विकास की धीमी गति का दंश झेल रहे बछौली पंचायत के लोग
समस्तीपुर । खानपुर प्रखंड के बछौली पंचायत में समस्या का अंबार लगा है। यहां तो समस्याएं ही समस्याएं
समस्तीपुर । खानपुर प्रखंड के बछौली पंचायत में समस्या का अंबार लगा है। यहां तो समस्याएं ही समस्याएं दिखाई दे रही है। समस्या एक विभाग में नहीं बल्कि सरकार द्वारा चल रही योजना वृद्धा पेंशन, आवास, अनाज, विद्युत,बाल विकास परियोजना सहित सभी जनकल्याणकारी योजनाएं समस्याओं के मकड़जाल में फंसी है। इस कारण लाभुकों को समय पर लाभ नहीं मिल पा रहा। सरकारी कर्मचारियों की उदासीनता के कारण लाभुक दर-दर भटक रहे हैं। इस तरह से देखा जाए तो प्रखंड के श्रीपुरगाहर बछौली पंचायत पंचायत में विकास की गति काफी धीमी चल रही है। समस्या को पड़ताल के लिए जब जागरण की टीम रविवार को बछौली पंचायत के सोनसा, बछौली, परना सहित अन्य गांव पहुंच कर लोगों से सम्पर्क कर जानने का प्रयास किया तो लोगों ने पंचायत में चल रही विकास योजनाओं से अवगत कराया। इस दौरान गांव के हरीश गिरी, लखन पंडित, मक्खन पंडित, मो. आजाद, रवि मल्लिक, ममता देवी, इंद्रा देवी, जयमाला देवी, मोती भारती, रंजीत राम, अमित दास, अरुण मंडल, राम स्वरूप दास आदि दर्जनों ग्रामवासियों ने बताया कि वृद्धा पेंशन, बिजली, सड़क, आवास, प्रोत्साहन राशि, शिक्षा, पेय जल, बाल विकास परियोजना, स्वछता से संबंधित समस्याओं का पिटारा खोलकर रख दिया। इस दौरान दर्जनों समस्याएं सामने आई। प्रखंड के बछौली पंचायत में वृद्धा पेंशन लाभुकों को विगत दो वर्षों से पेंशन की राशि नहीं मिल रही है। प्रखंड कार्यालय में बिचौलिए हावी हैं। करीब 1000 परिवार झुग्गी-झोपड़ी में गुजर बसर कर रहे हैं। वहीं बीपीएल त्रुटि के कारण लोग आनाज केरोसिन तेल, पेंशन, आवास से वंचित हैं। लोगों ने बताया कि आप कितनी समस्याएं सुनेंगे यहां तो समस्याएं ही समस्याएं है। विगत ढाई वर्षों से गरीबों को कबीर अंत्योष्टि योजना के तहत कफन के लिए दी जाने वाली राशि भी नहीं मिली है। इससे आप अनुमान लगा सकते हैं विकास की गति कितनी तेज है। इस पंचायत में चिकित्सा व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं है। झोला छाप चिकित्सक के भरोसे इस पंचायत के लोग जी रहे हैं। वार्ड 2 और वार्ड 4 अनुसूचित जाति के लोगों का टोला है। यहां के लोग आज भी पगडंडी के सहारे चलने पर विवश हैं। सरकार बुजुर्गो को सहायता देने के लिए पेंशन योजना तो चालू की है लेकिन इस योजना का लाभ समय पर लाभुकों को नही मिल पा रहा है। पंचायत में करीब 200 वृद्ध, विधवा इस योजना के लाभ से वंचित है। विद्यालयों में शिक्षा व्यवस्था चौपट है। शिक्षक समय पर विद्यालय नहीं आते कब छुट्टी देकर चले जाते गांव के लोगों पता नहीं चल पता। बच्चों को समय पर किताब नहीं मिल पाती है। जिसके कारण बच्चों की पढाई बाधित हो रही है। मध्याह्न भोजन में व्यापक अनियमितता बरती जा रही है। जनवितरण में तो व्यापक धांधली है। पंचायत के लोगों का कहना है कि एक वर्ष में उन्हें मात्र 9 महीने का ही आनाज मिलता है। वह भी सरकार द्वारा निर्धारित मूल्य से अधिक दर पर। आनाज भी वजन में कम दिया जाता है।