पुराने लीची के बागानों में नई तकनीक अपनाने से दोगुनी होगी आय
पुराने लीची के बागानों में नई तकनीक अपनाने से किसानों की आय दोगुनी होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना है कि किसानों की आय को दोगुनी की जाए।
समस्तीपुर । पुराने लीची के बागानों में नई तकनीक अपनाने से किसानों की आय दोगुनी होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना है कि किसानों की आय को दोगुनी की जाए। उक्त बातें भारतीय लीची अनुसंधान केंद्र मुजफ्फरपुर मुसहरी के निदेशक डॉ. विशालनाथ ने कल्याणपुर प्रखंड की हरपुरवा पंचायत स्थित बख्तियारपुर में कहीं। वे 50 वर्ष पूर्व के लीची बगान का जायजा लेने पहुंचे थे। उन्होंने बताया कि स्किल प्रैक्टिकल उपयोग कर लीची के पुराने पौधों को 80 प्रतिशत तक ट्री कटिग करना होता है। इसके बाद फफूंदी नाशक का प्रयोग करते हुए उसके जड़ तंत्र तना को दोबारा पुनर्जीवित किया जाता है। उसका जीर्णोद्धार इसी विधि से कर किसान अपनी लीची बगान से आय दोगुनी कर सकते हैं। बिहार में प्रति हेक्टयर लीची के पुराने बगान में मात्र 7 टन की पैदावार होती थी। इस विधि को अपनाने से 12 टन तक की पैदावार हो रही है। वर्ष के जुलाई और अगस्त महीने इसके लिए काफी लाभदायक हैं। इस विधि का आविष्कार वैज्ञानिकों के सहयोग से मुसहरी में किया गया है। अनुसंधान केंद्र मुसहरी में वित्तीय प्रशिक्षण की भी व्यवस्था उपलब्ध है। जिले के उद्यान विभाग के पदाधिकारियों को प्रखंड स्तर से किसानों का चयन कर लीची अनुसंधान केंद्र में भेजने पर बल दिया जाए तो इससे अधिक से अधिक किसानों को लाभ मिलेगा। ऐसा ही प्रयोग एमएससी एग्रो प्राप्त किसान किसलय कुमार ने अपने 50 साल पुराने बगान में निदेशक की देखरेख में किया है। पौधों में नए पत्ते का संचार एक महीने में होते दिखाई दे दिया है। निदेशक ने सोमवार को मालीनगर के किसान अखिलेश ठाकुर उर्फ टुल्लू ठाकुर, अमित कुमार, संजय ठाकुर, शिव नाथ ठाकुर, बिट्टू कुमार, मिठू कुमार, धर्मदेव मिश्रा आदि के बगान में पहुंचकर लीची के पौधों में हुए विकास की गुणवत्ता का अवलोकन किया। निदेशक ने अधिक से अधिक किसानों को नई टेक्नोलॉजी अपनाकर लीची से आय दोगुनी करने की बात कही। किसानों ने बताया कि बहुत ही बढि़या सुझाव दिया गया है। इस पर अमल करेंगे।