बूढ़ी गंडक के जलस्तर में कमी, गंगा में उफान
समस्तीपुर में बूढ़ी गंडक नदी का जलस्तर धीरे-धीरे समान्य गति से नीचे की ओर आ रही है। गुरुवार को पिछले 24 घंटे में जलस्तर 25 सेमी कम हुआ। लेकिन खतरे के निशान से अभी भी 2.17 मीटर ऊपर है।
समस्तीपुर । समस्तीपुर में बूढ़ी गंडक नदी का जलस्तर धीरे-धीरे समान्य गति से नीचे की ओर आ रही है। गुरुवार को पिछले 24 घंटे में जलस्तर 25 सेमी कम हुआ। लेकिन, खतरे के निशान से अभी भी 2.17 मीटर ऊपर है। बीते चार दिनों में जलस्तर घटने का सिलसिला जारी है। इससे लोगों को एक उम्मीद जगी है। जिला प्रशासन द्वारा तटबंध किनारे लोगों को सावधान, सतर्क और सुरक्षित स्थान पर रहने की अपील की है।
आपदा प्रबंधन शाखा के मुताबिक समस्तीपुर में बूढ़ी गंडक नदी के जलस्तर हुई बढ़ोतरी का सिलसिला अब थम गया है। 2 अगस्त को इस बार के उच्चतम जलस्तर 48. 60 मीटर रिकार्ड किया गया। जिसके बाद पिछले पांच दिनों से जलस्तर 70 सेमी नीचे आया है। इससे अनुमान है कि अब धीरे धीरे नदी का जलस्तर सामान्य हो जाएगा। गुरुवार को समस्तीपुर रेलवे पुल के निकट बूढ़ी गंडक नदी का जलस्तर 47.90 मीटर था। जबकि खतरे का लाल निशान 45.73 है। यानी नदी का जलस्तर खतरे के निशान से 2.17 मीटर ऊपर है।
गंगा नदी ने खतरे के निशान को दूसरी बार किया पार
मोहनपुर में गंगा नदी दूसरी बार खतरे के निशान को पार कर गई है। गंगा के जलस्तर में पिछले दिनों कमी हो गई थी। लेकिन एक बार फिर इसमें बढोतरी दर्ज की जा रही है। बाढ़ नियंत्रण प्रमंडल दलसिंहसराय के सरारी स्थित कैंप से मिली जानकारी के अनुसार गुरुवार को गंगा का जलस्तर 4555 सेमी पर पहुंच गया है। गंगा का यह जलस्तर खतरे के निशान से 05 सेमी ऊपर है। इसके पूर्व 26 जुलाई को गंगा का जलस्तर खतरे के निशान को छू दिया था। दियारा क्षेत्र के लिए खतरे का निशान 4550 सेमी पर बनाया गया है। जलस्तर के बढ़ जाने के बाद गंगा का तट लबालब होकर निचले हिस्से की ओर बहने लगा है। हालांकि अत्यधिक वर्षा होने के कारण निचले हिस्से के ढाबों, सोतों और नालों में पहले से ही जल भरा हुआ है। लोगों का अनुमान है कि अब पानी का बहाव जल्द ही मैदानी क्षेत्रों से होकर बस्ती वाले क्षेत्रों की ओर होने लगेगा। अगर पानी बढ़ने का रफ्तार यही रहा तो निश्चित रूप से डुमरी दक्षिणी, जौनापुर, हरदासपुर, सरसावा, जहिगरा, मटिऔर बाढ़ से घिर जाऐंगे। इधर, किसानों की फसल- मक्का, जनेरा, चीना, कौनी, नेनुआ आदि नष्ट होने लगे है। उनका उपयोग वे पशुओं के चारे के रूप करने को विवश हो गए है। दूसरी ओर पशुपालक पानी को बढ़ता देखकर पलायन करने के लिए मन बनाने लगे हैं। एक-दो पशुपालक दक्षिणी क्षेत्र से उत्तर की ओर पलायान करने की तैयारी भी कर लिया हैं। वहीं गंगा पार दियारावासी अपने को सुरक्षित करने के लिए टीलेनुमा जगहों की तलाश में लग गए हैं। रात-दिन जिस तरह से अत्यधिक वर्षा हो रही है, उससे अनुभवियों का कहना है कि इस बार क्षेत्र को भयंकर बाढ़ का सामना करना पड़ सकता है। वहीं कटावनिरोधी बंडाल सह बांध पर पानी का दवाब बढ़ गया है। कनीय अभियंता से मिली जानकारी के अनुसार बंडाल की सुरक्षा के लिए कर्मियों द्वारा लगातार निरीक्षण किया जाता है। रात में जेनरेटर से लाइट जलाकर निगरानी की जा रही है।