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कोरोना की तीसरी लहर से बच्चों को बचाने के लिए वार्ड तैयार

कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों पर कोरोना के असर की आशंका को देखते हुए बचाव की तैयारियां तेज हो हो गई हैं। भले ही जिले में अभी तक कोई मामला अभी सामने नहीं आया है लेकिन स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि इस बीमारी से निबटने को लेकर सारी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 25 May 2021 01:02 AM (IST)Updated: Tue, 25 May 2021 01:02 AM (IST)
कोरोना की तीसरी लहर से बच्चों को बचाने के लिए वार्ड तैयार
कोरोना की तीसरी लहर से बच्चों को बचाने के लिए वार्ड तैयार

समस्तीपुर । कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों पर कोरोना के असर की आशंका को देखते हुए बचाव की तैयारियां तेज हो हो गई हैं। भले ही जिले में अभी तक कोई मामला अभी सामने नहीं आया है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि इस बीमारी से निबटने को लेकर सारी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। इसकी रोकथाम के साथ आवश्यक तैयारियों के साथ स्वास्थ्य विभाग की ओर से ग्राउंड लेवल पर प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग ने संक्रमण की स्थिति में बच्चों को तत्काल इलाज देने के लिए पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट (पीकू) को समृद्ध करने की दिशा में तेजी से कार्य शुरू कर दिया है। हालांकि, पूर्व से 5 बेड का एक वार्ड भी तैयार कर लिया गया है। वहीं निर्माणाधीन पीकू वार्ड को 15 दिनों के अंदर चालू स्थिति में रखने का टास्क भी दिया गया है। गांवों में संक्रमित हुए बच्चों के इलाज के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में भी व्यवस्था को समृद्ध किया जा रहा है।

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कोरोना की तीसरी लहर की संभावना को देखते हुए विशेषज्ञ इसे बच्चों के लिए खतरनाक बता रहे हैं। बच्चों को सुरक्षित रखने के लिए अभी से सजग रहने की जरूरत है। बच्चों को कोरोना की तीसरी लहर से बचाने को रोडमैप तैयार किया जा रहा है। कोरोना की तीसरी लहर बच्चों पर ज्यादा प्रभाव डाल सकती है। बच्चों पर है अधिक खतरा

विशेषज्ञों ने कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों पर संक्रमण का ज्यादा खतरा बताया है। आशंका जताई जा रही है कि प्रतिरोधक क्षमता कम होने के कारण बच्चे तीसरी लहर में कोरोना संक्रमण की चपेट में आ सकते हैं। दूसरी लहर में ऑक्सीजन समेत अन्य संसाधनों दुरुस्त करने के साथ-साथ बच्चों के इलाज के लिए अभी से तैयारी पूरी की जा रही है। इंसेफेलाइटिस वार्ड पहले से ही समृद्ध

सदर अस्पताल का इंसेफेलाइटिस वार्ड पहले ही बच्चों के इलाज के लिए उपकरणों से लैस है। इस कारण इस वार्ड में संसाधनों की कोई कमी ही नहीं है। इलाज की अच्छी व्यवस्था और स्वच्छता के प्रति लोगों की जागरूकता के कारण इंसेफेलाइटिस के मामले काफी कम हो गए हैं। सदर अस्पताल में भी भर्ती करने के इंतजाम

सदर अस्पताल में काफी पहले से इंसेफेलाइटिस आइसीयू वार्ड बनाया गया है। इस वार्ड में बच्चों को भर्ती किया जाता है। कोरोना के बच्चों के प्रभाव की आशंका को देखते हुए जिला अस्पताल प्रशासन इस वार्ड को बच्चों के इलाज के लिए व्यवस्थित करने में जुटा है। वार्ड में वेंटीलेटर की भी व्यवस्था

सदर अस्पताल में फिलहाल इंसेफेलाइटिस वार्ड तैयार कर लिया गया है। इसमें पाइपलाइन ऑक्सीजन के साथ वेंटीलेटर की भी व्यवस्था की गई है। सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भी एक-एक बेड को सुरक्षित रखा गया है। इसके लिए आवश्यक उपकरण व दवा भी उपलब्ध करा दी गई है। जबकि, कई प्रकार की अन्य दवाओं की खरीदारी की प्रक्रिया भी जारी कर दी गई है।


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