रसायनिक खाद और कीटनाशक के प्रयोग से खेतों की उर्वरा शक्ति हो रही कम : डॉ. केएम सिंह
डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा के संचार केंद्र में मक्का फसल में आइपीएल विषय पर आयोजित 30 दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन हुआ। इसका उद्घाटन विश्वविद्यालय के डीन पीजी डॉ. केएम सिंह ने किया। उन्होंने कहा कि रसायनिक खाद एवं कीटनाशक दवाओं का लगातार प्रयोग किए जाने से खेत की उर्वरा शक्ति के साथ-साथ जलवायु एवं मानव जीवन पर भी इसका असर पड़ रहा है।
समस्तीपुर । डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा के संचार केंद्र में मक्का फसल में आइपीएल विषय पर आयोजित 30 दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन हुआ। इसका उद्घाटन विश्वविद्यालय के डीन पीजी डॉ. केएम सिंह ने किया। उन्होंने कहा कि रसायनिक खाद एवं कीटनाशक दवाओं का लगातार प्रयोग किए जाने से खेत की उर्वरा शक्ति के साथ-साथ जलवायु एवं मानव जीवन पर भी इसका असर पड़ रहा है। यह कृषि वैज्ञानिकों एवं तकनीकी व्यवस्था के लिए बहुत बड़ी चुनौती बन रही है। उन्होंने कहा कि अब कीटनाशक दवाओं के उपयोग के बावजूद बीमारी एवं कीट से निजात मिलने की संभावना कम होती जा रही है। बिहार में तीनों ही मौसम में मक्के की फसल उगाई जाती है। धान एवं गेहूं के विकल्पों के रूप में मक्का एवं इससे बनने वाला आधुनिक उत्पाद विकसित हो चुका है। मौके पर प्रसार शिक्षा निदेशक डॉ एमएस कांडू ने कहा कि जलवायु परिवर्तन को देखते हुए हमें वैज्ञानिकों के द्वारा विकसित तकनीक का ज्यादा से ज्यादा उपयोग एवं अपने खेतों की उर्वरा शक्ति बढ़ाने के लिए जैविक खाद का प्रयोग करना होगा। मौके पर कीट वैज्ञानिक डॉ ए के मिश्रा ने कहा कि आर्मीवर्म कीट मक्के सहित अन्य फसलों के लिए भी चुनौती बन गया है। यह यूरोपीय देशों से भारत में प्रवेश किया है। मौके पर भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान क्षेत्रीय केंद्र के डॉ. के के सिंह, संयुक्त निदेशक संदीप पांडेय, राहुल मिश्रा, डॉ मीरा सिंह, सोमनाथ राय चौधरी, डॉ. एस सी राय, डॉ. एस के जैन सहित कई वैज्ञानिक मौजूद थे।