भूटान के कई अनुयायियों का रोसड़ा के कबीर मठ से जुड़ाव
रोसड़ा में आचार्य रामजीवन निर्वाण महोत्सव के दूसरे दिन भी सत्संग व अखंड भंडारा का कार्यक्रम जारी रहा। सोमवार की सुबह से ही भजन कीर्तन के साथ प्रारंभ हुए समापन सत्र में पूरे दिन विभिन्न मठों से आए विद्वान संतों का प्रवचन भी चलता रहा।
समस्तीपुर । रोसड़ा में आचार्य रामजीवन निर्वाण महोत्सव के दूसरे दिन भी सत्संग व अखंड भंडारा का कार्यक्रम जारी रहा। सोमवार की सुबह से ही भजन कीर्तन के साथ प्रारंभ हुए समापन सत्र में पूरे दिन विभिन्न मठों से आए विद्वान संतों का प्रवचन भी चलता रहा। इस बीच कबीर मंदिर रोसड़ा के महंत सह महोत्सव के संयोजक डॉ. विद्यानंद शास्त्री ने समारोह के उद्देश्य पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि आचार्य संत रामजीवन साहब आजीवन भगवान कबीर के प्रति समर्पित रहे और तीन वर्षो तक देश-विदेश में भ्रमण कर उन्होंने कबीर पंथ को मजबूत किया। इस दौरान उनके द्वारा भूटान की रानी को भी इस पंथ से जोड़ा गया। उन्होंने कहा कि आज भी भूटान के कई अनुयायी इस कबीर मठ से जुड़े हैं। आचार्य साहब के मेहनत और प्रयास से ही रोसड़ा कबीरपंथ का तीर्थ स्थल बन सका। वहीं संस्था के सचिव पुरुषोत्तम कुमार ने कबीर मंदिर रोसड़ा द्वारा किए जा रहे कबीर मत के प्रचार एवं समाज हित के कार्यों को गिनाते हुए कहा कि सभी क्षेत्रों में कबीर वाणी का प्रचार प्रसार किया जा रहा है। मठ द्वारा गरीब छात्रों एवं असहाय लोगों के लिए चलाए जा रहे कार्यक्रम पर भी विस्तार से प्रकाश डाला। इसके अलावा महंत शिवधारी दास, डोमी दास, राम प्रसाद दास, उमेश दास, राजेंद्र दास आदि ने भी अपना अपना विचार रखा। समारोह के अंत में एक स्वर से हजारों अनुयायियों ने कबीर की वाणी को जन-जन तक पहुंचाने और कबीर पंथ को मजबूती प्रदान करने का संकल्प दोहराया। आयोजन समिति के सदस्यों ने दो दिवसीय समारोह में 30 हजार से अधिक श्रद्धालुओं को शामिल होने का दावा करते हुए कहा कि सोमवार की पूरी रात चले चौका पान कार्यक्रम के पश्चात महोत्सव का विधिवत समापन होगा सदस्यों ने बताया कि चौका पान में बिहार के विभिन्न जिलों के एक हजार से अधिक अनुयायी शामिल होंगे। महोत्सव के दूसरे दिन भी तुलसी कंठी एवं कबीर वाणी पुस्तक आदि के दुकानों पर खरीदारों की भीड़ लगी रही।
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कबीरपंथ की आस्था का तीर्थस्थल है रोसड़ा
स्थानीय महादेव मठ स्थित कबीर मंदिर द्वारा आयोजित दो दिवसीय निर्माण महोत्सव में शामिल हुए विभिन्न क्षेत्रों से आए संत महात्माओं ने रोसड़ा को कबीर पंथ का महान तीर्थ स्थल बताया। सभी ने इस मठ के प्रति पूर्ण आस्था और निष्ठा जताया।
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कहते हैं अनुयायी संत कबीर की वाणी अत्यंत सुलभ और सरल है। संस्कृत और वेद नहीं पढ़ने वाले अनपढ़ भी इनकी वाणी को आत्मसात कर सकते हैं। सत्संग के दौरान काफी कुछ सीखने को मिलता है और विगत कई वर्षों से मैं निश्चित रूप से इस में भाग लेता हूं
आवारा समस्तीपुरी
रोसड़ा कबीर मंदिर का विश्व के कबीर मठ में अपना एक अहम स्थान है। आज भी यहां आने से कबीर के आदर्शो को अपनाने का रास्ता मिलता है। विगत 13 वर्षों से मैं दो दिवसीय महोत्सव में शिरकत कर रहा हूं।
उमेश दास, बेगूसराय
चौका पान में शामिल होकर पूर्ण रूप से आज मैं कबीर पंथ को अपना लूंगा। गुरु से आशीर्वाद प्राप्त कर ही वापस लौटूंगा। कबीर मंदिर में पहुंचकर ऐसा महसूस होता है कि यहां भगवान कबीर की असीम कृपा बरसती है।
डोमी दास सुपौल
संत कबीर के महान तीर्थ स्थल पर पहुंचकर अंधकार से प्रकाश की ओर जाने का रास्ता साफ होता है। अज्ञानियों को ज्ञान का बोध होता है। देा दिनों तक चले सत्संग और भजन कीर्तन के बीच मन की शुद्धि होती है।
महंत नाथो दास, सबलपुर
19 वर्षों से नियमित महोत्सव में भाग लिया हूं। इसमें शामिल होने से अपने अंदर ज्ञान का बोध होने के साथ साथ सेवा भावना भी जागृत होता है। जनसेवा के साथ-साथ समाज और राष्ट्र की सेवा की भी प्रेरणा मिलती है ।
राजेंद्र दास, खगड़िया
करीब 25 वर्षों से मैं नियमित रूप से इस महोत्सव में पहुंचता हूं। इस वर्ष मेरे साथ कई परिजन भी नमन करने पहुंचे हैं। महान संत के तीर्थ स्थल पर सत्संग में भाग लेने से ज्ञान की प्राप्ति होती है।
शिवधारी दास, फारबिसगंज