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मंदी और तालाबंदी केंद्र सरकार की पहचान, देश की अर्थव्यवस्था वेंटिलेटर पर

मंदी और तालाबंदी मौजूदा भारत सरकार की पहचान बन गई हैं। देश की अर्थव्यवस्था वेंटिलेटर पर है और रोजगार सृजन कोमा में है। केंद्र सरकार ने देश की अर्थव्यवस्था का दिवाला निकाल दिया है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 09 Nov 2019 11:56 PM (IST)Updated: Sun, 10 Nov 2019 06:25 AM (IST)
मंदी और तालाबंदी केंद्र सरकार की पहचान, देश की अर्थव्यवस्था वेंटिलेटर पर
मंदी और तालाबंदी केंद्र सरकार की पहचान, देश की अर्थव्यवस्था वेंटिलेटर पर

समस्तीपुर । मंदी और तालाबंदी मौजूदा भारत सरकार की पहचान बन गई हैं। देश की अर्थव्यवस्था वेंटिलेटर पर है और रोजगार सृजन कोमा में है। केंद्र सरकार ने देश की अर्थव्यवस्था का दिवाला निकाल दिया है। उक्त बातें बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पर्यवेक्षक शंकर कुमार झा ने शनिवार को जिला कांग्रेस कार्यालय में प्रेसवार्ता के दौरान कहीं। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार हर कदम पर देशहित से खिलवाड़ कर रही है। भाजपा ने देश की वित्तीय स्वायत्ता एवं आर्थिक स्थिरता को दांव पर लगा दिया है। सच्चाई यह है कि भारत वित्तीय आपातकाल की स्थिति में है। मोदी सरकार ने युवा भारत की शक्ति को बेहाली व बेरोजगारी की कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है। नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस के मुताबिक तो बेरोजगारी 45 साल में सर्वाधिक है व और तेजी से बढ़ रही है। इसका मतलब भारत में बेरोजगारी की दर दुनिया की औसत के मुकाबले लगभग दोगुनी है। देश में ग्रेजुएट्स से पीएचडी तक की योग्यता रखने वाले युवाओं में बेरोजगारी की दर 15 प्रतिशत तक पहुंच गई है। शिक्षा की स्थिति और भी ज्यादा दयनीय है। 18 से 23 साल की उम्र के बीच 74 प्रतिशत युवा कॉलेज ही नहीं जा पाते। इससे भी ज्यादा चिता का विषय यह है कि भारत में केवल ढ़ाई प्रतिशत कॉलेज ही पीएचडी कार्यक्रम चलाते है। कांग्रेस जिलाध्यक्ष अबू तमीम ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था पर छाए वित्तीय संकट की जिम्मेवार केंद्र सरकार है। जिसने देश को वित्तीय आपातकाल के दरवाजे ला खड़ा किया है। पिछले सालों में जीडीपी सबसे निचले पायदान पर है। आंकड़ों की बाजीगरी छोड़ अगर वास्तविकता देखें तो वित्तीय वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही में जीडीपी पांच प्रतिशत के निचले स्तर पर रही। नया निजी निवेश 16 सालों में सबसे निचले स्तर पर है। घरेलू बचत 20 साल में सबसे कम है। भारत में बचत की संपूर्ण दर गिरकर 34.6 प्रतिशत से 30 प्रतिशत रह गई है। कृषि सेक्टर की जीडीपी वित्तीय वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही में गिरकर मात्र दो प्रतिशत रह गई है। भाजपा सरकार द्वारा रबी फसलों के लिए घोषित समर्थन मूल्य में चार से सात प्रतिशत तक की नाम मात्र वृद्धि की गई है। मो. तमीम ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था पर भाजपा सरकार का पहला प्रहार नोटबंदी था। दूसरा आघात जीएसटी से किया। अब तीसरी चोट चीन सहित 15 पूर्व एशियाई देशों के मेगा रीजनल फ्री ट्रेड एग्रीमेंट-रीजनल कंप्रेहेंसिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप एग्रीमेंट पर भाजपा सरकार के हस्ताक्षर के रूप में लगने वाली है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार देश को वित्तीय आपातकाल में धकेलने की बजाए रोजी-रोटी, व्यापार, कृषि को बचाने हेतु ठोस कदम उठाएं एवं देश को विश्वास में लें।

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