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ब्लैक फंगस का लक्षण दिखते ही पटना रेफर किए जाएंगे मरीज

कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर से जंग के बीच पटना में ब्लैक फंगस (म्यूकरमाइकोसिस) नामक फंगल संक्रमण के मरीज मिलने के बाद जिले में भी अलर्ट कर दिया गया है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 22 May 2021 12:28 AM (IST)Updated: Sat, 22 May 2021 12:28 AM (IST)
ब्लैक फंगस का लक्षण दिखते ही पटना रेफर किए जाएंगे मरीज
ब्लैक फंगस का लक्षण दिखते ही पटना रेफर किए जाएंगे मरीज

समस्तीपुर । कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर से जंग के बीच पटना में ब्लैक फंगस (म्यूकरमाइकोसिस) नामक फंगल संक्रमण के मरीज मिलने के बाद जिले में भी अलर्ट कर दिया गया है। सिविल सर्जन डॉ. सत्येंद्र कुमार गुप्ता ने इसको लेकर सभी स्वास्थ्य संस्थानों के उपाधीक्षक और प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को वीडियो कॉन्फ्रेंसिग के माध्यम से दिशा-निर्देश जारी किया है। राज्य स्तर से अलर्ट जारी किया गया है। इसमें बताया गया है कि ब्लैक फंगस की लक्षण का कोई मरीज आता है, तो तत्काल इसकी जानकारी दी जाए। कोरोना संक्रमण से स्वस्थ मरीजों के बारे में जानकारी लेने को कहा गया है। कोरोना से स्वस्थ मरीजों में कोई ब्लैक फंगस का लक्षण दिखता है, तो तत्काल उसे पीएमसीएच रेफर करने को कहा गया है। साथ ही इसकी जानकारी सिविल सर्जन को देनी होगी। स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी एडवाइजरी में कहा गया है कि कोविड-19 संक्रमण के उपरांत ब्लैक फंगस या म्यूकरमाइकोसिस चेहरे, नाक, साइनस, आंख और दिमाग में फैलकर नष्ट कर देता है। ब्लैक फंगस को लेकर सावधानी बरतनें की जरूरत ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. सैयद मेराज इमाम ने बताया कि ब्लैक फंगस में मुख्यत: राइजोपस और म्यूकर नामक फंगस का इनफेक्शन लगता है। हालांकि इसकी और भी प्रजातियां हैं जो म्यूकोरमाइरोसीस बीमारी का कारण बनती है। इसके छोटे-छोटे दाने जैसे होते हैं जो आंखों से दिखाई नहीं देते। आमतौर पर ये दानें हमारे आसपास हैं। डॉ. मेराज ने बताया कि कोरोना वायरस संक्रमण शरीर के इम्यूनिटी को नुकसान पहुंचाता है। उस पर यदि मरीज की इम्यूनिटी और कम है मसलन हाई शूगर (डायबिटीज), लंबी बीमारी जिसमें स्टेरॉयड का उपयोग हो रहा है या कैंसर, ट्रांसप्लांट, आयरन ओवरलोड, एचआईवी, कुपोषण, अधिक समय तक आईसीयू में रहना आदि है तो म्यूकोरमाइकोसिस नामक फंगस का संक्रमण लगने का खतरा बढ़ जाता है। नाक व मुंह के रास्ते इंफेक्शन

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यह फंगस नमी युक्त मिट्टी, जानवरों के गोबर, सड़ते हुए लकड़ी, सब्जी, फल या अन्य किसी तरह का आर्गेनिक चीज में पाए जाते हैं। मुख्य रूप से श्वास के द्वारा नाक और मुंह के रास्ते। दूसरा, शरीर कहीं कट गया है या घाव हुआ है। घाव सूखकर हो जाता है काला

नाक और आंख में घाव या मांस का गटठर, सूख कर काला हो जाता है, इसलिए ब्लैक फंगस कहते हैं। आंखों की रोशनी जा सकती है। आंख, नाक, चेहरा के क्षतिग्रस्त हिस्से को काटकर हटाना पड़ सकता है। फेफड़ों में, ब्रेन में और अन्य अंगों में इंफेक्शन होने पर मृत्यु हो सकती हैं। सबसे पहले कोरोना से रिकवर होने के बाद यदि नाक बंद, नाक में किसी तरह का मांस, चेहरा और आंख के आसपास फूलना, दर्द या लाल हो तो आंख या ईएनटी के चिकित्सक से तत्काल संपर्क करना चाहिए। ब्लैक फंगस के लक्षण

- चेहरे में एक तरफ दर्द हो, सूजन हो या सुन्न हो, छूने पर छूने का अहसास ना हो।

- दांत में दर्द हो, दांत हिलने लगे, चबाने में दर्द हो।

- उल्टी में या खांसने पर बलगम में खून आए। किसे हो सकता है ब्लैक फंगस

- कोविड के दौरान स्टेरॉयड दवा दी गई हो डेक्सामिथाजोन, मिथाइल प्रेडनिसोलेन आदि।

- कोरोना मरीज को ऑक्सीजन पर रखना पड़ रहा हो या आइसीयू में रखना पड़ा हो।

- मधुमेह पर अच्छा नियंत्रण ना हो।

- कैंसर, किडनी ट्रांसप्लांट इत्यादि के लिए दवा चल रही हो।


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