रोसड़ा में तीन बच्चे डूबे, दो का शव बरामद
रोसड़ा थाना के मुरादपुर एवं लक्ष्मीपुर मोहल्ला में स्नान करने गए तीन किशोर नदी में डूब गए। इसमें से दो का शव बूढ़ी गंडक नदी में उपलाता हुआ मिला वहीं एक की खोज जारी है।
समस्तीपुर । रोसड़ा थाना के मुरादपुर एवं लक्ष्मीपुर मोहल्ला में स्नान करने गए तीन किशोर नदी में डूब गए। इसमें से दो का शव बूढ़ी गंडक नदी में उपलाता हुआ मिला, वहीं एक की खोज जारी है। मुरादपुर गांव में स्नान करने गए एक किशोर के बागमती नदी में डूबने की सूचना पर पहुंचे प्रशासनिक व पुलिस पदाधिकारी की देखरेख में महाजाल एवं स्थानीय गोताखोरों द्वारा लगातार नदी में शाम तक तलाश जारी थी। इस बीच एनडीआरएफ टीम को बुलाने की मांग को लेकर ग्रामीणों ने रोसड़ा-हथौड़ी पथ को घंटों जाम रखा। गांव के दशरथ पोद्दार का पुत्र राकेश कुमार (17) मंगलवार की सुबह अपने एक मित्र के साथ नदी में स्नान करने गया इसी दौरान गहरे पानी में जाने के कारण वह डूब गया। घटना के करीब 2 घंटे बाद पहुंचे सीओ एवं बीडीओ तथा पुलिस पदाधिकारियों के सहयोग से नदी में महाजाल गिराकर तलाश जारी है। इस बीच आक्रोशित ग्रामीणों ने एनडीआरएफ बुलाने की मांग को लेकर सड़क जाम कर दिया। दूसरी ओर शहर के लक्ष्मीपुर मोहल्ला से सोमवार को स्नान के लिए निकले दो बालक का शव दूसरे दिन बूढ़ी गंडक में उपलाते मिला। परिजनों द्वारा लगातार जारी तलाश के बीच लालू पासवान के पुत्र करण कुमार (13) का शव बेगूसराय जिला के बारा के निकट से तथा दूसरे राज कुमार पासवान के पुत्र अंकित(10)का शव फफौत पुल के निकट से बरामद किया गया। सूचना पर पहुंची पुलिस ने दोनों शव को जब्त कर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। सोमवार को करीब दस बजे दिन में करण एवं अमित स्नान करने के लिए शहर के सीढी घाट गया था। घंटों वापस नहीं लौटने पर आशंका से घिरे परिजनों द्वारा खोजबीन प्रारंभ कर दी गई। दिन रात तलाश के बीच मंगलवार की शाम कुछ घंटों के अंतराल पर ही दोनों का शव अलग अलग स्थानों से नदी से निकाला गया। बालक का शव मिलते ही परिवार वालों के साथ साथ संपूर्ण लक्ष्मीपुर मोहल्ले में मातमी सन्नाटा छा गया है। मां पिता एवं परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। दोनों के घरों पर लोगों की भीड़ लगी है।
मां - बहनों की चीत्कार से गम में डूबा मुरादपुर व लक्ष्मीपुर 17 वर्षीय घर के चिराग के नदी में डूबने से की सूचना मिलते ही परिजनों में कोहराम मच गया। पिता दशरथ पोद्दार एवं मां सुलेखा देवी चीत्कार मारते नदी के तट पर पहुंच गई। वही बहन खुशबू एवं प्रियंका तथा भाई मिथुन भी रोते बिलखते अपने भाई की तलाश में नदी किनारे पहुंचे। घंटों मशक्कत के बाद भी अता- पता नहीं चलते देख ग्रामीणों के सहयोग से घर लौटी मां एवं बहनों का रो-रोकर बुरा हाल था। रोते हुए सभी अपने आपको ही कोस रहे थे कि काश पटना से घर नही आते तो यह हादसा नहीं होता। घर के एक कोने में बैठी राकेश की दादी कुमली देवी की अश्रुधारा रुकने का नाम नहीं ले रही थी। आसपास की महिलाएं लगातार परिजनों को ढांढस बंधाने का प्रयास कर रही थी। बताते चलें कि दशरथ पोद्दार पटना में रहकर ही कबाड़ी का काम करता है। श्रावणी घरी पर्व को ले एक दिन पूर्व ही वह सपरिवार मुरादपुर स्थित अपने घर आया था। कुछ ऐसी ही स्थिति लक्ष्मीपुर में भी है।
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