वर्षो तक बना रहेगा मुंशी प्रेमचंद का प्रभाव
शहर के स्टेशन रोड स्थित शहीद उदय शंकर स्मारक भवन में शनिवार को महान कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद की 142वीं जयंती पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। जनवादी लेखक संघ जनवादी सांस्कृतिक मोर्चा और जन संस्कृति मंच की ओर से कार्यक्रम में हमारे दौर की चुनौतियां और प्रेमचंद विषय पर विचार-गोष्ठी हुई।
समस्तीपुर । शहर के स्टेशन रोड स्थित शहीद उदय शंकर स्मारक भवन में शनिवार को महान कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद की 142वीं जयंती पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। जनवादी लेखक संघ, जनवादी सांस्कृतिक मोर्चा और जन संस्कृति मंच की ओर से कार्यक्रम में 'हमारे दौर की चुनौतियां और प्रेमचंद' विषय पर विचार-गोष्ठी हुई। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता के रूप में समस्तीपुर कॉलेज, समस्तीपुर के अंग्रेजी के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. प्रभात कुमार ने कहा कि मुंशी प्रेमचंद समाज और जीवन की ऐसी समझ रखने वाले साहित्यकार थे जिनका प्रभाव आने वाले सैकड़ों वर्षो तक बना रहना निश्चित है। वह हर आने वाली पीढ़ी के साथ अपना नवीनकरण कराते रहेंगे। वर्तमान समय में भी प्रेमचंद के उपन्यास व उनकी कहानियां उनके लेख उनके पत्र ये सभी प्रासंगिक हो जाते है। वे केवल समकालीन वास्तविकता को दर्शाने वाले साहित्यकार नहीं थे बल्कि उन्होंने अपने आदर्शो के अनुरूप कल्पना का प्रयोग करते हुए एक नई दुनिया की रचना की। शाह जफर इमाम ने कहा कि गरीबी, भूखमरी, मंहगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, किसानों की दुर्दशा और सांप्रदायिकता के खिलाफ मुंशी प्रेमचंद ने अपनी कलम का इस्तेमाल अपनी कहानियों और उपन्यासों में किया था। इस तरह प्रेमचंद की रचनाएं आज भी प्रासंगिक है। कार्यक्रम की शुरुआत उपस्थित प्रतिभागियों द्वारा प्रेमचंद के चित्र पर माल्यार्पण से हुई। कार्यक्रम को डॉ. स्नेहलता कुमारी, अमलेन्दु कुमार, शंभू कुमार पांडेय, अरविद कुमार दास, रघुनाथ राय, सत्य नारायण सिंह, सुजीत कुमार, राम सागर पासवान, राम प्रकाश यादव, शंभू शरण यादव एवं चन्देश्वर राय ने संबोधित करते हुए अपने-अपने विचार व्यक्त किए। अध्यक्षता जन संस्कृति मंच की ओर से डॉ. प्रभात कुमार, जनवादी लेखक संघ से शाह जफर इमाम तथा जनवादी सांस्कृतिक मोर्चा से राम विलास सहनी ने संयुक्त रूप से की। कार्यक्रम का संचालन जलेस के जिला सचिव डॉ. रामदेव महतो ने किया। मौके पर डॉ. विनोद कुमार, ओंकार रौशन, रामप्रीत सहनी, संतोष कुमार चौधरी, रंजन कुमार आदि उपस्थित रहे। राम विलास सहनी और राम प्रीत सहनी ने इस अवसर पर क्रांतिकारी गीत गाए।