खोज-खोज कर होगा वार, खत्म होगा अब कालाजार
घर-घर जाकर कालाजार के मरीजों को खोजा जाएगा। इसके बाद उनका इलाज किया जाएगा। कालाजार मरीजों की खोज के लिए 27 जनवरी से चार फरवरी तक सभी प्रखंडों के 230 गांव को चिह्नित कर अभियान चलाया जाएगा।
समस्तीपुर । घर-घर जाकर कालाजार के मरीजों को खोजा जाएगा। इसके बाद उनका इलाज किया जाएगा। कालाजार मरीजों की खोज के लिए 27 जनवरी से चार फरवरी तक सभी प्रखंडों के 230 गांव को चिह्नित कर अभियान चलाया जाएगा। केंद्र सरकार द्वारा कालाजार उन्मूलन लक्ष्य 2020 तक प्राप्त करने के लिए कालाजार अथवा पीकेडीएल के छुपे हुए रोगियों की घर-घर खोज कर ससमय जांच एवं उपचार होगी। इसमें कुल 313 मरीजों को टार्गेट किया गया है। उनके घर के आस-पास 250 घरों तक जांच होगी। आक्रांत प्रखंडों के गांव में भी खोज के लिए एक दिन पूर्व ही माइकिग द्वारा प्रचार-प्रसार कराया जाना है। आक्रांत गांव में रोगी की खोज के लिए पूर्व से मुखिया को सूचना दी जाएगी। खोज द्वारा उनसे भी सहायता ली जानी है।
आशा घर-घर जाकर कालाजार मरीजों की पहचान करेंगी। उन्हें एक दिन में 200 से 250 घरों में खोज करने का टास्क मिला है। इसके लिए उन्हें प्रोत्साहन राशि भी मिलेगी। आशा के कार्यों का पर्यवेक्षण का जिम्मा आशा फैसिलिटेटर को दिया गया है। ऐसे मरीजों की पहचान करनी है, जिन्हें 15 दिनों से बुखार रह रहा हो। यह रोग मिट्टी के घरों में ज्यादा पनपता है। कालाजार बालू मक्खी के काटने से होता है। बालू मक्खी नमी वाले जगहों पर ज्यादा रहती है। खासकर मिट्टी के घरों में नमी के कारण बालू मक्खी शरण लेती है जो छह फीट की ऊंचाई से ज्यादा उड़ नहीं सकती है। ऐसे घरों में रहने वालों पर कालाजार होने का खतरा बढ़ जाता है। कालाजार उन्मूलन के लिए स्वास्थ्य विभाग मिशन के तहत काम कर रहा।
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फॉर्मेट उपलब्ध कराया जाएगा
मरीजों की पहचान के लिए आशा कार्यकर्ताओं को एक फॉर्मेट उपलब्ध कराया जाएगा। इसे लेकर वे घर-घर जाएंगी। निर्धारित सवालों का जवाब लेकर उस फार्मेट में भरना होगा। आशा अपने पोषण क्षेत्र के प्रत्येक घरों का सर्वे कर कालाजार मरीजों की पहचान करेंगी। अगर ऐसा कोई मरीज मिलता है तो उसे तुरंत नजदीक के स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराना सुनिश्चित करेंगी। अभियान एक सप्ताह तक चलेगा। कालाजार की रोकथाम के लिए दो बार एसपी का छिड़काव भी कराया जाता है।
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कालाजार के लक्षण
15 दिन से अधिक बुखार लगना, भूख नहीं लगना, खून की कमी-ये सब कालाजार के लक्षण हो सकते हैं। नजदीक के अस्पताल में जाकर इसकी जांच कर सही समय पर डॉक्टर से सलाह लेकर दवा खाएं। कालाजार रोग को जड़ से अपने शरीर से मिटाएं।
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दोबारा लक्षण मिलने पर रेफर होंगे डीएमसीएच
किसी व्यक्ति ने कालाजार का पूर्व में इलाज कराया हो तो फिर भी उनमें बुखार के साथ इसके लक्षण पाएं जाते है तो उन्हें किट से जांच न करते हुए इलाज के लिए डीएमसीएच रेफर करना है। वैसे व्यक्ति जिन्हें बुखार न हो लेकिन उनके शरीर के चमड़े पर चकता अथवा दाग हो एवं पूर्व में कालाजार से पीड़ित रहे हो वैसे लोगों को किट से जांच के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में रेफर किया जाना है। यदि जांच धनात्मक पाई जाती है तो उन्हें चमड़ी की जांच के लिए डीएमसीएच रेफर किया जाएगा।
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अभियान में मरीजों की संख्या में हो रही कमी
कालाजार उन्मूलन को लेकर जिला मलेरिया विभाग लगातार कार्य कर रहा है। वर्ष 2017 में जहां कालाजार के 117 और पीकेडीएल के 13 मरीज थे। वहीं 2018 में 92 व 12 हुए। इसके बाद वर्ष 2019 में कालाजार के मरीज की संख्या घट कर 73 हो गई जबकि पीकेडीएल की 10 है। कालाजार उन्मूलन लक्ष्य 2020 तक प्राप्त करना है। कालाजार के छुपे हुए रोगियों की घर-घर खोज कर ससमय जांच एवं उपचार सुनिश्चित करना है। इसके लिए सभी स्वास्थ्य संस्थान के उपाधीक्षक और प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को रोगी खोज के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश दिया गया है। कालाजार मरीजों के घर के चारों दिशाओं में अधिकतम 200 से 250 घरों में घर-घर जाकर रोगी खोज की जानी है।
डॉ. विजय कुमार
जिला मलेरिया पदाधिकारी