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सड़कों पर पसरा था सन्नाटा, घर के बाहर भी नहीं झांक रहे थे लोग

समस्तीपुर। आज से ठीक एक साल पहले। 22 मार्च 2020 का दिन। जब प्रधानमंत्री ने कोरोना वायरस संक्र

By JagranEdited By: Published: Sun, 21 Mar 2021 11:05 PM (IST)Updated: Sun, 21 Mar 2021 11:05 PM (IST)
सड़कों पर पसरा था सन्नाटा, घर के बाहर भी नहीं झांक रहे थे लोग
सड़कों पर पसरा था सन्नाटा, घर के बाहर भी नहीं झांक रहे थे लोग

समस्तीपुर। आज से ठीक एक साल पहले। 22 मार्च 2020 का दिन। जब प्रधानमंत्री ने कोरोना वायरस संक्रमण के चेन को तोड़ने के लिए जनता क‌र्फ्यू की घोषणा की थी। उस दिन सुबह सात बजे से लेकर रात के नौ बजे तक पीएम के अपील पर पूरे जिले के लोगों ने अपने को घरों में कैद कर लिया था। सुबह से ही वाहनों की आवाजाही पूरी तरह ठप थी। सड़क पर पूरी तरह सन्नाटा पसर गया था। पीएम की अपील का असर यह था कि बाजारों में भी पूरी तरह वीरानगी दिखाई दे रही थी। न तो एक भी दुकान खुले थे और न ही ग्राहक ही कहीं नजर आ रहे थे। स्कूल से लेकर दफ्तर तक में वीरानगी थी। पुलिस कर्मी हो या फिर प्रशासन के लोग, वे सब भी पूरी तरह से क‌र्फ्यू का पालन कर रहे थे। कोरोना का डर लोगों में इतना था कि कोई अपने घर से भी बाहर नही झांक रहा था। हमेशा भीड़-भाड़ वाले इलाका माने जाने वाले शहर के बस स्टैंड, स्टेशन, स्टेशन रोड, मारवाड़ी बाजार, ताजपुर रोड समेत शहर का कोई भी ऐसा हिस्सा नहीं था, जहां कोई दिखाई पड़ रहा हो। पहली बार लोगों को क‌र्फ्यू का अहसास हो रहा था। अपने साथ-साथ अपने परिवार एवं समाज के लोगों के जीवन को बचाने के लिए लोगों ने घरों में कैद रहना ही मुनासिब समझा। उस दिन रात नौ बजकर नौ मिनट पर लोगों ने अपने-अपने घरों की बत्तियां बुझा दी। लालटेन, टॉर्च, मोमबत्ती की रोशनी में कोई थाली पीट रहा था, तो कोई घंटी बजा रहा था। कोई शंख बजा रहा था तो कोई ढोल बजाकर कोरोना को दूर भगाने का संकल्प ले रहा था।

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उस दिन को याद कर शहर के घड़ी व्यवसायी श्याम कुमार शर्मा कहते हैं कि पहली बार जीवन में उस तरह का बंदी देखा। वह भी पीएम की सिर्फ अपील पर। न तो कोई जोर जबरदस्ती था और न हीं कोई सख्त कानून। अपने पीएम पर लोगों का भरोसा इतना था कि उनकी एक अपील पर अपने आपको कैद कर लिया। समस्तीपुर कॉलेज के पूर्व प्राध्यापक डॉ. प्रभात कुमार कहते हैं कि देश में पहली बार अभूतपूर्व बंदी देखी। इस तरह की बंदी कभी किसी ने नहीं देखी। लोग अपनी प्राण रक्षा के लिए परिवार समेत घरों में कैद रहे। गृहिणी ममता देवी कहती हैं कि जनता क‌र्फ्यू उस समय की मांग थी। पीएम ने ऐसा कर लाखों-करोड़ों लोगों के जीवन को बचाने का काम किया। हां, परेशानी जरूर हुई । लेकिन लोगों के बीच खुशी इस बात की थी कि हम सबों के ऐसा करने से यहां के लोग कोरोना की भेंट चढने से बच गए। किसान जय किशोर ठाकुर कहते हैं कि जनता क‌र्फ्यू और लॉकडाउन इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया है। सत्तर वर्ष से अधिक की आयु हो गई लेकिन जीवन में ऐसा क‌र्फ्यू और लॉकडाउन नहीं देखा। अजीब सा खौफ था मन में समाया

उस समय को याद कर आज भी लोगों के मन में अजीब सा खौफ मन में समा जाता है। वैसे अभी भी कोरोना संक्रमण अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है लेकिन आमलोगों में इसका कोई खौफ नहीं दिख रहा है। लोग लापरवाही बरत रहे हैं। बगैर मास्क और शारीरिक दूरी के लोग रह रहे हैं। भीड़-भाड़ से बचने की कोशिश भी नहीं करते। जबकि सरकार और स्वास्थ्य विभाग की ओर से लगातार कोरोना को लेकर लोगों को जागरूक किया जा रहा है। टीका लगने के बाद भी लोगों से एहतियात बरतने की अपील की जा रही है। दो गज दूरी, मास्क है जरूरी का पालन नहीं करना लोगों के जीवन को फिर खतरे में डाल सकता है। देश के कुछ राज्यों में अचानक से कोरोना के मामले काफी बढ़ रहे हैं। कई जगहों पर लॉकडाउन लागू कर दिया गया है। लोगों की मौत भी लगातार हो रही है। ऐसे में एक बार फिर सभी को सतर्कता बरतने की दरकार है, जिससे खुद के साथ-साथ दूसरों को भी इस कोरोना वायरस से सुरक्षित रख सकें।


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