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नमूना दिया न पहुंचे जांच सेंटर, मिल गई कोरोना रिपोर्ट निगेटिव

न नमूना दिया न पहुंचे जांच सेंटर फिर भी रिपोर्ट मिल गई निगेटिव। इस तरह का खेल स्वास्थ्य विभाग में कोरोना जांच सेंटर में चल रहा है। बिना मरीज का नमूना लिए जांच रिपोर्ट आने पर संबंधित व्यक्ति के स्वजन व साथ काम करने वाले लोग आश्चर्य में हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 12 Aug 2020 01:53 AM (IST)Updated: Wed, 12 Aug 2020 06:09 AM (IST)
नमूना दिया न पहुंचे जांच सेंटर, मिल गई कोरोना रिपोर्ट निगेटिव
नमूना दिया न पहुंचे जांच सेंटर, मिल गई कोरोना रिपोर्ट निगेटिव

समस्तीपुर । न नमूना दिया न पहुंचे जांच सेंटर, फिर भी रिपोर्ट मिल गई निगेटिव। इस तरह का खेल स्वास्थ्य विभाग में कोरोना जांच सेंटर में चल रहा है। बिना मरीज का नमूना लिए जांच रिपोर्ट आने पर संबंधित व्यक्ति के स्वजन व साथ काम करने वाले लोग आश्चर्य में हैं। इसकी जानकारी होने पर स्वास्थ्य महकमे में हड़कंप मचा हुआ है। सिविल सर्जन डॉ. सतीश कुमार सिन्हा ने जांच का आदेश दिया है। सीएस ने कहा कि वे खुद इस कथित जांच की समीक्षा करेंगे। आखिर यह कैसे हुआ कि मरीज आया नहीं और और उसकी रिपोर्ट जारी हो गई। उनका यह भी मानना है कि जांच कराने पहुंचने वाले व्यक्ति ने भी गलत नंबर लिखा दिया होगा। फिलहाल यह मामला सामने आने के बाद पूरे सिस्टम पर सवाल उठ रहा है। इस तरह से आया मामला

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शहर के बंगाली टोला निवासी मेडिकल रिप्रजेंटेटिव सुब्र कुमार दास के मोबाइल पर कोरोना निगेटिव होने का मैसेज भेजा गया है। मैसेज मिलने के बाद से यह चर्चा का विषय बना हुआ है। उनके साथ काम करने वाले मेडिकल रिप्रजेंटेटिव संतोष कुमार ने बताया कि रविवार व सोमवार को दोनों एक साथ काम कर रहे है। ऐसे में वह जांच के लिए सैंपल भी देने नहीं गए थे। फिर भी उनके मोबाइल पर रिपोर्ट भेजा गया है। मोबाइल पर मैसेज आया कि 10 अगस्त को आपका कोरोना वायरस की जांच के लिए सैंपल लिया गया था। वह जांच में निगेटिव पाया गया है। श्री कुमार ने कहा कि इस तरह अगर बिना नमूना दिए ही जांच की रिपोर्ट भेजी जा रही है तो सबकुछ संदेह के घेरे में है।

रैपिड टेस्ट में निगेटिव आने के बाद नहीं हो रहा कंफर्मेशन टेस्ट

स्वास्थ्य प्रशासन की लापरवाही से जिले में कोरोना वायरस के कम्युनिटी ट्रांसमिशन की आशंका बढ़ गई है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) ने भी बीमारी से निपटने के लिए रणनीति में बदलाव किया था। स्क्रीनिग का दायरा बढ़ाने के लिए एंटीबॉडी बेस्ड रैपिड टेस्ट को हरी झंडी देते हुए कोरोना जांच का नया प्रोटोकॉल बनाया गया है। इसके तहत रैपिड टेस्ट निगेटिव आने पर मरीज में कोविड-19 का लक्षण रहने पर उसका दूसरा टेस्ट अनिवार्य रूप से किया जाना है। लेकिन, स्थानीय स्तर पर रैपिड टेस्ट के बाद रिपोर्ट निगेटिव रहने पर लक्षण रहने के बाद भी उसका आरटी-पीसीआर टेस्ट नहीं किया जा रहा है। समस्तीपुर के जिलाधिकारी शशांक शुभंकर का स्थानीय स्तर पर सैंपल लेकर कोविड-19 की जांच की गई थी। जिसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आयी थी। इसके बाद पुन: सैंपल लेकर आरटी-पीसीआर जांच के लिए भेजा गया। जहां से रिपोर्ट निगेटिव मिली थी। ऐसे में रैपिड टेस्ट किट से जांच के बाद रिपोर्ट की सत्यता पर सवाल उठ रहा है। अन्य लोगों को भी अनजाने में संक्रमित होने की आशंका

वायरस के फैलने से भी अधिक खतरनाक यह है कि कई कोरोना वायरस पॉजिटिव लोग टेस्ट में निगेटिव पाए जाते हैं। टेस्ट का गलत आना न सिर्फ मरीजों के लिए खतरनाक है बल्कि उन लोगों के लिए भी जिन्हें मरीज अनजाने में संक्रमित कर देते हैं। टेस्ट के गलत नतीजे आने का मतलब यह है कि एक व्यक्ति के कोरोना वायरस से संक्रमित होने पर भी टेस्ट में वायरस को न पकड़ पाना। अभी तक कोरोना वायरस का पता लगाने के लिए दो तरह के टेस्ट उपलब्ध हैं, पहला पीसीआर टेस्ट और दूसरा एंटीबॉडी टेस्ट। इनमें पीसीआर टेस्ट यानी रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन पॉलीमेरेस चेन रिएक्शन टेस्ट ऐसी स्थिति में बेस्ट है। टेस्ट में मरीज के नाक और मुंह के काफी अंदर से सैम्पल लिया जाता है। जबकि एंटीबॉडी टेस्ट ब्लड सैंपल की मदद से किया जाता है।


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