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मिथिला पेंटिंग से पूरी तरह सजकर निकली देश की पहली ट्रेन, देखकर लोग कह उठे- वाह

बिहार के दरभंगा से पूरी तरह मिथिला पेंटिंग से पूरी तरह से सज्जित देश की पहली ट्रेन का परिचालन हुआ। इससे देश-दुनिया में मिथिला की प्राचीन विरासत को पुन: नई पहचान मिलेगी।

By Amit AlokEdited By: Published: Tue, 16 Oct 2018 09:51 PM (IST)Updated: Tue, 16 Oct 2018 09:51 PM (IST)
मिथिला पेंटिंग से पूरी तरह सजकर निकली देश की पहली ट्रेन, देखकर लोग कह उठे- वाह
मिथिला पेंटिंग से पूरी तरह सजकर निकली देश की पहली ट्रेन, देखकर लोग कह उठे- वाह

समस्तीपुर [जेएनएन]। मिथिला पेंटिंग से सज-धजकर जब बिहार संपर्क क्रांति एक्सप्रेस ट्रेन की सभी बोगियां निकलीं तो देखने वाले वाह-वाह कर उठे। इसमें यात्रा करने वाले खुद गौरवान्वित महसूस कर रहे थे। पहली बार मिथिला पेंटिंग से सजी बिहार संपर्क क्रांति की सभी 24 बोगियां मंगलवार को दरभंगा से नई दिल्ली के लिए रवाना हुईं।

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डीआरएम ने किया ट्रेन से सफर

मंडल रेल प्रबंधक (डीआरएम) रविंद्र कुमार जैन ने समस्तीपुर जंक्शन पर ट्रेन की सभी बोगियों पर उकेरी गई मिथिला पेंटिंग का जायजा लिया। डीआरएम ने अपनी टीम के साथ समस्तीपुर से हाजीपुर तक इस ट्रेन से सफर किया एवं यात्रियों से बातचीत कर उनकी प्रतिक्रियाएं लीं। हाजीपुर स्टेशन पहुंचने पर पूर्व मध्य रेल के महाप्रबंधक ललित चंद्र त्रिवेदी भी इस आनंददायक क्षण के गवाह बने।

डीआरएम ने कहा कि इस मिशन को वास्तव में 'स्वच्छता ही सेवा' आगे बढ़ाते हुए 'सेवा से सुंदरता' का नाम दिया जा सकता है। इस ट्रेन की बोगियों पर बनाई गई 'मिथिला पेंटिंग' से न केवल इस कला को प्रचार और विस्तार मिलेगा, बल्कि देश की इस प्राचीन विरासत को पुन: नई पहचान मिलेगी।

पूरी ट्रेन मिथिला पेंटिंग से सुसज्जित

ट्रेन की नौ बोगियां पहले से सजी थीं। फिर 10 बोगियों पर मिथिला पेटिंग उकेरी गई। अब पांच और बोगियों को मिथिला पेंटिंग से सुसज्जित कर दिया गया। क्षेत्रीय कला को स्थान देने वाली इंडियन रेलवे की यह पहली ट्रेन है। मिथिला की संस्कृति में रंगी ट्रेन चलने से मिथिलावासी गदगद हैं।

विदित हो की पहली बार 23 अगस्त 2018 को पेंटिंग से सुसज्जित नौ बोगियाें के साथ पहली बार यह ट्रेन परिचालित हुई थी। फिर 1 अक्टूबर 2018 को 10 बोगियों की पेंटिंग हुई। इसके बाद सोमवार को सभी 24 बोगियां मिथिला पेंटिंग से सज्जित होकर परिचालित हुईं।

पेंटिंग के माध्यम से उकेरा प्राकृतिक सौंदर्य

कोचों पर पेंटिंग के माध्यम से प्राकृतिक सौंदर्य उतारा गया है। बोगियों को जंगल, ग्राम्य जीवन, परिवहन प्रणाली, ग्रामीण रसोई, बेटी-बचाओ बेटी-पढ़ाओ, दहेज प्रथा उन्मूलन, सूर्योदय, नदी में तैरती मछलियां, झरने, फलों से लदे पेड़ सहित अन्य आकृतियों से सजाया गया है। ट्रेन को 25 कलाकारों ने 85 दिन में पूरी तरह पेंट किया है।


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