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जनरेटर के धुआं से लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा बुरा प्रभाव

छपरा। जिला मुख्यालय से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की कमी को पूरा करने के लिए चल रहे कानफोड़ू जे

By JagranEdited By: Published: Sat, 12 May 2018 10:52 PM (IST)Updated: Sat, 12 May 2018 10:52 PM (IST)
जनरेटर के धुआं से लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा बुरा प्रभाव
जनरेटर के धुआं से लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा बुरा प्रभाव

छपरा। जिला मुख्यालय से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की कमी को पूरा करने के लिए चल रहे कानफोड़ू जेनरेटर सेट प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के नियमों की सरेआम धज्जियां उड़ा रहे हैं। इन सेटों की न तो धुएं की नली को नियमों के अनुसार बनाया गया है और न ही यह ध्वनि प्रदूषण को रोकने के नियमों को पूरा कर रहे हैं। बाजारों में दुकानों के आगे रखे जनरेटरों के कारण प्रदूषण में भी खासा इजाफा हो रहा है। जिसके कारण आम आदमी भी प्रभावित हो रहा है। इससे लोगों के स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ रहा है।

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बताया जाता है कि जेनरेटर सेटों को लगाने के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने कई नियम बनाए हैं। इसके अनुसार जेनरेटर सेट पूरी तरह से ध्वनि रहित (साउंड प्रूफ) होना चाहिए। वहीं इसके धुएं की नली की उंचाई पास में बने भवन की उंचाई से डेढ़ गुणा उंचाई तक होनी चाहिए। लेकिन इसका पालन शहर से लेकर कहीं भी नहीं किया जा रहा है। आजकल तो जिले में बिजली की स्थिति काफी अच्छी हो गई है। लेकिन किसी समारोह के दौरान बिजली की कमी से निपटने के लिए हर गली और बाजार में कानफोड़ू जनरेटरों का शोर सुनाई देता है। हम आप शादी ब्याह में जाते हैं, शामियाने के गेट पर या पीछे जनरेटर भड़भड़ा रहा होता है, दफ्तर, बा•ार, अस्पताल, हर जगह इस जनरेटर ने बिजली विरोधी मोर्चा संभाल लिया है। लेकिन वहां रहने वाले लोगों को प्रदूषण के साथ आई बीमारियों का शिकार होना पड़ रहा है वहीं ये जेनरेटर सेट पर्यावरण के लिए बड़ा खतरा साबित हो रहे हैं। जेनरेटर सेटों से निकलने वाला धुआं कई तरह से घातक होता है। इससे निकलने वाला कच्चा धुंआ आसपास रहने वाले लोगों के लिए खतरनाक है। जनरेटर के धुआं से होती हैं कई बीमारियां

जेनरेटर सेटों से जहां वायु प्रदूषण होता है वहीं बड़ी मात्रा में ध्वनि प्रदूषण भी फैलता है। जनरेटर सेट से बड़ी मात्रा में कच्चा तेल निकलता है। जिसके कारण सांस के रोग होत हैं। ध्वनि प्रदूषण के कारण बहरापन, चिड़चिड़ापन के अलावा लगातार ध्वनि के कारण उल्टी की समस्या होती है। इसके अलावा ज्यादा शोर के कारण होने वाली वाइब्रेशन से प्रेगेनेंसी के दौरान बच्चे को हानि होने का खतरा बना रहता है। बताया जाता है कि डीजल ईंजन या जेनरेटर से जो धुआं निकलता है उसमें बारीक से बारीक ऐसे ऐसे तत्व होते हैं जो आपकी सांस की नली से होते हुए फेफड़े को खराब कर देते हैं, दिल के आस पास दौड़ने वाली धमनियों को कम•ाोर कर देते हैं, दिमाग की कोशिकाओं को बेकार कर देते हैं, कुल मिलाकर आपको चंद खतरनाक बीमारियों से लैस कर देते हैं। अगर आप गांवों में रहते हैं तो आप भी डीजल के प्रभाव से मुक्त नहीं हैं। पटवन के लिए डी•ाल जेनरेटर का धुआं आपका भी नुकसान कर रहा है। प्रदूषण से सांस लेने व सुनने में होती है परेशानी

लोगों का कहना है कि नगर निगम और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को इस तरह जेरनेटर लगाने वालों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। जिससे आम लोगों को राहत मिल सके। रतनपुरा निवासी राजेश्वर दत्त उपाध्याय, नगर पालिका चौक निवासी अजय कुमार ¨सह का कहना है कि बिजली न होने की स्थिति में दुकानदारों द्वारा जनरेटरों का प्रयोग करना तो स्वाभाविक है लेकिन दुकानों के आगे जिस तरह से ये जेनरेटर रखे गए हैं उससे लोगों को परेशानी झेलनी पड़ती है। किसी में भी शोर कम करने का इंतजाम नहीं है। धुआं भी आस-पास फैलता रहता है। सड़कों किनारे दुकानों के आगे जनरेटर ध्वनि प्रदूषण करते हुए जहरीला धुआं उगलते हैं। लेकिन इसकी जांच के लिए जिले में कोई व्यवस्था नहीं है। प्रदूषण की जांच करने के लिए जिले में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का कार्यालय तक नहीं है। कहते हैं अधिकारी

जिले में प्रदूषण की जांच करने की कोई व्यवस्था नहीं है। यह कार्य प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड का है। लेकिन जेनरेटर सेट चलाने के लिए भी नियम है। अगर कोई बराबर कानफाड़ू जेनरेटर चलाता है तो उसके खिलाफ शिकायत मिलने पर कार्रवाई की जाती है।

चेतनारायण राय

अनुमंडल अधिकारी, छपरा सदर


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