रबंधक आनलाइन प्रमाण-पत्र की जांच कर लेंगे। इतना ही नहीं विद्यार्थियों को सर्टिफिकेट गुम होने व और कहीं भी ले जाने की परेशानी से भी छुटकारा मिलेगी। ------------

क्या है डिजिटल लाकर :

डिजिटल लाकर या डिजी लाकर एक तरह का वर्चुअल लाकर है। इसे डिजिटल इंडिया अभियान के तहत लिया गया था। इसका उपयोग आप अपने प्रमाण-पत्रों को आनलाइन स्टोर करने के लिए कर सकते है। इसमें हम खुद से भी अपना खाता बना सकते हैं। डिजी लाकर खाता बनाने के लिए आपके पास आधार कार्ड का होना अनिवार्य है। डिजी लाकर में देश के नागरिक पैन कार्ड, वोटर आइडी, पासपोर्ट आदि के साथ कोई भी सरकारी प्रमाण-पत्र स्टोर कर सकते हैं। ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के विद्यार्थी मोबाइल एप के माध्यम से डिजी लाकर का इस्तेमाल कर सकेंगे। विद्यार्थियों को ये होंगे फायदे - विद्यार्थी जब चाहें तब डिजिटल लाकर पर देख सकेंगे दस्तावेज।

- दस्तावेज डाउनलोड कर निकाल सकेंगे प्रिट आउट।

- सरकारी-निजी संस्थाएं, शिक्षण संस्थान कर सकेंगे आनलाइन सत्यापन।

- भर्ती एजेंसियां भी जरूरत पड़ने पर कर सकेंगी सत्यापन।

- अंक व प्रमाण-पत्रों में फर्जीवाड़ा होने से रुकेगा।

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जेपी विश्वविद्यालय में नेशनल एकेडमिक डिपाजिट बनाने की प्रकिया चल रही है। उसके लिए नोडल अफसर भी नियुक्त कर दिए गए हैं। जल्द ही यहां के विद्यार्थियों के लिए डिजी लाकर बन जाएगा।

प्रो.(डा.) फारूक अली, कुलपति, जेपी विश्वविद्यालय, छपरा।


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