समस्तीपुर के टभका में है राष्ट्रकवि दिनकर की ससुराल
राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर का जुड़ाव समस्तीपुर से काफी ज्यादा था। शायद यह बात लोगों को नहीं गले उतरे लेकिन यह पूर्णत सत्य है। यह केवल इसलिए भी नहीं कि उनकी शादी समस्तीपुर के टभका निवासी रक्षा ठाकुर की पुत्री श्याम देवी के साथ 1921 में हुई।
समस्तीपुर । राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर का जुड़ाव समस्तीपुर से काफी ज्यादा था। शायद यह बात लोगों को नहीं गले उतरे लेकिन यह पूर्णत: सत्य है। यह केवल इसलिए भी नहीं कि उनकी शादी समस्तीपुर के टभका निवासी रक्षा ठाकुर की पुत्री श्याम देवी के साथ 1921 में हुई। उनकी निकटता भी केवल इसलिए नहीं कि उनकी भतीजी (बड़े भाई बसंत सिंह की पुत्री) चंद्रकला की शादी श्रीरामपुर अयोध्या निवासी बैजनाथ मिश्र से हुई थी। इसलिए भी नहीं कि उनकी छोटी भतीजी शोभा की शादी श्रीरामपुर आयोध्या के ही बैजनाथ मिश्र के छोटे भाई शिव सागर मिश्र से हुई थी। उनकी इस जिले से निकटता इस मामले में थी कि वे दलसिंहसराय में सब रजिस्ट्रार के रूप में भी पदस्थापित रहे और महत्वपूर्ण पुस्तकों का प्रणयन भी इसी सोंधी मिटटी से किया। उनकी इस मिट्टी से निकटता इस कदर रही कि वे शहर के मारवाड़ी बाजार स्थित समस्तीपुर अनुमंडलीय खादी ग्रामोद्योग के संस्थापक बड़हिया निवासी प्रखर शिक्षाविद वैद्यनाथ शर्मा के यहां रूकते थे। पांडूलिपियां उन्हें पढ़ने के लिए देते थे और समस्तीपुर की इसी उर्वरा धरती पर उनकी रचनाओं को तराशने का कार्य किया जाता था। साहित्यकार डा. नरेश कुमार विकल बताते हैं कि जब भी सीतामढ़ी, या जहां कहीं भी वे सब रजिस्ट्रार थे वहां गांव से आने और जाने के क्रम में समस्तीपुर में रूकते थे। उन्हें कविता सुनाते थे और वापसी में अपनी तराशी हुई पांडुलिपियां ले जाते थे। जब अनुमंडलीय खादी ग्रामोद्योग से बैजनाथ शर्मा का तबादला पटना हो गया तो दिनकर जी का हर शनिवार और रविवार आना-जाना बंद सा हो गया। इसके साथ ही खत्म हो गया दिनकर जी का रात-रात भर काव्य पाठ का सिलसिला। इसके बाद समस्तीपुर गोशाला में आयोजित कवि सम्मेलनों में दो बार भाग लिया। स्व. दिनकर की याद में ससुराल के लोगों ने वहां उनकी प्रतिमा भी स्थापित कर रखी है। यहां सलाना साहित्यिक जलसा भी होता है।