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वेबिनार में बदलते मौसम में कृषि को सहनशील बनाने पर हुआ मंथन

डॉ.राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा में अंतरराष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन हुआ। जलवायु से कृषि को सहनशील बनाने एवं उसके कुप्रभाव को कम करने विषयक वेबिनार में छह देशों के मौसम विज्ञानियों ने शोध पत्र प्रस्तुत किया।

By JagranEdited By: Published: Sat, 19 Dec 2020 12:47 AM (IST)Updated: Sat, 19 Dec 2020 12:47 AM (IST)
वेबिनार में बदलते मौसम में कृषि को सहनशील बनाने पर हुआ मंथन
वेबिनार में बदलते मौसम में कृषि को सहनशील बनाने पर हुआ मंथन

समस्तीपुर । डॉ.राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा में अंतरराष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन हुआ। जलवायु से कृषि को सहनशील बनाने एवं उसके कुप्रभाव को कम करने विषयक वेबिनार में छह देशों के मौसम विज्ञानियों ने शोध पत्र प्रस्तुत किया। इामें स्वीटजलरैंड, ब्राजील, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया, भारत सहित छह देशों के मौसम विज्ञानियों ने भाग लिया। उद्घाटन करते हुए कुलपति डॉ.आरसी श्रीवास्तव ने कहा कि जलवायु परिवर्तन कृषि के क्षेत्र में एक चुनौती के रूप में खड़ा है। इस चुनौती का जवाब वैज्ञानिकों के द्वारा शोध किए गए नए-नए अनुसंधान एवं तकनीक से ही हम कर सकते हैं। तीन दिनों तक चले चितन एवं मंथन में जलवायु परिवर्तन का खेती पर प्रभाव एवं उसका आंकलन करना, कृषि को टिकाऊ बनाने के लिए जलवायु से सहनशील खेती, मौसम सेवाओं का कृषि में उपयोग, मौसम आधारित फसल मॉडलिग, कृषि मौसमी एवं अंतरिक्ष विज्ञान का कृषि में उत्पादन वृद्धि में उपयोग पर शोध पत्र प्रस्तुत किया गया। इस पर वैज्ञानिकों ने आपस में विचार-विमर्श कर नवीनतम तकनीक विकसित करने का निर्णय लिया। अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के कृषि अधिष्ठाता डॉ. केएम सिंह ने कहा कि कृषि को टिकाऊ एवं जलवायु सहनशील बनाने के लिए कुछ उपायों पर सुझाव दिया गया है। मौसम वैज्ञानिक डॉ. अब्दुल सत्तार ने बताया कि इस वेबिनार में कुल 900 से अधिक देश-विदेश के वैज्ञानिक शोधकर्ताओं ने अपना पंजीकरण कराया था। वेबिनार में भारत मौसम विभाग नई दिल्ली के डॉ. केके सिंह, डब्ल्यूएम जेनेवा स्विट्जरलैंड के डॉ. एम.शिवकुमार, डॉ. पीटर डारवट. विश्व बैंक के एंड चट्टोपाध्याय, कृषि मंत्रालय बंग्लादेश के पूर्व महानिदेशक डॉ. शमशुल हुदा, केंद्रीय कृषि अनुसंधान संस्थान हैदराबाद के डॉ. ओरिवाल्डो, एग्रीकल्चर रिसर्च स्पो‌र्ट्स फाउंडेशन ब्रा•ाील सहित कई मौसम विभाग से जुड़े वरीय वैज्ञानिकों ने भाग लिया।

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