कल्याणकारी योजनाओं का मिले लाभ, रोजी-रोटी के लिए न जाना पड़े परदेस
मैं हूं विभूतिपुर प्रखंड की सुदूर दक्षिण दिशा में स्थित खास टभका दक्षिण पंचायत। मेरी गोद में बसे कई गांवों को बेगूसराय जिले की सीमा स्पर्श करती है। नजदीकी प्रखंड मंसूरचक है। यूं कह लें कि मुझे दो जिले में होने वाले विकासात्मक हलचल व कार्यों को बहुत करीब से देखने का अवसर निरंतर मिलता रहा है।
समस्तीपुर । मैं हूं विभूतिपुर प्रखंड की सुदूर दक्षिण दिशा में स्थित खास टभका दक्षिण पंचायत। मेरी गोद में बसे कई गांवों को बेगूसराय जिले की सीमा स्पर्श करती है। नजदीकी प्रखंड मंसूरचक है। यूं कह लें कि मुझे दो जिले में होने वाले विकासात्मक हलचल व कार्यों को बहुत करीब से देखने का अवसर निरंतर मिलता रहा है। पंचायत चुनाव 2001 से पूर्व मुझे नरवन-चकबेदौलिया पंचायत के नाम से जाना जाता था। राजनीति के बयानवीरों ने मुझे दो भागों क्रमश: पूरब और पश्चिम में बांटने की निर्बल कोशिश की है। वे निजी स्वार्थ सिद्धि या राजनीतिक फायदा पाने के लिए इन शब्दों को हवा देते रहे हैं। मुझे बहुत चुभती है। पूर्वी भाग में वोटरों की संख्या अधिक होने के बावजूद वर्ष 2001 के पंचायत चुनाव में अमरेंद्र चौधरी उर्फ गिरीश चौधरी मुखिया पद पर निर्वाचित हुए। वर्ष 2006 में आरक्षण की वजह से इस पद पर जालंधर पासवान जीते और दुबारा निर्वाचित होकर 2016 तक पंचायत का मुखिया बने रहे। इसके बाद सामान्य महिला सीट पर पूर्व मुखिया अमरेंद्र चौधरी की पत्नी सुदामा देवी निर्वाचित हुईं। पूरब और पश्चिम की हवा देने वालों को जनता ने करारा जवाब दिया है। विकास को गति मिली है। मंगलवार को दैनिक जागरण की टीम नरवन गांव पहुंची। एक पेड़ की छांव में ग्रामीणों की चौपाल लगी। लोगों ने टीम के समक्ष पंचायत विकास के मुद्दे पर खुलकर बहस की। जहां एक तरफ विकासात्मक कार्यो को उन्मुक्त कंठ से सराहा। वहीं, दूसरी तरफ जनसमस्याओं को भी बेबाकी से रखी। वे कहते हैं कि पंचायत को सारी अत्याधुनिक सुविधाएं मिलनी चाहिए। परदेश में कई ऐसे गांव हैं, जहां पर पढ़ाई की उत्तम व्यवस्था है। यहां भी 24 घंटे बिजली रहे, उच्च शिक्षा की व्यवस्था हो, जल निकासी की पर्याप्त व्यवस्था हो। लोगों को चिकित्सा के लिए बाहर नहीं जाना पड़े। सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाएं सीधे जनता तक पहुंचे। अन्य राज्यों में गांवों की स्थिति अब सुदृढ़ होने लगी है। उसी तर्ज पर यहां के गांवों का भी विकास हो। बेरोजगारों को रोजगार मिले।
-------------------- आम जनता और जनप्रतिनिधियों के बीच मछली और पानी जैसा प्रगाढ़ संबंध का होना जरूरी है। जनकल्याणकारी योजनाओं को ईमानदारीपूर्वक धरातल पर उतारने की जिम्मेवारी निर्वाचित जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों की है। जब तक ये दुरुस्त नहीं होंगे, तब तक सही मायने में विकास की बातें बेईमानी होगी। - दिगंबर चौधरी उर्फ छोटू, ग्रामीण पंचायत के भीतर संपर्क सड़क की आवश्यकता है। गली नाली योजना से कार्य कराया जाना चाहिए। पंचायत स्तर से राशि हस्तांतरण के बावजूद वार्ड सदस्यों द्वारा नल जल योजना का कार्य अब तक पूर्ण नहीं कराया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। -राजीव कुमार चौधरी उर्फ फुल्टुन, ग्रामीण
कृषि आधारित सरकारी योजनाओं का लाभ जानकारी के अभाव में किसानों को नहीं मिल पाता है। इससे वास्तविक किसानों को लाभ नहीं मिल पाता है। किसान सलाहकार और कृषि समन्वयक यदा-कदा ही पंचायत में नजर आते हैं। अधिकारियों को संज्ञान लेना चाहिए। -राधाकांत चौधरी, ग्रामीण फोटो : 15 एसएएम 42
बिहार पंचायत सरकार भवन का निर्माण अब तक ना होना अफसोस की बात है। जरूरी काम को लेकर लोग तकरीबन 18 किलोमीटर दूर प्रखंड मुख्यालय का चक्कर लगाने को विवश हैं। इस दिशा में आला अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को पहल करनी चाहिए ।
- अशोक चौधरी, ग्रामीण
स्वास्थ्य सुविधाओं का घोर अभाव है। प्राथमिक स्वास्थ्य उपकेन्द्र हाथी के दांत बने हुए हैं। रात्रि में अगर कोई बीमार पड़ जाए तो उसे दलसिंहसराय, मंसूरचक आदि की ओर रूख करना मजबूरी है।
-शिवम कुमार चौधरी, ग्रामीण
अन्य राज्यों की भांति हमारा पंचायत अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस हो। यह मेरा सपना है। विगत तीन वर्षों में विकासात्मक कार्य हुए हैं, लेकिन इसे गति प्रदान करने की आवश्यकता है। कुछ सड़कें आज भी नव निर्माण या रिपेयरिग के लिए कद्रदानों की बांट जोह रही हैं।
- मुरारी ईसर, ग्रामीण
कृषि आधारित बिजली कनेक्शन किसानों को अब तक नहीं मिल सका है। पीएम किसान सम्मान निधि योजना में सत्यापन करवाने की फजीहत किसानों को झेलनी पड़ रही है। इस पर पहल होनी चाहिए। गरीबों को राशन कार्ड से वंचित रहना कष्टदायक है।
-जगन्नाथ चौधरी, ग्रामीण
दैनिक जागरण का पहल सराहनीय है। जो भी समस्याएं उभर कर सामने आई हैं, उन पर तेजी से काम करूंगी। अपने स्तर से विभिन्न सरकारी योजनाओं का पूरा लाभ पंचायत को दिलाने को प्रयासरत हूं। द्रुतगति से विकास हो रहा है। कार्यकाल पूरा होने से पूर्व एक भी लंबित कार्य नहीं रहेगा।
- सुदामा देवी , मुखिया खास टभका दक्षिण पंचायत एक नजर में :
1. कुल वार्ड : 14
2. बिहार पंचायत सरकार भवन : 0
3. आंगनबाड़ी केंद्र : 14
4. प्राथमिक विद्यालय : 6
5. मध्य विद्यालय : 3
6. उच्च विद्यालय : 1
7. उच्चतर माध्यमिक विद्यालय : 1
8. जविप्र दुकान : 4
9. पोखरा : 8 (निजी समेत)
10. कुआं : 30
11. ठाकुरबाड़ी : 6
12. पीड़ स्थान : 1
13. मस्जिद : 1
14. सामुदायिक भवन : 5
15. मनरेगा भवन : 1 (अर्द्ध निर्मित)
16. संस्कृत विद्यालय : 1
17. स्वास्थ्य उपकेंद्र : 2