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122 स्कूलों में सहेजी जाएंगी बारिश की बूंदें

सरकारी विद्यालयों में अब बारिश की बूंदें सहेजी जाएंगी। बच्चो को जल संरक्षण के बारे में बताया जाएगा। जल जीवन हरियाली योजना के तहत पहले चरण में समस्तीपुर के 122 उत्क्रमित उच्च विद्यालयों में रेन वाटर हार्वेस्टिग सिस्टम लगाया जाएगा।

By JagranEdited By: Published: Thu, 23 Jan 2020 11:55 PM (IST)Updated: Thu, 23 Jan 2020 11:55 PM (IST)
122 स्कूलों में सहेजी जाएंगी बारिश की बूंदें
122 स्कूलों में सहेजी जाएंगी बारिश की बूंदें

समस्तीपुर । सरकारी विद्यालयों में अब बारिश की बूंदें सहेजी जाएंगी। बच्चो को जल संरक्षण के बारे में बताया जाएगा। जल जीवन हरियाली योजना के तहत पहले चरण में समस्तीपुर के 122 उत्क्रमित उच्च विद्यालयों में रेन वाटर हार्वेस्टिग सिस्टम लगाया जाएगा। इस योजना को सतह पर उतारने के लिए जिला शिक्षा पदाधिकारी बीरेंद्र नारायण ने आदेश जारी कर दिया है।

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बारिश के जल को हार्वेस्टिग सिस्टम से भूगर्भ में रिचार्ज किया जाएगा, ताकि इन स्कूलों में पानी की किल्लत न हो। समस्तीपुर जिले के सभी इलाकों में मई-जून महीने में भूगर्भीय जल स्तर काफी नीचे चला जाता है। जलस्तर 40 से 50 फीट नीचे जाने से अधिकांश चापाकल फेल हो जाते हैं। इससे बच्चों को पेयजल संकट का सामना करना पड़ता है। रेन वाटर हार्वेस्टिग सिस्टम ऐसे स्कूलों के लिए मील का पत्थर साबित होगा।

बच्चे जल संरक्षण के प्रति होंगे जागरूक : उत्क्रमित उच्च विद्यालयों में रेन वाटर हार्वेस्टिग सिस्टम लगाने से बच्चे जल संरक्षण के प्रति जागरूक होंगे। वर्षा जल का संरक्षण भी होगा। एक सिस्टम लगाने पर लगभग 80 हजार रुपये खर्च होंगे। विद्यालयों में वाटर हार्वेस्टिग का निर्माण होने से वर्षा का जल संचय होगा। इससे जलस्तर में भी सुधार होगा। रेन वाटर हार्वेस्टिग सिस्टम लगाने का काम शुरू करने के लिए प्रक्रिया तेज कर दी गई है। -'समस्तीपुर के 122 उत्क्रमित उच्च विद्यालयों में जल संचयन के लिए रेन वाटर हार्वेस्टिग सिस्टम लगाया जाएगा। इसके लिए विभागीय स्तर पर प्रक्रिया चल रही है। चयनित विद्यालयों में अधिकारियों की टीम जांच कर रिपोर्ट देगी। इसके बाद आगे की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।

-बीरेंद्र नारायण, जिला शिक्षा पदाधिकारी, समस्तीपुर

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रेन वाटर हार्वेस्टिग

रेन वाटर हार्वेस्टिग के तहत मकानों की छतों पर गिरने वाले बारिश की बूंदों का संग्रह कर उसे भूगर्भ तक पहुंचाया जाता है। इससे वर्षा जल की बर्बादी रोकी जाती है। वहीं भूगर्भ जल के स्तर को नीचे जाने से भी रोका जाता है।


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