सदर अस्पताल में हेपेटाइटिस मरीजों के लिए खुलेगा ट्रीटमेंट सेंटर
हेपेटाइटिस के मरीजों को इलाज के लिए अब परेशान नहीं होना पड़ेगा। स्वास्थ्य विभाग ने नेशनल वायरल हेपेटाइटिस कंट्रोल प्रोग्राम मैनेजमेंट के तहत सदर अस्पताल में ट्रीटमेंट सेंटर खोलने की प्रक्रिया शुरू की है।
समस्तीपुर । हेपेटाइटिस के मरीजों को इलाज के लिए अब परेशान नहीं होना पड़ेगा। स्वास्थ्य विभाग ने नेशनल वायरल हेपेटाइटिस कंट्रोल प्रोग्राम मैनेजमेंट के तहत सदर अस्पताल में ट्रीटमेंट सेंटर खोलने की प्रक्रिया शुरू की है। गंभीर मरीजों को इंडोर में इलाज के दौरान निशुल्क जांच की सुविधा भी उपलब्ध कराई जाएगी। हेपेटाइटिस बीमारी के संबंध में लोगों को जागरूक करने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में प्रचार-प्रसार किया जा रहा।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वायरल हेपेटाइटिस को टीबी व एड्स से भी खतरनाक माना है। वायरल हेपेटाइटिस में ए, बी, सी, डी और ई आते हैं। डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के मुताबिक, 2.85 प्रतिशत मौतें इसकी वजह से हुई हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के सदस्य देशों ने वायरल हेपेटाइटिस को वर्ष 2030 तक समाप्त करने का संकल्प लिया था। इसी क्रम में भारत सरकार ने भी वर्ष 2030 तक वायरल हेपेटाइटिस के उन्मूलन की दिशा में प्रतिबद्धता जताते हुए राष्ट्रीय वायरल हेपेटाइटिस नियंत्रण कार्यक्रम शुरू किया है। हेपेटाइटिस के प्रकार
हेपटाइटिस को फैलाने के लिए मुख्यत: पांच प्रकार के वायरस ए, बी, सी, डी और ई को जिम्मेदार माना जाता है। हेपेटाइटिस बी और सी के मरीजों में लिवर कैंसर की आशंका बढ़ जाती है। हेपेटाइटिस ए और ई का संक्रमण दूषित पानी और खाने से फैलता है। हेपेटाइटिस बी का वायरस इंजेक्शन, संक्रमित खून चढ़ाने या असुरक्षित यौन संबंध के कारण फैलता है। हेपेटाइटिस बी, सी और डी संक्रमित व्यक्ति के ब्लड या अन्य प्रकार के तरल पदार्थों के संपर्क में आने से फैलता है। यह संक्रमित रक्त, सूई या ऐसे ही अन्य मेडिकल उपकरणों के प्रयोग से भी होता है। हेपेटाइटिस बी का वायरस संक्रमित स्त्री के गर्भस्थ शिशु में भी फैल सकता है। सहवास के जरिए पुरुषों की तुलना में स्त्रियों को हेपेटाइटिस बी और सी होने की आशंका अधिक रहती है। गर्भवती स्त्रियों और बच्चों का इम्यून कमजोर होता है, अत: उनका विशेष ध्यान रखना चाहिए। वर्जन
सदर अस्पताल में शीघ्र हेपेटाइटिस मरीजों के इलाज के लिए ट्रीटमेंट सेंटर खोला जाएगा। इसमें मरीजों को निशुल्क दवा के साथ-साथ पैथोलॉजिकल जांच की भी सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। इसको लेकर प्रक्रिया चल रही है।
डॉ. सतीश कुमार सिन्हा
सिविल सर्जन, समस्तीपुर।