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काली सड़कों पर हर दिन पानी की तरह बह रहा खून का लाल रंग

मंगलवार को कटिहार जिला के कुरसेला और रोसड़ा-बेगूसराय सीमा जीरोमाइल की दो अलग अलग सड़क दुर्घटना में रोसड़ा और बिथान के दस लोगों की मौत हो गई। कटिहार जिला के कुरसैला में मरने वाले एक ही परिवार के छह सदस्य थे। वहीं जीरोमाइल में दो छात्रा समेत चार लोग काल के गाल में समा गए।

By JagranEdited By: Published: Thu, 25 Feb 2021 12:33 AM (IST)Updated: Thu, 25 Feb 2021 12:33 AM (IST)
काली सड़कों पर हर दिन पानी की तरह बह रहा खून का लाल रंग
काली सड़कों पर हर दिन पानी की तरह बह रहा खून का लाल रंग

समस्तीपुर । मंगलवार को कटिहार जिला के कुरसेला और रोसड़ा-बेगूसराय सीमा जीरोमाइल की दो अलग अलग सड़क दुर्घटना में रोसड़ा और बिथान के दस लोगों की मौत हो गई। कटिहार जिला के कुरसैला में मरने वाले एक ही परिवार के छह सदस्य थे। वहीं जीरोमाइल में दो छात्रा समेत चार लोग काल के गाल में समा गए। यह घटना न पहली है न आखिरी। लेकिन, यह बताने के लिए काफी है कि यातायात व्यवस्था पूरी तरह बेपटरी हो गई है। इसके चलते आए दिन सड़क हादसों में लोगों की मौत हो रही है। काली सड़क की काली छाया लोगों का खून निगल रही है। सड़क दुर्घटना में किसी ने बाप, मां, बहन, भाई, पति और किसी ने बेटा व बेटी खो दिया। वहीं हमेशा के लिए किसी परिवार की खुशियां छीन गई। उनके चिराग बुझ गए। इसके अलावे कई लोग, जो दुर्घटना में अंग भंग होने के कारण आजीवन दंश झेलने को मजबूर हैं। जिला पुलिस रिकॉर्ड में दर्ज आंकड़ों पर गौर करें तो हर दिन जिले में दो सड़क दुर्घटनाएं हो रही हैं। प्रत्येक माह औसतन 20 लोग अपनी जान गंवा रहे हैं। बीते माह जनवरी में जिले के विभिन्न इलाकों में 14 लोग सड़क दुर्घटना में अपनी जान गंवा दिए। वहीं फरवरी माह में अबतक 17 लोगों की मौत हो गई। जबकि, हाल ही में सड़क सुरक्षा माह के तहत प्रशासन की ओर से अभियान चलाकर यातायात के प्रति लोगों को जागरूक किया गया। लेकिन, अभियान का असर कागज में ही सिमट गया। लोगों पर इसका प्रभाव देखने को नहीं मिल रहा है। इन हादसों को रोकने के लिए किए जा रहे प्रबंध नाकाफी साबित हो रहे हैं।

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सिकुड़ रहीं सड़कें, वाहनों का बढ़ रहा दबाव

दो पहिया और चार पहिया वाहनों की संख्या बढ़ती जा रही है। सड़क दुर्घटना का सबसे बड़ा कारण तेज रफ्तार और चालकों में अनुभव की कमी। इसके बावजूद हर दिन एक नए और अप्रशिक्षित लोग सड़कों पर वाहन लेकर फर्राटा भरते नजर आ जाते हैं। जिले में औसतन प्रत्येक माह 10 हजार बाइक और 100 से 150 चौपहिया वाहनों का निबंधन किया जा रहा है। इसके कारण सड़क पर वाहनों अत्यधिक अत्यधिक दबाव बढ़ता जा रहा है। इसके अलावे तेज रफ्तार, कम चौड़ी सड़क और ओवरलोडिग भी सड़क हादसे के कारक हैं।

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सड़क पर अतिक्रमण का कब्जा, जर्जर वाहन भी है हादसों की वजह

वाहनों की तेज रफ्तार और चालकों की लापरवाही के साथ साथ दुर्घटना के कारणों पर गौर करे तो सड़क पर अतिक्रमण और वाहनों का फिटनेस सबसे बड़ा कारण है। यातायात माह चलने के बाद भी सड़कों पर आधे से ज्यादा वाहन बिना फिटनेस के दौड़ रहे हैं। जिन वाहनों में वाइपर है, तो लुकिग ग्लास नहीं। टैक्टर व जुगाड़ गाड़ियों की बात करें तो शत-प्रतिशत वाहनों में परावर्ती पट्टी लगी ही नहीं है और न बैक लाइट है। ऐसे में रात के समय ये सभी दुर्घटनाओं के अहम कारण बनते हैं। सुरक्षा उपायों के प्रति न संबंधित विभाग ही गंभीर है, और न ही आमलोग सुरक्षा और यातायात नियमों का पालन कर रहे हैं। जान की परवाह किए बिना ही चालक तेज रफ्तार से वाहन निकालने की होड़ में लगे हुए हैं। फोरलेन की चौड़ी व आरामदायक सड़कों पर वाहनों की रफ्तार चालक नहीं समझ पा रहे हैं। जिससे सड़क हादसों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। तेज रफ्तार से वाहनों को चलाना युवाओं का शौक बन गया है। साथ ही यातायात नियमों का पालन न करना स्टेटस सिबल बनता जा रहा है।


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